वैज्ञानिकों ने 10,000 से ज्यादा एक्सोप्लैनेट (exoplanets) की खोज की है, जो हमारे सौर मंडल से बाहर हैं। हालांकि वैज्ञानिक उनमें से किसी की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा का पता नहीं लगा पाए हैं। एक नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने खोज की नई रूपरेखा तैयार की है। शोधकर्ताओं को लगता है कि अब उन्हें जो खगोलीय पिंड मिला है, वह सौर मंडल के बाहर किसी ग्रह की परिक्रमा करने वाला विशाल चंद्रमा हो सकता है। यह चंद्रमा, बृहस्पति के आकार के एक एक्सोप्लैनेट की परिक्रमा करता है। अगर जांच में यह कन्फर्म हो जाता है, तो यह पहला ‘एक्सोमून' बन सकता है।
हालांकि चार पहले भी एक खगोलीय पिंड के एक्सोमून होने की बात कही गई थी। उस खोज की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है। कई विशेषज्ञों को लगता है कि इस खगोलीय पिंड के साथ भी यही हो सकता है। वैसे इन दोनों खगोलीय पिंडों में कई खासियत भी हैं। ये एक ही ग्रह के चक्कर लगाते हैं। हाल में मिला खगोलीय पिंड पहले मिले पिंड से थोड़ा छोटा है। वैज्ञानिकों को लगता है कि ये दोनों चीजें गैस से बनी हैं। यह ग्रह भी हो सकती थीं, लेकिन दूसरे ग्रह ने इन्हें अपनी कक्षा में खींच लिया।
नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित
अध्ययन के अनुसार, नया ऑब्जेक्ट पृथ्वी से 5,500 प्रकाश वर्ष दूर एक एक्सोप्लैनेट ‘केप्लर 1708बी' के चारों ओर घूम रहा है। वैज्ञानिकों ने नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप की मदद से करीब 70 ऐसे ऑब्जेक्ट को देखा। इनमें से सिर्फ एक ऑब्जेक्ट ऐसा मिला, जो एक्सोमून होने का संकेत देता है। यह खगोलीय पिंड पृथ्वी से लगभग 2.6 गुना बड़ा है।
इस खोज से उत्साहित रिसर्चर्स का मानना है कि कई और भी चंद्रमा होने की संभावना है, जो हमारे चंद्रमा के जैसे हो सकते हैं। चार साल पहले खोजे गए एक्सोमून के दावेदार और अब खोजे गए एक्सोमून की रिसर्च से जुड़े डेविड किपिंग का
कहना है कि किसी भी सर्वे में पहली खोज आम तौर पर अजीब होगी। एक्सोमून के दोनों उम्मीदवार अपने तारे से दूर स्थित हैं। इसका मतलब है कि उनके अपनी कक्षाओं से बाहर निकाले जाने की संभावना कम है। अब देखना यह है कि यह रिसर्च कब तक कन्फर्म होती है और चार साल पहले की गई रिसर्च के निष्कर्ष कब तक पुख्ता हो पाते हैं।