अंतरिक्ष में कबाड़ की फोटो पहली बार आई सामने, जापानी सैटेलाइट ने देखा 3 टन का टूटा रॉकेट!

Space Debris : सैटेलाइट ने रॉकेट मलबे तक पहुंचने के लिए सैटेलाइट में लगे कैमरों और सटीक कैलकुलेश का इस्‍तेमाल किया।

विज्ञापन
Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 12 मई 2024 20:22 IST
ख़ास बातें
  • अंतरिक्ष मलबे की पहली फोटो आई सामने
  • जापनी सैटेलाइट ने एक टूटे रॉकेट को किया कैप्‍चर
  • 15 साल पुराना है रॉकेट का टुकड़ा

एस्ट्रोस्केल जापान का मकसद भविष्‍य में अंतरिक्ष मलबे को सुरक्षित रूप से हटाना है।

Photo Credit: astroscale

सैटेलाइट्स को स्‍पेस में भेजने के लिए दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां रॉकेट का इस्‍तेमाल करती हैं। उनमें से सिर्फ  एलन मस्‍क की स्‍पेस कंपनी स्‍पेसएक्‍स (SpaceX) का रॉकेट रीयूजेबल है। ज्‍यादातर स्‍पेस एजेंसियों के रॉकेट अंतरिक्ष में अपना काम पूरा करके मलबे (rocket debris) में बदल जाते हैं और धरती पर गिर जाते हैं। ज्‍यादातर बार इनके गिरने की जगह का पता नहीं चलता। पहली बार एक जापानी सैटेलाइट ने 3 टन के भारी भरकम रॉकेट मलबे को कैप्‍चर किया है।  

रिपोर्ट्स के अनुसार, एस्ट्रोस्केल जापान (Astroscale Japan) के एक सैटेलाइट ने 15 साल पुराने रॉकेट के टुकड़े का पता लगाया और उसकी तस्‍वीर क्लिक की। दिलचस्‍प है कि एस्ट्रोस्केल को इसी साल फरवरी में लॉन्‍च किया गया था। उसने रॉकेट मलबे तक पहुंचने के लिए सैटेलाइट में लगे कैमरों और सटीक कैलकुलेश का इस्‍तेमाल किया। 

सैटेलाइट का शुरुआती मकसद अंतरिक्ष मलबे की तस्‍वीर लेना, उसकी कंडीशन को डॉक्‍युमेंट करना साथ ही यह साबित करना था कि सैटेलाइट किसी अंतरिक्ष मलबे तक पहुंच सकता है या नहीं। 

एस्ट्रोस्केल जापान का मकसद भविष्‍य में अंतरिक्ष मलबे को सुरक्षित रूप से हटाना है। वह रोबोट‍िक हथियारों से लैस एक और सैटेलाइट लॉन्‍च करना चाहती है। जिस रॉकेट मलबे का पता लगाया गया, वह भी जापान का ही है। रॉकेट की मदद से साल 2009 में एक एनवायरनमेंटल सेंसिंग सैटेलाइट लॉन्‍च किया गया था। 

गौरतलब है कि स्‍पेस मलबे ने दुनियाभर के देशों की चिंता बढ़ाई है। रूस, अमेरिका और चीन की स्‍पेस एजेंसियां आए दिन अपने मिशन लॉन्‍च करती हैं और अंतरिक्ष मलबे को बढ़ा रही है। अमेरिका तो चीन पर आरोप लगा चुका है कि चीनी स्‍पेस एजेंसी अपने अंतरिक्ष मलबे का सही से निपटारा नहीं करती। हालांकि पृथ्‍वी के वायुमंडल में प्रवेश करन के दौरान आमतौर पर यह ‘कचरा' जलकर खत्‍म हो जाता है। या प्रशांत महासागर में गिर जाता है। कुछेक मामलों में ही अंतरिक्ष मलबे के टुकड़े आबादी वाले इलाकों में गिरे हैं।  
Advertisement
 

9000 मीट्रिक टन मलबा है स्‍पेस में  

रिपोर्टों के अनुसार, साल 2022 तक 9 हजार मीट्रिक टन से ज्‍यादा स्‍पेस मलबा हमारे ग्रह की परिक्रमा कर रहा है। इसकी वजह से मौजूदा सैटेलाइट्स प्रभावित हो सकते हैं। यह पृथ्‍वी पर कम्‍युनिकेशन बाधित कर सकता है और अंतरिक्ष यात्रियों का जोखिम बढ़ा सकता है। 

 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. टेक्नोलॉजी की दुनिया से आपके लिए आज की 5 महत्वपूर्ण खबरें
#ताज़ा ख़बरें
  1. Tata Motors ने लॉन्च किया Harrier EV का Stealth Edition, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  2. Honor के Magic V5 में होगा 64 मेगापिक्सल पेरिस्कोप टेलीफोटो कैमरा, 2 जुलाई को लॉन्च
  3. iQOO Z10 Lite 5G vs Samsung Galaxy A06 5G vs Moto G45: 10 हजार में कौन सा है बेस्ट फोन
  4. बोलकर कैंसल हो जाएगा ट्रेन टिकट, जानें कैसे काम करता है IRCTC का नया फीचर
  5. POCO के F7 5G की 1 जुलाई से शुरू होगी बिक्री, Flipkart पर लाइव हुई माइक्रोसाइट
  6. UBON SP-85 Party Speaker भारत में लॉन्च, 30W साउंड, 20 घंटे की बैटरी, जानें कीमत
  7. टेक्नोलॉजी की दुनिया से आपके लिए आज की 5 महत्वपूर्ण खबरें
  8. BSNL लगाएगी फ्लैश सेल, फ्री डेटा से लेकर डिस्काउंट तक की पेशकश
  9. Asus का लैपटॉप भारत में 18,990 रुपये में लॉन्च
  10. Samsung Galaxy M36 5G भारत में 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी के साथ लॉन्च, जानें क्या है खास
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.