दुनिया में पहली बार गर्भ में पल रहे बच्‍चे की ब्रेन सर्जरी, डॉक्‍टरों ने क्‍यों किया ऐसा? जानें

Brain Surgery : VOGM, ब्‍लड वेसल्‍स से जुड़ी एक असामान्‍यता है। यह परेशानी तब होती है, जब मस्तिष्‍क की धमनियां सीधे नसों से जुड़ जाती हैं।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 5 मई 2023 17:47 IST
ख़ास बातें
  • बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डॉक्‍टरों की सर्जरी
  • सर्जरी सफल रही, बच्‍चा अब ठीक है
  • सर्जरी के बाद बच्‍चे का जन्‍म हो गया

Brain Surgery : सर्जरी के बाद बच्‍चे का जन्‍म हो गया। वह अच्‍छी तरह से ग्रोथ कर रहा है। कोई दवा नहीं ले रहा।

Photo Credit: सांकेतिक तस्‍वीर

दुनिया में पहली बार गर्भ में पल रहे एक भ्रूण की ब्रेन सर्जरी की गई। ‘वेन ऑफ गैलेन मालफॉर्मेशन' (VOGM) नाम की दुर्लभ स्थिति का इलाज करने के लिए डॉक्‍टरों ने बच्‍चे के जन्‍म से पहले उसकी ब्रेन सर्जरी की। VOGM, ब्‍लड वेसल्‍स से जुड़ी एक असामान्‍यता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह परेशानी तब होती है, जब मस्तिष्‍क की धमनियां सीधे नसों से जुड़ जाती हैं। इसकी वजह से रक्‍त का प्रवाह असामान्‍य हो जाता है और नवजातों में कंजेस्टिव हार्ट फेलियर हो सकता है साथ ही हार्ट से फेफड़ों तक धमनियों में ब्‍लड प्रेशर भी बढ़ सकता है। 

इस सर्जरी को बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल और अमेरिका के ब्रिघम एंड वूमन्‍स हॉस्प्टिल के सर्जनों ने पूरा किया। सर्जरी के लिए एम्बोलिजेशन (embolization) नाम की सर्जिकल तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया। सर्जरी से जुड़ीं डिटेल्‍स स्ट्रोक मैगजीन में पब्लिश हुई हैं। उसमें लिखा गया है कि सर्जरी सफल रही और असामान्‍यता का इलाज हो गया।  

साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सर्जरी के बाद बच्‍चे का जन्‍म हो गया। वह अच्‍छी तरह से ग्रोथ कर रहा है। कोई दवा नहीं ले रहा। उसकी डाइट सामान्‍य है और वजन भी बढ़ रहा है। बच्‍चा अपने घर आ गया है। उसके दिमाग पर सर्जरी के कोई नकारात्‍मक संकेत नहीं हैं। 

‘वेन ऑफ गैलेन मालफॉर्मेशन' नाम की असामान्‍यता 60 हजार में से एक को प्रभावित करती है। मस्तिष्‍क की धमनियों के कोशिकाओं के बजाए सीधे नसों से जुड़ने पर रक्‍त का प्रवाह यानी ब्‍लड फ्लो असामान्‍य हो जाता है। इस वजह से बच्‍चे के जन्‍म के बाद उसमें कई हानिकारक असर दिखाई देते हैं। डॉक्‍टरों का मानना है कि ऐसी स्थिति से प्रभावित 50 से 60 फीसदी बच्‍चे जन्‍म के फौरन बाद बीमार हो जाएंगे। इसमें मृत्‍यु दर भी 40 फीसदी है।  

सर्जरी तब की गई, जब भ्रूण की उम्र 34 हफ्ते से थोड़ा अधिक थी। डॉक्‍टरों ने जिस एम्बोलिजेशन नाम की तकनीक का इस्‍तेमाल किया, उसमें नसों में खास मटीरियल डाला जाता है मसलन-क्‍लॉटिंग एजेंट। इससे ब्‍लड को जमने में मदद मिलती है और उसे बहने से रोका जाता है। सर्जरी की वजह से बच्‍चे का जन्‍म तय वक्‍त से पहले हो गया। जन्‍म के बाद उसका मस्तिष्‍क और हार्ट सही तरीके से काम करने लगे थे। बच्‍चा समय से पहले पैदा हुआ था, इसलिए उसे कुछ हफ्तों तक एनआईसीयू में रखा गया। 
 

 

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