इस धरती पर इंसान को इसलिए सुपीरियर माना जाता है, क्योंकि उसने आपस में संवाद का तरीका खोजकर बाकी प्रजातियों को पीछे धकेल दिया। लेकिन कई मामलों में जानवर भी कम नहीं हैं। चूहे इसका ताजा उदाहरण हैं। एक स्टडी में दावा किया गया है कि अप्रशिक्षित (Untrained) चूहे डांस कर सकते हैं और इंसानों की तरह म्यूजिकल बीट पसंद करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि पहली बार यह साबित हुआ है कि जानवरों में एक इनबिल्ट लय (rhythm) होती है। इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए उन्होंने 20 लोगों और 10 चूहों के सिर में मोशन सेंसर्स लगाए और म्यूजिक बजाया।
वैज्ञानिकों ने देखा कि इंसान और चूहे दोनों एक ही तरह से उछल-कूद कर रहे थे। वैज्ञानिकों को लगता है कि कई जानवरों को डांस करने और म्यूजिक पर रिएक्ट करने के लिए ट्रेंड किया जा सकता है। इस रिसर्च को जापानी वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है। टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हिरोकाज़ु ताकाहाशी ने कहा कि बिना जानवरों को ट्रेंड किए उनमें बीट सिंक्रनाइज़ेशन से जुड़ी यह पहली रिपोर्ट है।
स्टडी के तहत रिसर्चर्स ने तीन दिनों तक चूहों के सामने म्यूजिक के अलग-अलग पीस बजाए। स्टडी में शामिल इंसानों की तरह ही चूहों ने भी सबसे अलग बीट सिंक्रोनाइजेशन को प्रदर्शित किया, जब गाना 120 से 140 बीपीएम पर बजाया गया था। वैज्ञानिक काफी समय से ऐसी रिसर्च कर रहे हैं कि क्या जानवर डांस कर सकते हैं। मौजूदा स्टडी एक सकारात्मक संकेत है।
इससे पहले चूहों पर की गई एक
रिसर्च में पता चला था कि साउंड की मदद से दर्द को कम किया जा सकता है? चीन और अमेरिका के रिसर्चर्स ने पाया है कि ध्वनि चूहों में दर्द को दूर कर सकती है, फिर चाहे वह संगीत के रूप में हो या सिर्फ शोर के रूप में। वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि म्यूजिक थेरेपी और पेन मैनेजमेंट की भविष्य में व्यापक संभावनाएं हैं। पीयर-रिव्यू जर्नल साइंस में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, म्यूजिक और नैचुरल साउंड मूड को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने, तनाव दूर करने और शरीर को आराम देने में कारगर हैं। नई स्टडी कहती है कि ध्वनि न सिर्फ दर्द से ध्यान भटका सकती है, बल्कि वह इसे दबा भी सकती है।