33 साल बाद इस जगह फटने वाला है 11 हजार फीट ऊंचा ज्वालामुखी! वैज्ञानिकों ने चेताया

ज्वालामुखी की ऊंचाई 11,070 फीट बताई गई है।

विज्ञापन
Written by गैजेट्स 360 स्टाफ, Edited by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 5 अप्रैल 2025 21:29 IST
ख़ास बातें
  • संकेत मिल रहा है कि ज्वालामुखी के अंदर की गतिविधि बढ़ रही है
  • यह ज्वालामुखी एंकोरेज से लगभग 80 मील पश्चिम में मौजूद है
  • इसकी ऊंचाई 11,070 फीट है

विशेषज्ञों ने बताया है कि आने वाले हफ़्तों या महीनों में अलास्का के माउंट स्पर में विस्फोट हो सकता है।

Photo Credit: Pixabay/USGS

ज्वालामुखी जब फटते हैं तो उस क्षेत्र के आसपास एक बड़े हिस्से में तबाही लेकर आते हैं। इनसे निकाल धुंआ और राख वहां रहने वाले प्राणियों के जीवन को खतरा पैदा कर देता है। वहीं, ज्वालामुखी से फूटने वाला लावा आसपास की हरेक चीज को जलाकर राख कर देता है। इसलिए ज्वालामुखियों पर वैज्ञानिक लगातार नजर रखते हैं। अमेरिका के अलास्का में एक ऐसा ही ज्वालामुखी फिर से सक्रिय नजर आ रहा है। अलास्का के माउंट स्पर में से भाप का एक बड़ा गुबार निकलता देखा जा रहा है। इससे संकेत मिल रहा है कि ज्वालामुखी के अंदर की गतिविधि बढ़ रही है। 

अलास्का वॉल्केनो ऑब्जर्वेटरी (AVO) ने इस पहाड़ की कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। इनमें पता चलता है कि ज्वालामुखी के शिखर और उत्तरी छिद्र से भाप और गैस निकलती दिखाई दे रही है। यह ज्वालामुखी एंकोरेज से लगभग 80 मील पश्चिम में मौजूद है और इसकी ऊंचाई 11,070 फीट है। विशेषज्ञों ने बताया है कि आने वाले हफ़्तों या महीनों में ज्वालामुखी के अंदर विस्फोट हो सकता है। हालाँकि, अभी कुछ भी पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है। 

AVO ने 11 मार्च को एक अपडेट जारी किया था। जिसमें गैस उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी देखी गई थी। इससे संकेत मिलता है कि ताजा मैग्मा माउंट स्पर के नीचे की परत में चला गया है। इससे निकट भविष्य में विस्फोट की संभावना का आकलन किया गया। ऑब्जर्वेटरी ने स्पष्ट किया कि किसी भी विस्फोट का सटीक समय अभी निश्चित रूप से नहीं बताया जा सकता है। ऑब्जर्वेटरी ने चेतावनी दी है कि अगर ज्वालामुखी में और वृद्धि के संकेत मिले तो चेतावनी के स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

AVO का कहना है कि इसके फटने से संभावित दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। इसमें लगातार भूकंपीय झटके, गैस उत्सर्जन में वृद्धि आदि शामिल हो सकते हैं। यदि विस्फोट बड़ा होता है तो संभावित खतरों में उड़ानों को प्रभावित करने वाले राख के बादल बन सकते हैं, आस-पास के क्षेत्रों में राख की बारिश हो सकती है, साथ ही पाइरोक्लास्टिक फ्लो और लाहर के रूप में जाना जाने वाला कीचड़ का प्रवाह इन खतरों में शामिल है। ज्वालामुखी में इससे पहले 1992 में विस्फोट हुआ था। उस विस्फोट के कारण भारी मात्रा में यहां राख गिरी थी और क्षेत्र में हवाई सेवाएं प्रभावित हुई थीं। 
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

The resident bot. If you email me, a human will respond. ...और भी
Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Poco F7 vs iQOO Neo 10 vs Motorola Edge 60 Pro: देखें 40 हजार में कौन सा फोन है बेस्ट
  2. Solos AirGo A5, AirGo V2 स्मार्ट ग्लासेज लॉन्च, कैमरा के साथ AI फीचर्स से लैस, जानें सबकुछ
#ताज़ा ख़बरें
  1. BSNL ने SIM कार्ड की डोरस्टेप पर डिलीवरी के लिए लॉन्च किया पोर्टल
  2. Solos AirGo A5, AirGo V2 स्मार्ट ग्लासेज लॉन्च, कैमरा के साथ AI फीचर्स से लैस, जानें सबकुछ
  3. iQOO Z10 Lite 5G की भारत में शुरू हुई बिक्री, जानें प्राइस ऑफर्स
  4. शुभांशु शुक्ला ने भरी स्पेस में उड़ान, Ax-4 मिशन में पायलट; 40 साल बाद कोई भारतीय पहुंचा ISS
  5. iCloud Outage: Photos, Mail और Find My घंटों रहे डाउन, Apple ने दिया जवाब
  6. Unihertz Titan 2 कीबोर्ड फोन 50MP कैमरा, 5050mAh बैटरी के साथ लॉन्च, जानें सबकुछ
  7. EPFO ने एडवांस क्लेम के लिए ऑटो सेटलमेंट लिमिट बढ़ाकर की 5 लाख रुपये, जानें कैसा करता है ये काम
  8. Poco F7 vs iQOO Neo 10 vs Motorola Edge 60 Pro: देखें 40 हजार में कौन सा फोन है बेस्ट
  9. Google Search में AI मोड अब भारत में उपलब्ध, यहां जानें कैसे करें इसे उपयोग
  10. Oppo K13 Turbo, Turbo Pro के स्पेसिफिकेशंस लीक, 50MP कैमरा से लेकर ऐसे होंगे फीचर्स
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.