इंसान का शरीर ऐसे सिस्टम पर काम करता है, जिसमें वह खुद की देखभाल कर सकता है। वैज्ञानिक इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि हार्ट अटैक के बाद शरीर खुद को कैसे रिपेयर करता है। वैज्ञानिकों का मकसद उस नजरिए को सामने लाना है, जो ज्यादा प्रभावी कार्डियोवैस्कुलर थेरेपी के बारे में बताएगा। फिलहाल एक नई रिसर्च में यह पता चला है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) और लसीका प्रणाली (lymphatic system यह हमारे इम्युन सिस्टम का हिस्सा होता है) हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने के बाद उसकी मरम्मत करने की क्षमता रखते हैं। इसमें मैक्रोफेज की अहम भूमिका होती है। यह ऐसी विशेष कोशिकाएं हैं, जो बैक्टीरिया को खत्म कर सकती हैं।
रिसर्च में पता चला है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद मैक्रोफेज यानी विशेष कोशिकाएं VEGFC नाम का एक खास प्रकार का प्रोटीन रिलीज करती हैं। ये विशेष कोशिकाएं पीडि़त व्यक्ति के शरीर में मृत ऊतक या टिशू को ‘खाने' के लिए उसके हार्ट में जाती हैं। जहां वह वीईजीएफसी पैदा करती हैं। यह हार्ट से जुड़े इलाज में शरीर की मदद करता है।
दिल को पूरी तरह से ठीक करने के लिए मृत कोशिकाओं को साफ किया जाना जरूरी है। इस प्रक्रिया को एफेरोसाइटोसिस (efferocytosis) कहा जाता है और मैक्रोफेज इसमें एक अहम भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिकों को अपनी रिसर्च में पता चला कि अच्छे वीईजीएफसी पैदा करने वाले मैक्रोफेज ने लैब में हार्ट की फंक्शनिंग को बेहतर किया।
अमेरिका के इलिनोइस में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजिस्ट एडवर्ड थोर्प ने
कहा कि अब हमारी चुनौती बढ़ गई है। हम एक ऐसा तरीका खोजना चाहते हैं, जिससे ये मैक्रोफेज ज्यादा से ज्यादा वीईजीएफसी को रिलीज कर सकें। स्टडी की ये फाइंडिंग्स ‘जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन' में
रिपोर्ट की गई हैं।
रिसर्चर्स का मानना है कि फ्यूचर में होने वाले अध्ययनों में अच्छे मैक्रोफेज की संख्या को बढ़ाने पर फोकस किया जा सकता है साथ ही खराब मैक्रोफेज की संख्या को कम करने के तरीके खोजे जा सकते हैं। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वेस्कुलर साइंटिस्ट गिलर्मो ओलिवर ने कहा है कि रिसर्च के दौरान वो यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि कार्डियक अटैक के बाद हार्ट फेल कैसे डेवलप हुआ।
भले ही वैज्ञानिक यह समझने में लगे हुए हैं कि हृदय रोग कैसे होता है और इसके खतरे को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है, एक सच यह भी है कि हार्ट फेल की वजह से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है। उम्मीद है भविष्य में इसके खतरे को कम किया जा सकेगा।