दुनियाभर के देशों में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने पर काम चल रहा है। पश्चिमी देश पेट्रोल-डीजल पर अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं। वर्तमान में इलेक्ट्रिक वीकल इसका विकल्प बन रहे हैं, लेकिन भविष्य में इससे भी बेहतर तकनीक हमारे सामने होगी और भारत इसमें क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को पुणे में देश की पहली स्वदेशी ‘हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस' (Hydrogen Fuel Cell Bus) को अनवील किया। एक ऐसी बस जो हाडड्रोजन और हवा का इस्तेमाल करके चलती है। इस बस को CSIR (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) और केपीआईटी लिमिटेड ने मिलकर डेवलप किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करके यह जानकारी दी। इसमें बस की झलक भी मिलती है। वीडियो में लिखा गया था कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से प्रेरित होकर KPIT CSIR द्वारा डेवलप भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित “हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस' को पुणे में अनवील किया गया।
जानकारी के अनुसार, यह फ्यूल सेल बिजली पैदा करने और बस को बिजली देने के लिए हाइड्रोजन और हवा का इस्तेमाल करता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल परिवहन मोड बनाता है। अगर इसकी तुलना एक डीजल बस की तुलना की जाए, तो वह आम तौर पर लंबी दूरी के मार्गों पर हर साल 100 टन CO2 का उत्सर्जन करती है और देशभर में लाखों डीजल बसें हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल ट्रकों की ऑपरेशनल कॉस्ट डीजल बसों की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम है। यह पूरे देश में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, खासकर माल-ढुलाई से जुड़े क्षेत्र में।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'हाइड्रोजन विजन' का मकसद भारत को मौसम परिवर्तन लक्ष्यों, स्वच्छ ऊर्जा के साथ-साथ स्वच्छ ऊर्जा को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनाना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लगभग 12-14 प्रतिशत CO2 उत्सर्जन डीजल से चलने वाले भारी वीकल से होता है। हाइड्रोजन ईंधन सेल वीकल इस क्षेत्र में ऑन-रोड कार्बन उत्सर्जन को खत्म करने के लिए शानदार साधन प्रदान करते हैं। उम्मीद है कि जल्द ऐसी बसें सड़कों पर दौड़ सकती हैं।
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