पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली जगजाहिर है। दुनिया का शायद ही कोई देश होगा, जो एक कर्ज को उतारने के लिए दूसरा कर्ज लेता है। जिस पाकिस्तान में आटा पाने के लिए भगदड़ मचती है, वह चांद के ख्वाब देख रहा है। पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी के प्रमुख को लगता है कि वह चीन की लीडरशिप वाले इंटरनेशनल लूनार रिसर्च स्टेशन (ILRS) में अहम भूमिका निभा सकता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान बहुत जल्द चीन के साथ ILRS पर एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहता है।
पाकिस्तान की
स्पेस एजेंसी जिसे सुपारको (SUPARCO) भी कहा जाता है, उसके चेयरमैन आमेर नदीम पिछले महीने चीन पहुंचे थे। उन्होंने दक्षिण-पूर्व चीन में डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन लेबोरेटरी का दौरा किया। उसी दौरान नदीम ने यह जानकारी मीडिया को दी।
SCMP ने रिपोर्ट में बताया है कि चीन का लूनार रिसर्च स्टेशन साल 2050 तक पूरी तरह से काम करना शुरू कर सकता है। पाक की स्पेस एजेंसी के चीफ आमेर नदीम जिस लैब में पहुंचे थे, वह अनहुई प्रांत के हेफेई में है। इस दौरान उन्हें चीन के लूनार मिशन की जानकारी दी गई। चीनी लूनार एक्स्प्लोरेशन प्रोग्राम के चीफ डिजाइनर और लेबोरेटरी डायरेक्टर वू वीरेन ने नदीम को ब्रीफ किया।
वू ने चीन के लूनार रिसर्च स्टेशन से जुड़ने के पाकिस्तान के कदम का स्वागत किया। वैसे पाकिस्तान अकेला नहीं है। चीन के ILRS से जुड़ने के लिए अबतक आधा दर्जन देश उसके साथ समझौतों पर साइन कर चुके हैं। रिपोर्ट कहती है कि वू वीरेन ने यह भी बताया कि चीन अभी 10 से ज्यादा देशों के साथ और बाचतीत कर रहा है, ताकि उन्हें भी इंटरनेशनल लूनार रिसर्च स्टेशन पर होने वाले मिशनों से जोड़ा जा सके।
पाकिस्तान के पास भले खाने के लाले पड़े हैं, लेकिन उसकी स्पेस की महत्वाकांक्षा काफी ऊंची नजर आती है। पाकिस्तान और चीन 3 दशकों से स्पेस के सेक्टर में स्ट्रीटिजिक पार्टनर हैं। चीन ने पाकिस्तान को कम्युनिकेशन सैटेलाइटन और रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट समेत कई तरह के उपग्रह डेवलप और लॉन्च करने में मदद की है। चीन और पाकिस्तान ने साल 2019 में भी समझौतों पर साइन किए थे। इसके तहत चीन, पाकिस्तान के अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग देगा।