पैरेंट्स सावधान! वीडियो गेम खेलने वाले बच्चों में आ सकती है दिमागी समस्या

रिसर्च के दौरान प्रतिभागियों से कई तरह के सवाल पूछे गए, यह जानने के लिए कि उन्हें परेशान करने वाले विचार, अजीब किस्म के अनुभव तो नहीं हुए हैं?

विज्ञापन
Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 13 अप्रैल 2024 21:55 IST
ख़ास बातें
  • स्टडी इस आदत के बुरे प्रभावों के बारे में बात करती है
  • बच्चों में बाद में जाकर मनोवैज्ञानिक जटिलताएं आने का खतरा
  • वीडियो गेम खेलने वालों में 3 से 7 प्रतिशत ज्यादा मनोवैज्ञानिक अनुभव

स्मार्टफोन की लत सिर्फ वयस्कों में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी देखने को मिल रही है।

स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। मोबाइल, टैबलेट्स एक ओर जहां इंसान की जिंदगी को आसान बनाते हैं, दूसरी ओर ये अपने साथ कई खतरे भी लेकर आते हैं। स्मार्टफोन की लत सिर्फ वयस्कों में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी देखने को मिल रही है। नई स्टडी इस आदत के बुरे प्रभावों के बारे में बात करती है। स्टडी में कहा गया है कि मोबाइल फोन या टैबलेट्स पर ज्यादा देर तक वीडियो गेम खेलने वाले बच्चों में बाद में जाकर मनोवैज्ञानिक जटिलताएं देखने को मिल सकती हैं। यानी दिमागी स्वास्थ्य पर इनका बुरा प्रभाव पड़ता है। 

कनाड़ा में मैकगिल यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने इस स्टडी को कंडक्ट किया है। जिसमें पाया गया है कि किशोरावस्था में स्मार्टफोन और सोशल मीडिया बहुत अधिक इस्तेमाल 23-24 की साल की उम्र में जाकर पैरानोइया, डेल्यूजन, हैलुसिनेशन (जिन्हें मति भ्रम भी कहते हैं) का कारण बनता है। ये सभी दिमाग से जुड़ी समस्याएं हैं। शोधकर्ताओं ने 1997 और 1998 के बीच जन्मे 1226 प्रतिभागियों पर इस बात का विश्लेषण किया। स्टडी को JAMA Psychiatry नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। 

रिसर्च के दौरान प्रतिभागियों से कई तरह के सवाल पूछे गए, यह जानने के लिए कि उन्हें परेशान करने वाले विचार, अजीब किस्म के अनुभव तो नहीं हुए हैं? इन सवालों में कुछ यूं थे- क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि लोग आपके बारे में कोई हिंट देते हैं या फिर आपसे दोहरे मतलब वाली बातें करते हैं? क्या आपको कभी ऐसा महसूस हुआ है कि आपके मन में जो विचार आ रहे हैं वे आपके अपने विचार नहीं हैं? क्या आपने अकेले होने पर कभी आवाजें सुनी हैं? 

दिए गए जवाबों के आधार पर शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि किशोरावस्था में वीडियो गेम खेलने वालों में 3 से 7 प्रतिशत ज्यादा मनोवैज्ञानिक अनुभव हुए हैं। लेकिन शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि यहां हम अकेले टेक्नोलॉजी पर ही दोष नहीं रख सकते हैं। कहा गया कि किसी बच्चे में अगर किसी डिवाइस की लत के लक्षण दिख रहे हैं तो यह इस बात की चेतावनी है कि वह जल्द ही दिमागी रूप से बीमार हो सकता है। रिसर्च टीम ने कहा कि युवाओं को एकदम से स्क्रीन से दूर कर देना भी कोई समाधान नहीं है, बल्कि यह ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है। टीम को उम्मीद है कि यह रिसर्च साइकोलॉजिस्ट को यह समझने में मदद जरूर करेगी कि युवाओं में ऐसे दिमागी लक्षण क्यों पैदा हो जाते हैं, और इस समस्या में उनकी मदद कैसे की जा सकती है।  
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Aadhaar में मोबाइल नंबर कैसे करें अपडेट, ये है ऑनलाइन प्रोसेस
#ताज़ा ख़बरें
  1. iQOO Neo 11 में हो सकती है 7,500mAh की बैटरी, जल्द हो सकता है लॉन्च
  2. Apple के अगले CEO बन सकते हैं John Ternus, कंपनी के चीफ Tim Cook की हो सकती है रिटायरमेंट!
  3. itel ने भारत में पेश किया A100C स्मार्टफोन, इसमें ब्लूटूथ से होगी कॉलिंग! जानें स्पेसिफिकेशन्स
  4. Ather की बड़ी कामयाबी, 5 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की मैन्युफैक्चरिंग   
  5. Elon Musk को पसंद नहीं है QR कोड, X पर छिड़ी कमेंट्स की जंग, एक यूजर ने दे डाला आइडिया
  6. Apple का स्लिम और धांसू MacBook Air (M2) Rs 23 हजार के बंपर डिस्काउंट पर! यहां से खरीदें
  7. 7,000mAh की बैटरी के साथ भारत में लॉन्च होगा Moto G06 Power, Flipkart के जरिए बिक्री
  8. क्यों ठप्प पड़े अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की वेबसाइट्स और एजुकेशन प्रोग्राम? जानें वजह
  9. Oppo Reno 15 सीरीज जल्द हो सकती है लॉन्च, कंपनी कर रही नए स्मार्टफोन्स की टेस्टिंग!
  10. Aadhaar में मोबाइल नंबर कैसे करें अपडेट, ये है ऑनलाइन प्रोसेस
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.