Crypto और NFT विज्ञापनों के लिए बनी गाइडलाइंस, डिस्‍क्‍लेमर में करना होगा अलर्ट

ऑडियो विज्ञापन के आखिर में डिस्‍क्‍लेमर बोलना होगा, जिसके वॉयसओवर की गति सामान्य होनी चाहिए।

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शॉमिक सेन भट्टाचार्जी, अपडेटेड: 23 फरवरी 2022 16:43 IST
ख़ास बातें
  • वर्चुअल डिजिटल असेट्स (VDA) विज्ञापनों के लिए गाइलाइंंस आई हैं
  • सभी विज्ञापनों में अब डिस्‍क्‍लेमर देना जरूरी होगा
  • बताना होगा कि क्रिप्टो प्रोडक्‍ट्स और NFT अन-रेगुलेटेड हैं

विज्ञापनों में अब ‘करेंसी’, ‘सिक्‍योरिटीज’, ‘कस्‍टोडियन’ और ‘डिपॉजि‍टरी’ जैसे शब्‍दों का इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकेगा।

क्रिप्‍टो और NFT से जुड़े विज्ञापनों पर विज्ञापनदाताओं को अब कई बातों का ध्‍यान देना होगा। देश के एडवर्टाइजिंग वॉचडॉग ‘एडवर्टाइजिंग स्‍टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने क्रिप्टो और नॉन फंजिबल टोकन्‍स (NFT) जैसे वर्चुअल डिजिटल असेट्स (VDA) विज्ञापनों के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। एक अप्रैल या उसके बाद प्रभावी होने के लिए तैयार ASCI की नई गाइडलाइंस में क्रिप्टो विज्ञापनों के लिए मानकीकृत डिस्‍क्‍लोजर्स को अनिवार्य किया गया है और ‘करेंसी' जैसे शब्दों के इस्‍तेमाल पर बैन है। वॉचडॉग इसे निवेशकों के लिए भ्रामक मानता है। 15 अप्रैल से पहले गाइडलाइंस का पालन नहीं करने वाले मौजूदा और पुराने विज्ञापनों को सार्वजनिक मंचों पर प्रसारित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

गाइडलाइंस के अनुसार, एक अप्रैल या उसके बाद रिलीज होने वाले सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट-संबंधित विज्ञापनों में डिस्‍क्‍लेमर होना चाहिए। इसमें लिखा होना चाहिए कि क्रिप्टो प्रोडक्‍ट्स और NFT अन-रेगुलेटेड हैं और ज्‍यादा जोखिम भरे हो सकते हैं। डिस्‍क्‍लेमर को प्रिंट, वीडियो और ऑडियो मीडिया के प्रमोशनल कंटेंट में इस्‍तेमाल करना होगा। शॉर्ट डिस्‍क्‍लेमर का इस्‍तेमाल करते हुए पूरे डिस्‍क्‍लेमर का लिंक भी दिया जा सकता है। 
 
गाइडलाइंस के अनुसार, प्रिंट या स्टैटिक में विज्ञापन के नीचे विज्ञापन वाली जगह के कम से कम 1/5 भाग के बराबर डिस्‍क्‍लेमर होना चाहिए। वह एक प्‍लेन बैकग्राउंड में आसानी से पढ़े जा सकने वाले फॉन्‍ट में और जगह के हिसाब से अधिकतम फॉन्‍ट साइज में होना चाहिए।  

वहीं, ऑडियो विज्ञापन के आखिर में डिस्‍क्‍लेमर बोलना होगा, जिसके वॉयसओवर की गति सामान्य होनी चाहिए। ये गाइडलाइंस सोशल मीडिया पोस्ट को भी कवर करती हैं।

VDA प्रोडक्‍ट्स या इसकी सर्विसेज से जुड़े विज्ञापनों में अब ‘करेंसी', ‘सिक्‍योरिटीज', ‘कस्‍टोडियन' और ‘डिपॉजि‍टरी' जैसे शब्‍दों का इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकेगा। एडवर्टाइजिंग बॉडी ने विज्ञापनदाताओं को ऐसा करने से रोक दिया है, क्‍योंकि कंस्‍यूमर्स इन टर्म्‍स को रेगुलेटेड प्रोडक्‍ट्स से जोड़कर देखते हैं।   
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इतना ही नहीं, VDA प्रोडक्‍ट्स की कॉस्‍ट या प्रॉफ‍िट के बारे में जानकारी देने वाले विज्ञापनों में अब स्पष्ट, सटीक और पर्याप्त जानकारी देनी होगी। ASCI ने उदाहरण देते हुए बताया है कि 'जीरो कॉस्‍ट' में उन सभी कॉस्‍ट को शामिल करना होगा जो कंस्‍यूमर्स के ट्रांजैक्‍शंस से जुड़ी हो सकती हैं। क्‍योंकि ASCI ने इस कैटिगरी को ‘रिस्‍की' माना है। ऐसे में क्रिप्टो या NFT विज्ञापनों में नजर आने वाले सिलेब्रिटीज और प्रमुख हस्तियों को भी गाइडलाइंस का खास खयाल रखना होगा। 

इस बीच, इंडस्‍ट्री से जुड़े प्‍लेयर्स ASCI की गाइडलाइंस को सही दिशा में बढ़ाए गए कदम के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि गाइडलाइंस होने से क्रिप्‍टो सर्विस प्रोवाइडर्स को विज्ञापन से जुड़े प्‍लान्‍स बनाने में मदद मिलेगी। 
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ये भी पढ़ेंभारतीय एक्सचेंजों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें

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