आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट से लम्बे समय से बात करते आ रहे लोगों में Psychosis के लक्षण पनप सकते हैं। यह दिमागी रूप से इंसान को बीमार बना सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट से लम्बे समय से बात करते आ रहे लोगों में Psychosis के लक्षण पनप सकते हैं।
Photo Credit: Freepik
AI या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जहां एक तरफ दुनियाभर के फायदे गिनाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यह आपके दिमाग के साथ ऐसा खेल खेल सकता है कि आपको असली-नकली का फर्क करना मुश्किल हो सकता है। जी हां, AI आपको दिमागी रूप से बीमार बना सकता है। इस बीमारी का नाम है साइकोसिस। AI और इंसानी दिमाग के संबंध को लेकर कई स्टडीज की जा चुकी हैं। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि AI इंसान में Psychosis के लक्षण पैदा करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। आइए जानते हैं विस्तार से Psychosis के बारे में, और कैसे AI इसे बढ़ावा दे रहा है!
हालिया शोधों में पाया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट से लम्बे समय से बात करते आ रहे लोगों में Psychosis के लक्षण पनप सकते हैं। यह दिमागी रूप से इंसान को बीमार बना सकता है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साइकोसिस का कारण बन रहा है।
Psychosis या मनोविकृति एक व्यक्ति के मन की वह स्थिति है जब उसे वास्तविक और अवास्तविक के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (NIMH) के अनुसार, साइकोसिस व्यक्ति के अंदर पैदा हुए उन लक्षणों का समूह है जो मन को प्रभावित करते हैं। इसमें पीड़ित व्यक्ति का वास्तविकता से संपर्क टूट जाता है। साइकोसिस के दौरान व्यक्ति के विचार और धारणाएं बाधित हो जाती हैं। उसे यह पहचानने में कठिनाई हो सकती है कि क्या वास्तविक है और क्या नहीं।
NIMH के अनुसार, साइकोसिस के निम्न लक्षण एक पीड़ित व्यक्ति में हो सकते हैं-
The Wall Street Journal के अनुसार, शीर्ष मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि AI चैटबॉट से लम्बे समय से बातें करने या इस्तेमाल करने से लोगों में साइकोसिस के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले 9 महीनों में एक्सपर्ट्स के पास दर्जनों ऐसे मरीज़ आए जिनमें AI टूल्स के साथ लंबे समय तक भ्रम भरी बातचीत के बाद साइकोसिस के लक्षण दिखाई दिए।
सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक कीथ सकाता के अनुसार, तकनीकी भले ही भ्रम पैदा न करे, लेकिन व्यक्ति कंप्यूटर को बताता है कि यह उसकी वास्तविकता है। और फिर कंप्यूटर इसे सच मानकर वापस रिफ्लेक्ट करता है। परिणाम यही कहा जाएगा कि वह उस भ्रम के चक्र में भागीदार होता है। रिपोर्ट की मानें तो OpenAI के GPT समेत और अन्य चैटबॉट के साथ लंबी एआई बातचीत में शामिल होने के बाद लोगों में भ्रमपूर्ण मनोविकृति के दर्जनों संभावित मामले सामने आए हैं। यहां तक कि कई लोगों ने स्वयं की जिंदगी खत्म कर ली। यह काफी चिंताजनक है।
इन घटनाओं के चलते गलत तरीके से हुई मौतों के कई मुकदमे दायर किए गए हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा इन त्रासदियों को कवर किए जाने का दावा किया गया। जिसके बाद डॉक्टर और शिक्षाविद उन घटनाओं के कारणों के दस्तावेज तैयार कर रहे हैं और इनके संबंध में विश्लेषण करने में जुटे हैं।
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।
हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी