जिंदा है पृथ्वी की बहन! वैज्ञानिकों के हाथ लगी शुक्र ग्रह से जुड़ी बड़ी जानकारी, जानें
हमारे सौरमंडल में पृथ्वी (Earth) अकेली है, जहां जीवन पनपता है। वर्षों से वैज्ञानिक इस खोज में जुटे हैं कि पृथ्वी के अलावा ब्रह्मांड में और कहां जीवन मुमकिन हो सकता है। इस तलाश में वह मंगल (Mars) ग्रह को टटोलते हैं, लेकिन एक और बड़ा दावेदार नजर आता है शुक्र ग्रह (Venus)। शुक्र ग्रह को पृथ्वी की जुड़वां बहन भी कहा जाता है। माना जाता है कि हमारे सौर मंडल के किसी भी अन्य ग्रह की मुकाबले शुक्र ग्रह पर सबसे ज्यादा ज्वालामुखी हैं और अब वैज्ञानिकों को यह सबूत मिला है कि शुक्र ग्रह पर कुछ ज्वालामुखी (volcano) अब भी सक्रिय हैं।
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मैगेलन स्पेसक्राफ्ट की तस्वीरों से चला पता
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के मैगेलन स्पेसक्राफ्ट (Magellan spacecraft) की तस्वीरों इसका पता चला है। यह स्पेसक्राफ्ट करीब 34 साल पहले शुक्र ग्रह के सफर पर निकला था। साढ़े 4 साल के सफर में मैगेलन स्पेसक्राफ्ट ने शुक्र ग्रह से जुड़ीं ढेरों जानकारियां जुटाई थीं। उन्हीं में से कई तस्वीरों को टटोलने के बाद रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में पाया कि शुक्र ग्रह ज्वालामुखी गतिविधियां होती हैं, क्योंकि इमेज में जो छेद दिख रहा था, 8 महीनों में उसका आकार बदल गया था।
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तस्वीरों में दिखा छेद हो गया बड़ा
अलास्का फेयरबैंक्स यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने बताया कि 2.2 वर्ग किमी का वह वेंट बढ़कर 3.9 वर्ग किमी हो गया था। यह संकेत देता है कि शुक्र पर ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं और लावा भी निकलता है। जिस निष्कर्ष पर वैज्ञानिक पहुंचे हैं, उससे यह संभावना भी जन्म लेती है कि शुक्र ग्रह पर जीवन पनप सकता है।
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पृथ्वी की जुड़वां बहन कहा जाता है शुक्र को
ध्यान देने वाली बात है कि शुक्र ग्रह भी पृथ्वी के समान एक स्थलीय ग्रह है, लेकिन यहां का तापमान बहुत अधिक है। साढ़े चार सौ डिग्री सेल्यिसय से भी ज्यादा। हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि करोड़ों साल पहले शुक्र ग्रह पर जीवन मुमकिन था। धीरे-धीरे वहां जीवन खत्म हो गया। मौजूदा वक्त में यह ग्रह पूरी तरह से निर्जन हो सकता है। यहां भयानक गर्मी है। वायुमंडलीय दबाव बहुत अधिक है और आसमान से बारिश नहीं से एसिड गिरता है।
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34 साल पहले शुक्र ग्रह पर गया था स्पेसक्राफ्ट
वैज्ञानिक यह अनुमान लगाने में जुटे हैं कि शुक्र ग्रह पर कितनी बार ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं। वैज्ञानिकों ने जिस मैगेलन अंतरिक्ष यान की रडार इमेजेस को स्टडी किया, उसने साल 1989 से 1994 तक शुक्र ग्रह का चक्कर लगाया था। 1990 से 1992 के बीच स्पेसक्राफ्ट ने शुक्र ग्रह पर एक जगह की तस्वीर दो से तीन बार ली थी, उन्हीं तस्वीरों के विश्लेषण ने वैज्ञानिकों को इस नतीजे पर पहुंचाया है। तस्वीरें, uaf.edu, नासा व अन्य से। नोट- पहली तस्वीर खबर से संबंधित, अन्य सांकेतिक।
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