पाकिस्तान ने चीनी फायरवॉल और विदेशी कंपनियों की तकनीक का इस्तेमाल कर 40 लाख से ज्यादा नागरिकों की कॉल, मैसेज और इंटरनेट गतिविधियों पर नजर रखी।
WMS 2.0 को कथित तौर पर चीन की Geedge Networks ने विकसित किया है
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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी नई रिपोर्ट “Shadows of Control” में खुलासा किया है कि पाकिस्तान में लाखों लोगों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। रिपोर्ट बताती है कि यहां का Web Monitoring System (WMS 2.0) और Lawful Intercept Management System (LIMS) आम नागरिकों की कॉल, मैसेज, ईमेल और इंटरनेट एक्टिविटीज को एक्सेस कर रहे हैं। यह सिस्टम केवल देशी तकनीक से नहीं, बल्कि जर्मनी, फ्रांस, चीन, अमेरिका, कनाडा और यूएई जैसी जगहों से आने वाली कंपनियों की मदद से खड़ा किया गया है।
WMS 2.0 को कथित तौर पर चीन की Geedge Networks ने विकसित किया है, जिसमें अमेरिकी कंपनी Niagara Networks और फ्रांस की Thales से मिले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ। पहले इसका पुराना वर्जन (WMS 1.0) कनाडा की कंपनी Sandvine द्वारा सप्लाई की गई तकनीक पर चलता था। इस फायरवॉल की मदद से सरकार न सिर्फ इंटरनेट कंटेंट ब्लॉक कर सकती है, बल्कि VPN और वेबसाइट्स को भी बंद कर सकती है।
वहीं, LIMS का काम है सीधे मोबाइल नेटवर्क में घुसकर कॉल, मैसेज और लोकेशन डेटा को एक्सेस करना। इसे जर्मनी की Utimaco और यूएई की Datafusion की मदद से तैयार किया गया है। पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (PTA) ने देश की टेलीकॉम कंपनियों को इसे नेटवर्क पर इंस्टॉल करने का आदेश दिया है।
100 पन्नों से ज्यादा की इस रिपोर्ट में इस पूरे जासूसी सिस्टम का भंडाफोड़ किया गया है। एमनेस्टी का कहना है कि ये सिस्टम “निगरानी की मीनारों” की तरह काम करते हैं, जहां आम नागरिक को पता ही नहीं चलता कि उसका हर डिजिटल कदम देखा जा रहा है। रिपोर्ट बताती है कि पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को खासतौर पर निशाना बनाया जाता है, जिससे वे सेल्फ-सेंसरशिप करने पर मजबूर हो जाते हैं। अभी तक 4 मिलियन (40 लाख) से ज्यादा लोगों पर निगरानी रखने का आरोप लगाया गया है।
एमनेस्टी की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने चेतावनी दी कि यह पूरी व्यवस्था “दमन की अर्थव्यवस्था” बन चुकी है, जहां विदेशी कंपनियों का मुनाफा लोगों की आजादी की कीमत पर बढ़ रहा है।
रिपोर्ट का नाम है “Shadows of Control”, जो पाकिस्तान के निगरानी नेटवर्क का पर्दाफाश करती है।
चीन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, UAE और अमेरिका की कंपनियों से।
WMS 2.0 यानी Web Monitoring System चीन की Geedge Networks द्वारा दी गई तकनीक है, जो इंटरनेट कंटेंट को ब्लॉक और मॉनिटर कर सकती है।
LIMS (Lawful Intercept Management System) टेलीकॉम नेटवर्क्स पर लगाया जाता है, जिससे कॉल, मैसेज और इंटरनेट डेटा को आसानी से इंटरसेप्ट किया जा सकता है।
Amnesty का कहना है कि यह निगरानी अनलॉफुल (गैरकानूनी) है और नागरिकों की प्राइवेसी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जानकारी पाने के अधिकार को कुचल रही है।
Amnesty के मुताबिक, 40 लाख नागरिकों की फोन कॉल्स और इंटरनेट गतिविधि एक साथ ट्रैक की जा सकती है।
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