Crypto मार्केट की उथल-पुथल आदमी के डर और लालच को बताती है- चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर

नागेश्वरण बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) समर्थित थिंक टैंक, इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव (India Ideas Conclave) में बोल रहे थे

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हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 23 मई 2022 10:21 IST
ख़ास बातें
  • India Ideas Conclave में नागेश्वरण ने रखे विचार
  • वर्तमान अवसर को उन्होंने इकोनॉमी का चौथा एडिशन माना
  • 1991 में आई बड़े उदारीकरण की नीति का भी उन्होंने जिक्र किया

स्टॉक मार्केट, क्रिप्टो मार्केट की उथल पुथल को CEA ने आदमी के डर और लालच का नजीता बताया

स्टॉक मार्केट की अस्थिरता और क्रिप्टो निवेश के हालिया क्रेज के बारे में जिक्र करते हुए भारत के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी. अनंत नागेश्वरण ने कहा कि यूक्रेन में चल रहा युद्ध इस बात का उदाहरण है कि तकनीकी कुछ चुनौतियों के अधूरे उत्तर ही ला सकती है, लेकिन यह ये भी दिखाता है कि तकनीकी मानव के डर और लालच को भी बढ़ाती है जिससे उथल-पुथल मचती है। 

"यूक्रेन में युद्ध के जो हालात बने, उससे पता चलता है कि टेक्नोलॉजी उन चुनौतियों के अधूरे उत्तर ही पेश कर सकती है, जिनका हम सामना करते हैं। लेकिन, स्टॉक मार्केट की उथल-पुथल, अस्थिरता, या क्रिप्टो में निवेश करने का क्रेज, या क्रिप्टो एसेट्स के भरोसे चल रहे स्टेबल कॉइन, ये सब बताते हैं कि मानव अभी भी डर और लालच की कठपुतली है, और इसी के चलाए चलता है, कई बार तकनीकी इसे कम करने की बजाए और ज्यादा बढ़ा देती है।" उन्होंने कहा। 

नागेश्वरण के बयान पर टिप्पणी देते हुए (नाम न छापने की शर्त पर) एक सीनियर इकोनॉमिस्ट ने कहा कि चूंकि इनफ्लेशन नई ऊंचाईयों को छू रही है, लोग इस संकट से बचने के लिए हर उस चीज की ओर खिंचे चले जाते हैं जहां पर वे इकट्ठा हो सकते हैं। 

नागेश्वरण बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) समर्थित थिंक टैंक, इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव (India Ideas Conclave) में बोल रहे थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि तकनीकी कितना ही विकास कर ले लेकिन मानव के लालच को खत्म नहीं कर सकती है। भारत अब महामारी के लगभग खत्म होने के बाद इससे उबर कर आगे बढ़ रहा था, और अर्थव्यवस्था के चौथे एडिशन की ओर चल रहा था। 

उन्होंने 1991 में आई बड़े उदारीकरण की नीति का जिक्र किया और इसे इकोनॉमी का पहले एडिशन कहा। जिसमें यूपीए सरकार ने सामाजिक अधिकार योजना पर फोकस किया। उसके बाद 2004 में इन्हें सशक्तिकरण और संवैधानिक अधिकार (भोजन, शिक्षा और रोजगार की गारंटी) के रूप में पेश किया, जिसे इकोनॉमी का सेकेंड एडिशन माना गया। उसके बाद मोदी सरकार की भूमि और श्रम मार्केट को परिवर्तित करने की कोशिश को तीसरा एडिशन बताया। उन्होंने कहा कि अब यह इकोनॉमी का चौथा एडिशन है जो अगले 25 सालों के लिए देश की अर्थव्यवस्था और भविष्य को आकार देगा। 
 

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हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

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