ऐप्पल के फ्लैगशिप स्मार्टफोन आईफोन 6एस प्लस मार्केट में 749 डॉलर में उपलब्ध है, लेकिन एक रिसर्च फर्म का दावा है कि कंपनी को इस हैंडसेट को डेवलप करने में 236 डॉलर का खर्च बैठा है।
आईएचएस टेक्नोलॉजी द्वारा किए गए टियरडाउन रिसर्च के बाद अनुमान लगाया गया है कि खर्च 236 डॉलर के आसपास रहा होगा।
दरअसल, इस रिसर्च कंपनी ने ऐप्पल के इस नए डिवाइस को पूरी तरह से खोलकर उसके हर कंम्पोनेंट का अध्ययन किया। मार्केट में इलेक्ट्रॉनिक सामान के दाम को ध्यान में रखते हुए आईफोन 6एस प्लस के अंदर मौजूद प्रोडक्ट की कीमत का अनुमान लगाया गया। इसके बाद रिसर्च फर्म इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ऐप्पल को इस डिवाइस को बनाने में करीब 236 डॉलर लगे होंगे जो मार्केट कीमत के एक तिहाई से भी थोड़ा कम है।
आईफोन 6एस का ऐसा ही टियरडाउन ब्योरा तो नहीं दिया गया है लेकिन आईएचएस का अनुमान है कि कंपनी को इसमें आईफोन 6एस प्लस की तुलना 20 डॉलर कम यानी 211.50 डॉलर खर्चना पड़ा होगा।
हालांकि, आईएचएस के रिसर्च डायरेक्टर एंड्र्यू रासविलर ने बताया कि इस तरह के अध्ययन की कुछ सीमाएं भी होती है। क्योंकि इसमें शिपिंग, स्टोर में रखने, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और मार्केटिंग में होने वाले खर्च को शामिल नहीं किया जाता है।
आईएचएस की रिसर्च में पाया गया है कि आईफोन 6एस और 6एस प्लस स्मार्टफोन कंपनी के पूर्ववर्ती डिवाइस से ज्यादा मजूबत हैं। जो ब्योरा सामने आया है उससे तो यही लगता है कि ऐप्पल की कोशिश अपने हैंडसेट को और मजबूत बनाने की है ताकि वे लंबे समय तक टिकें।
अगर डिवाइस की स्टोरेज को लिया जाए तो आईएचएस का अनुमान है कि यह बेहद ही सस्ता है। इसकी कीमत होगी एक गीगाबाइट के लिए 32 सेंट्स। इसके आधार पर 16 गीगाबाइट्स से 64 गीगाबाइट्स की स्टोरेज में अपग्रेड करने पर ऐप्पल को 17 डॉलर का खर्च बैठा होगा। वहीं, कंज्यूमर मार्केट में इसके लिए 100 डॉलर अतिरिक्त चुका रहे हैं।
रिसर्च में कहा गया है कि ऐप्पल ने टच डिस्प्ले के लिए 52.50 डॉलर खर्चा है। अनुमान है कि कंपनी ने 3डी टच टेक्नोलॉजी को कारगर बनाने के लिए स्क्रीन पर तीसरा लेयर जोड़ा है जिसके लिए उसे 10 डॉलर और लगे होंगे।
स्पष्ट कर दें कि ये अनुमान हैं। और ऐप्पल की ओर से इस ब्योरे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।