Google ने आज के Doodle को डॉक्टर मारियो मोलिना (Dr. Mario Molina) को समर्पित किया है। मारियो मोलिना मैक्सिको के एक प्रसिद्ध कैमिस्ट थे। उनका योगदान पृथ्वी के वायुमंडल की परत ओजोन को बचाने में माना जाता है। इसके लिए उन्होंने सरकार को इस ओर कदम बढ़ाने के लिए राजी किया। ओजोन को लेकर उन्होंने रिसर्च किया कि वो कौन से केमिकल हैं जो इस परत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। डॉक्टर मारियो को उनकी खोज के लिए नोबल प्राइज से भी नवाजा गया। आइये उनके जीवन के बारे में अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक नजर डालते हैं।
Google Doodle आज डॉक्टर मारियो मोलिना का 80वां जन्मदिन मना रहा है। जैसा कि पहले बताया गया है, मारियो मोलिना ने ओजोन को बचाने में अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय दिया। उन्होंने सरकार को
ओजोन को बचाने के लिए राजी किया और उन केमिकल्स का पता लगाया जो ओजोन को नष्ट कर रहे थे। ओजोन ही वह परत मानी जाती है जो धरती तक सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों को पहुंचने से रोकती है। ये किरणें मनुष्य और अन्य जीवों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
डॉक्टर मोरिया मोलिना का जन्म मैक्सिको में 19 मार्च 1943 को हुआ था।
गूगल के अनुसार, उनको बचपन से ही विज्ञान में इतनी अधिक रुचि थी कि उन्होंने अपने बाथरूम को ही एक छोटी लैबोरेट्री बना दिया था। वो अपने पास एक छोटा खिलौना माइक्रोस्कोप रखते थे और छोटे जीवों को उसमें देखते रहते थे। मैक्सिको की ऑटोनॉमस नेशनल यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपनी कैमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। फिर जर्मनी से उन्होंने इसकी एडवांस डिग्री हासिल की। उसके बाद वह अमेरिका चले गए कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में जाकर रिसर्च की।
1970 के दशक में मोरिया मोलिना ने पृथ्वी के वायुमंडल के बारे में रिसर्च करना शुरू किया कि कैसे सिंथेटिक कैमिकल इसे नुकसान पहुंचाते हैं। क्लोरोफ्लोरोकार्बन के बारे में पता लगाने वाले वह पहले व्यक्तियों में से एक थे। यह कार्बन एसी, स्प्रे और कई अन्य उपकरणों में पाया जाता है जो हमारे रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होते हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि यह
ओजोन को नष्ट करता है। मारियो और उनके सहयोगियों ने इस रिसर्च को नेचर जर्नल में भी प्रकाशित किया। इसके लिए उन्हें नोबल पुरस्कार भी मिला।
उनकी इसी खोज ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की नींव रखी। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय समझौता था जिसके तहत ओजोन को नष्ट करने वाले 100 से ज्यादा कैमिकल्स का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया। गूगल के अनुसार, उनकी इस खोज से ओजोन को बचाने में मदद मिली है और अगले कुछ दशकों में ओजोन को पूरी तरह से ठीक कर लिया जाएगा।