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रात में घंटों तक फोन चलाने से बढ़ेगा डायबिटीज का खतरा! बचने के लिए इन बातों का रखें ख्याल

इसमें न केवल स्मार्टफोन, टैबलेट जैसे डिवाइस से निकलने वाली ब्लू लाइट मुख्य जिम्मेदार है, बल्कि लैंप से निकलने वाली पीली रोशनी भी लोगों के लिए खतरा है।

रात में घंटों तक फोन चलाने से बढ़ेगा डायबिटीज का खतरा! बचने के लिए इन बातों का रखें ख्याल

Photo Credit: Pexels/ Eren Li

यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने नौ वर्षों तक 40 से 69 वर्ष की उम्र के बीच के लगभग 85,000 लोगों को स्टडी किया

ख़ास बातें
  • रात के समय लाइट के संपर्क में आने से नींद में खलल पड़ता है
  • ऐसे में टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) का खतरा बढ़ जाता है
  • स्मार्टफोन की ब्लू लाइट या लैंप की पीली लाइट, दोनों ही खतरनाक!
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एक बड़ी और अहम स्टडी से पता चला है कि रात के समय लाइट के संपर्क में आने से नींद में खलल पड़ता है और टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) का खतरा बढ़ जाता है। स्टडी में कलाई में पहने जाने वाले डिवाइस का इस्तेमाल करके नौ वर्षों में 40-69 आयु वर्ग के लगभग 85,000 लोगों पर नजर रखी गई। निष्कर्षों से पता चला कि रात के समय लाइट के संपर्क में रहने वाले टॉप 10 प्रतिशत लोगों में, नींद की अवधि और स्वास्थ्य आदतों के एडजस्टमेंट के बाद भी, सबसे कम जोखिम वाले लोगों की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज बढ़ने का जोखिम 67 प्रतिशत अधिक था। स्टडी से यह भी पता चला कि आर्टिफिशियल लाइटिंग, खास तौर पर डिवाइस से निकलने वाली ब्लू लाइट और यहां तक ​​कि लैंप से निकलने वाली पीली लाइट, नेचुरल स्लीप-वेक साइकिल को बाधित करती है, जिससे मैटाबॉलिक संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।

ऑस्ट्रेलिया में मोनाश यूनिवर्सिटी की लेटेस्ट स्टडी से पता चला है कि रात के समय लाइट के संपर्क में आने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। इसका सीधा कारण आर्टिफिशियल लाइटिंग से नींद और जागने की साइकिल में खलल पड़ना है। इसमें न केवल स्मार्टफोन, टैबलेट जैसे डिवाइस से निकलने वाली ब्लू लाइट मुख्य जिम्मेदार है, बल्कि लैंप से निकलने वाली पीली रोशनी भी लोगों के लिए खतरा है। स्टडी कहती है कि रात में आर्टिफिशियल लाइट के संपर्क में आने से, खास तौर पर आधी रात से सुबह 6:00 बजे के बीच, Type 2 Diabetes विकसित होने का खतरा काफी बढ़ सकता है। 
यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने नौ वर्षों तक 40 से 69 वर्ष की उम्र के बीच के लगभग 85,000 लोगों को स्टडी किया और कलाई में पहने जाने वाले डिवाइस के जरिए उनके लाइट के संपर्क पर नजर रखी। इसमें रात के समय लाइट के संपर्क और टाइप 2 डायबिटीज के विकास के बीच एक मजबूत संबंध पाया गया। रात के समय लाइट के संपर्क में आने वाले टॉप 10 प्रतिशत लोगों में सबसे कम जोखिम वाले लोगों की तुलना में बीमारी विकसित होने का जोखिम 67 प्रतिशत अधिक था। नींद की अवधि और ओवरऑल हेल्थ रुटीन जैसे फैक्टर्स को ध्यान में रखने के बाद भी यह संबंध बना रहा।

हालांकि स्टडी कारण और इफेक्ट को साबित नहीं करती है, लेकिन यह बताती है कि आर्टिफिशियल लाइट शरीर के प्राकृतिक नींद-जागने की साइकिल को बाधित करती है और ये सीधा इंसान के मैटाबॉलिज्म पर प्रभाव डालता है। ऐसा स्मार्टफोन और टीवी से निकलने वाली नीली रोशनी के कारण तो हो ही सकता है, साथ ही रीडिंग लैंप से निकलने वाली पीली रोशनी भी प्रभाव डाल सकती है।

रिपोर्ट में स्टडी से जुड़े हेड राइटर ने कहा, "रात की रोशनी से बचना एक सरल और लागत प्रभावी सलाह है जो टाइप 2 डायबिटीज के वैश्विक बोझ को कम करने में मदद कर सकती है।"

स्टडी में भोजन के समय को ध्यान में नहीं रखा गया, जो ब्लड शुगर के लेवल को प्रभावित कर सकता है और सामाजिक आर्थिक कारकों पर केवल क्षेत्रीय आधार पर विचार किया गया। इसके अलावा, लाइट के प्रति व्यक्तिगत संवेदनशीलता बहुत भिन्न होती है। अभी लाइट और डायबिटीज के बीच संबंध को मजबूत करने के लिए भविष्य में और गहन स्टडी की जरूरत है, लेकिन ये निष्कर्ष सुझाव देते हैं कि सोने से पहले स्क्रीन टाइम को सीमित करना और अच्छी नींद लेना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
 

इन बातों का रखें ख्याल:-

यूं तो स्टडी में रिसर्चर्स ने सीधे तौर पर उन पॉइन्ट्स को नहीं बताया है, जिनका ध्यान रखकर आप अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं, लेकिन यदि लाइट और डायबिटीज का सीधा कनेक्शन है, तो हम आपको यहां कुछ ऐसे पॉइन्ट्स बता रहे हैं, जिनका आपको खास ख्याल रखना चाहिए।
 

बेड में जाने के बाद स्मार्टफोन या अन्य डिवाइस का इस्तेमाल ना करें

सोने से कम से कम एक घंटा पहले स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल कम करें।
 

ब्लू लाइट फिल्टर का प्रयोग करें

एक्सपोजर को कम करने के लिए अपने डिवाइस पर ब्लू लाइट फिल्टर को ऑन करें। ज्यादातर ब्रांड्स अपने सॉफ्टवेयर में इस फीचर को बिल्ट-इन देते हैं और यदि आप चाहें तो ऐप स्टोर पर आपको इस तरह के कई फ्री ऐप्स मिलेंगे, जो ब्लू लाइट को कम करने की सुविधा देते हैं।
 

गहरी नींद का माहौल बनाए रखें

बाहरी रोशनी को रोकने के लिए काले पर्दों का उपयोग करें या आप स्लीप मास्क का उपयोग भी कर सकते हैं।
 

लाल या नारंगी रंग की नाइट लाइट चुनें

यदि आपको रात की रोशनी की आवश्यकता है, तो लाल या नारंगी रोशनी अच्छा ऑप्शन है, जो नीली या सफेद रोशनी की तुलना में आपके नींद पर कम प्रभाव डालती हैं।
 

नींद के लिए एक फिक्स रूटीन बनाएं

आप नींद के लिए एक खास समय चुन सकते हैं और यदि आप रोज उसी समय पर सोने की कोशिश करते हैं, तो आपको हर दिन उसी समय नींद आनी शुरू हो जाएगी। इस तरह आप लंबी नींद ले सकते हैं।
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नितेश पपनोई Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech products like smartphones, headphones, and smartwatches. At Gadgets 360, he is covering all ...और भी
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