70 करोड़ साल पहले पृथ्वी बन गई थी 'बर्फ का गोला!'

क वक्त पर यहां बर्फ ही बर्फ मौजूद थी जिसने चट्टानों को भी दबाया हुआ था।

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 16 नवंबर 2024 21:14 IST
ख़ास बातें
  • पृथ्वी का इतिहास बहुत पुराना है
  • यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलोराडो से भू-वैज्ञानिकों ने एक मजबूत साक्ष्य पेश किया है
  • लगभग 70 करोड़ साल पहले पृथ्वी पूरी तरह से बर्फ से ढक गई थी

लगभग 70 करोड़ साल पहले पृथ्वी पूरी तरह से बर्फ से ढक गई थी।

Photo Credit: Shutterstock

क्या आप जानते हैं कि हमारी पृथ्वी पर एक ऐसा भी समय आया था जब यह बर्फ का गोला (snowball) बन गई थी। पृथ्वी का इतिहास बहुत पुराना है। मनुष्य का विकास भी धीरे-धीरे हुआ है। यहां पर सैकड़ों सभ्यताएं इससे पहले आकर जा चुकी हैं। लेकिन शुरुआती दौर में पृथ्वी पर क्या-क्या हुआ इसके बारे में सबूत जुटा पाना बहुत मुश्किल है। हालांकि स्टडी के आधार पर भू-वैज्ञानिक कई थ्योरी पेश कर चुके हैं जिनके प्रमाण भी धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। ऐसी ही एक नई स्टडी सामने आई है जो स्नोबॉल अर्थ (Snowball Earth) की थ्योरी को सहारा देती है। 

यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलोराडो से भू-वैज्ञानिकों ने एक मजबूत साक्ष्य पेश किया है जो कहता है कि धरती अवश्य ही एक समय पर बर्फ के गोले में तब्दील हो गई थी! थ्योरी में कहा गया है कि एक समय पर पृथ्वी को ग्लेशियरों ने पूरी तरह से ढक लिया था। यहां तक कि भूमध्य रेखा भी बर्फ से ढक गई थी। Proceedings of the National Academy of Sciences में इस स्टडी को पब्लिश किया गया है। इसके माध्यम से ग्लोबल फ्रीज का पहला भौतिक साक्ष्य मिलता है जो बताता है कि लगभग 70 करोड़ साल पहले पृथ्वी पूरी तरह से बर्फ से ढक गई थी। 

स्टडी के प्रमुख लेखक लियाम कॉर्टनी डेवीज और उनकी टीम ने इस बात पर जोर दिया कि कोलोराडो के पथरीले पहाड़ों की फ्रंट रेंज में कुछ ऐसी चट्टानें मौजूद हैं जिन्हें तावाकेव (Tavakaiv) या तावा (Tava) सैंडस्टोन कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने यहां पर अत्याधुनिक डेटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जिसमें लेजर एबलेशन मास स्पेक्ट्रोमीट्री भी शामिल थी। वैज्ञानिकों ने पाया कि ये चट्टानें लगभग 70 करोड़ साल पहले अंडरग्राउंड थीं। और इसके पीछे वजह बताई गई है कि ये ग्लेशियरों के वजन के नीचे दबी हुई थीं। 

यहां पर ग्लेशियल सबूत मिलना इस बात की गवाही देता है कि एक वक्त पर यहां बर्फ ही बर्फ मौजूद थी जिसने चट्टानों को भी दबाया हुआ था। भूमध्य पर ग्लेशियर के सबूत मिलने का सीधा अर्थ भी यही निकलता है कि पूरा ग्रह ही उस वक्त बर्फ में दबा हुआ था। उस वक्त पृथ्वी एक बर्फ के गोले के रूप में अंतरिक्ष में तैर रही थी। यहां न सिर्फ स्नोबॉल थ्योरी को सहारा मिलता है बल्कि यह भी पता लगता है कि पृथ्वी एक गंभीर दौर से गुजर रही थी। हालांकि शोधकर्ता टीम का मानना है कि अभी इस बारे में और भी शोध होना बाकी है। लेकिन उनकी खोज अन्य को भी आगे शोध के लिए प्रेरित करेगी। 
 
 

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