चीन में नजर आया UFO!, पहली इलेक्ट्रिक उड़न तश्तरी क्यों है खास

दुनिया के पहले "फ्लाइंग सोकर" ने शेनजेन टैलेंट पार्क में अपनी पहली उड़ान भर कर लोगों को चौंका दिया।

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Written by साजन चौहान, अपडेटेड: 7 जून 2023 13:32 IST
ख़ास बातें
  • फ्लाइंग सोकर ने शेनजेन टैलेंट पार्क में अपनी पहली उड़ान भरी।
  • फ्लाइंग सोकर ने 15 मिनट की उड़ान भरी थी।
  • इस उड़न तश्तरी में 6 होल वाले डक्ट और 12 प्रोपेलर मोटर्स दी गई हैं।

इलेक्ट्रिक उड़न तश्तरी ने 50 kmph की स्पीड से उड़ान भरी।

Photo Credit: Shenzhen Pages/Twitter

दुनिया के पहले "फ्लाइंग सोकर" ने शेनजेन टैलेंट पार्क में अपनी पहली उड़ान भर कर लोगों को चौंका दिया। चीन में इस फुल डेवलप एयरक्राफ्ट ने कई दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। इस दौरान एयरक्राफ्ट ने वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग की थी जो कि आमतौर पर साइंस-टेक फिल्मों और टीवी में दिखाए गए फ्लाइंग सोकर जैसी है। इसमें सेंटर में एक ट्रांसपेरेंट हेमिशफेयर शामिल है, जो अंदर बैठे यात्रियों को उनके आसपास का पैनारॉमिक व्यू प्रदान करता है। आइए इलेक्ट्रिक फ्लाइंग सोकर (उड़न तश्तरी) के बारे में जानते हैं।

Record GBA के अनुसार, फ्लाइंग सोकर ने 15 मिनट की उड़ान भरी थी। इस दौरान यह 200 मीटर तक ऊंचाई तक गया और 50 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम होरिजोंटल फ्लाइट स्पीड के साथ एयरक्राफ्ट परफॉर्मेंस में नए स्टैंडर्ड बनाए। यह ऑटोमैटिक और मैनुअल ड्राइविंग मोड के बीच स्विच करने पर ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी भी प्रदान करता है, जो पायलटों को बेहतर कंट्रोल और कस्टमाइजेशन कैपेसिटी देता है।

इस उड़न तश्तरी में 6 होल वाले डक्ट और 12 प्रोपेलर मोटर्स दी गई हैं। यह एयरक्राफ्ट पावर सप्लाई, पावर मोटर ऑपरेशन और फ्लाइट कंट्रोल में ट्रिपल सिक्योरिटी प्रदान करता है। इसका यूनिक डिजाइन यूनिक सेफ्टी सुनिश्चित करता है और किसी भी प्रकार के जोखिमों को कम करता है। यह दमदार सेफ्टी फीचर्स से लैस है। एयरक्राफ्ट का यूनिक एक्सटीरियर इसे आसानी से पानी की सतहों पर नेविगेट करने में मदद करता है। इसकी बदौलत यह पानी पर आसानी से उड़ान भर सकता है और उतर सकता है।

इलेक्ट्रिक वर्टिकल फ्लाइंग सोकर (उड़न तश्तरी) शेन्जेन यूएफओ टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है। कंपनी ने पहले ही टेक्नोलॉजी के लिए एक ग्लोबल पेटेंट हासिल कर लिया है। रिपोर्टों के मुताबिक, इस फ्लाइंग सोकर के डेवलपमेंट को बिहांग यूनिवर्सिटी और नॉर्थवेस्टर्न पॉलिटेक्निकल यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर ने लीड किया था। 3 साल से ज्यादा समय में उनके अथक प्रयासों के बाद यह यूनिक प्रोडक्ट तैयार हुआ।

 

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