Mobile cloning क्या है? जानें इसके बारे में सब कुछ

हालांकि, फोन की क्लोनिंग निजी तौर पर गैरकानूनी है। अथॉरिटी यूज़र के फोन का डेटा एक्सेस करने के लिए कानूनी तौर पर फॉरेंसिक का सहारा लेते हैं।

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जगमीत सिंह, अपडेटेड: 24 सितंबर 2020 18:57 IST
ख़ास बातें
  • WhatsApp चैट का गूगल ड्राइव या आईक्लाउड से बैकअप लिया जा सकता है
  • मोबाइल फोन क्लोनिंग का इस्तेमाल पिछले काफी समय से हो रहा है
  • स्मार्टफोन की दुनिया में ऐप से भी की जा सकती है मोबाइल क्लोनिंग
क्या अथॉरिटी आपके WhatsApp अकाउंट को एक्सेस कर सकती है? यह सवाल आपके दिमाग में भी तब जरूर आया होगा जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने दीपिका पादुकोण और श्रद्धा कपूर को उनके साल 2017 व्हाट्सऐप चैट के आधार पर समन ज़ारी किया था। यह चैट्स टैलेंट मैनेजर जया शाह के मोबाइल फोन से ली गई हैं। लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि उन चैट्स को फोन से कैसे रीट्रीव (पुनः प्राप्त) किया गया? कई लोगों का मानना है कि मोबाइल क्लोनिंग के सहारे ऐसा किया गया होगा। यह कोई नई टेक्नोलॉजी नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल कई सालों से हो रहा है।

मोबाइल फोन क्लोनिंग का इस्तेमाल पिछले काफी समय से हो रहा है। इस तकनीक के जरिए क्लोन किए जा रहे फोन के डेटा व सेलुलर आइडेंटिडी को एक नए फोन में कॉपी किया जाता है। हालांकि, फोन की क्लोनिंग निजी तौर पर गैरकानूनी है। अथॉरिटी यूज़र के फोन का डेटा एक्सेस करने के लिए कानूनी तौर पर फॉरेंसिक का सहारा लेते हैं। इस प्रक्रिया में International Mobile Station Equipment Identity (IMEI) नंबर की ट्रांसफरिंग भी इनेबल होती है।

फोन क्लोनिंग के लिए महज प्रोग्रामिंग स्किल्स की जरूरत होती है और कुछ ही मिनटों में एक फोन का पूरा का पूरा डेटा दूसरे डिवाइस में पहुंच जाता है। पहले डेटा कॉपी करने के लिए फोन हाथ में लेना जरूरी होता था, लेकिन एडवांस हो रही स्मार्टफोन की दुनिया में अब यह भी जरूरी नहीं रह गया है। अब महज ऐप के इस्तेमाल से फोन क्लोनिंग की जा सकती है, वो भी बिना फोन को छूए।

क्लोनिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद, पुराने फोन की व्हाट्सऐप चैट को नए फोन के क्लाउड में मौजूद रिसेंट बैकअप स्टोर में जाकर एक्सेस किया जा सकता है या फिर आईक्लाउड के गूगल ड्राइव में जाकर। आपके पास फोन कौन-सा है यह इस पर निर्भर करता है।

यह ध्यान देना जरूरी है कि व्हाट्सऐप चैट आपके फोन में एन्क्रिप्टेड है और बात-चीत भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड है। लेकिन व्हाट्सऐप बैकअप के साथ ऐसा नहीं है, इसे फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी द्वारा एन्क्रिप्ट नहीं किया गया है।
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WhatsApp ने अपने FAQ पोस्ट में साफ बताया है कि फोन का बैकअप फोन नंबर और गूगल अकाउंट से जुड़ा होता है। इसका मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति आपके बैकअप से चैट को आसानी से हासिल कर सकता है। हालांकि, फोन क्लोनिंग में रीसेंट बैकअप के जरिए चैट्स को ट्रांसफर किया जा सकता है। आपको बता दें, Huawei ने अपने फोन में खासतौर पर एक ऐसा प्रोसेस दिया था, जहां यूज़र्स पहले से फोन में आने वाले क्लोन ऐप का इस्तेमाल करके बैकअप से व्हाट्सऐप डेटा प्राप्त कर सकते थे।
 

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