नाक में उंगली डालना ऐसा काम है, जिसे कोई भी जानबूझकर नहीं करता। हालांकि ऐसा करने वाले को लोग टोकते हैं, उसका मजाक उड़ाते हैं या पीठ पीछे हंसी करते हैं। कभी इसके वैज्ञानिक पहलू को समझने की कोशिश नहीं की गई। वैज्ञानिकों ने समझने की कोशिश की है कि लोग नाक में उंगली क्यों डालते हैं। उन्होंने यह भी जाना है नाक में उंगली डालने से स्टैफिलोकोकस (Staphylococcus) जैसे बैक्टीरिया फैल सकते हैं। वहीं एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि जो लोग अपनी नाक का मैल खाते हैं, उन्हें कम डेंटल कैविटीज होती हैं। स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया अगर शरीर में फैल जाए, तो व्यक्ति को निमोनिया, हृदय वॉल्व और हड्डियों से जुड़े गंभीर संक्रमण हो सकते हैं।
स्टडी कहती है कि मनुष्य अकेला नहीं है, जो नाक में उंगली डालता है। जानवर भी ऐसा करते हैं। रिसर्चर्स ने प्राइमेट्स (Primate) की 12 प्रजातियों के बारे में ऐसी ही जानकारी जुटाई है। जर्नल ऑफ जूलॉजी में पब्लिश उनके निष्कर्ष इस बात पर रोशनी डाल सकते हैं कि इंसान और जानवर ऐसा क्यों करते हैं।
स्डटी की प्रमुख लेखक और लंदन में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय की वैज्ञानिक ऐनी-क्लेयर फैबरे ने कहा कि इस बारे में बहुत कम सबूत हैं कि हम और बाकी जानवर ऐसा क्यों करते हैं। उन्होंने कहा, इस बारे में तमाम रिसर्चों में जो भी लिखा गया है वह चुटकुले से कम नहीं। नाक में उंगली डालने को लेकर मनोवैज्ञानिक रूप से कुछ सीरीयस स्टडी की गई हैं, लेकिन बायलॉजिकली इस बारे में कुछ बेहतर नहीं लिखा गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐ-ऐ (aye-aye) नाम का एक प्राइमेट जोकि मूल रूप से मेडागास्कर (Madagascar) में पाया जाता है, वह भी कुछ ऐसा ही करता है। रिसर्चर्स ने जाना कि यह प्राइमेट अपनी नाक में हाथ की सबसे लंबी उंगली को डालता है। उसके इस बिहेवियर को समझने के लिए रिसर्चर्स ने एक इमेजिंग तकनीक का उपयोग किया जिसे CT स्कैन के रूप में जाना जाता है। यह डॉक्टरी में इस्तेमाल होने वाली एक आम तकनीक है। वैज्ञानिकों ने जाना कि ऐ-ऐ के पास ऐसा करने के लिए एक विशेष उंगली है वह अपनी बीच की उंगली का इस्तेमाल ऐसा करने के लिए करता है। हो सकता है यही आदत इंसानों में भी डेवलप हुई हो। हालांकि ऐसा करने से शरीर में बैक्टीरिया फैल सकता है।