श्रीलंका के पोर्ट पर खड़ा चीनी ‘जासूसी’ जहाज Yuan Wang 5 भारत के लिए कितना बड़ा खतरा? मिसाइल-सैटेलाइट ट्रैक करने की है क्षमता

भारत सरकार ने हिंद महासागर में इस जहाज की मौजूदगी पर चिंता व्‍यक्‍त की है। वहीं, चीन कह रहा है कि यह जहाज उसने अपने सैटेलाइट्स को ट्रैक करने के लिए तैनात किया है।

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प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 19 अगस्त 2022 12:32 IST
ख़ास बातें
  • चिंताओं की वजह इस जहाज में मौजूद टेक्‍नॉलजी है
  • यह भारत के सैटेलाइट्स को ट्रैक कर सकता है
  • यह जहाज हमारी लॉन्‍च साइट पर भी निगरानी रख सकता है

भारतीय चिंताओं की वजह इस जहाज में मौजूद टेक्‍नॉलजी है, जिसके दम पर चीन भारत की “जासूसी’ कर सकता है।

चीन की तकनीक और सैन्‍य क्षमताएं पूरी दुनिया को चिंता में डाल रही हैं। भारत और चीन के रिश्‍ते उत्तर में गलवान से लेकर अरुणाचल तक बॉर्डर पर आमने-सामने डटी सेनाओं के साथ नाजुक मोड़ पर हैं। देश का दक्षिणी इलाका आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। यहां के समुद्र यानी हिंद महासागर में भी भारतीय नेवी का दबदबा है। लेकिन श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर बीते 16 अगस्‍त से खड़ा एक चीनी पोत भारत के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। इसका नाम ‘युआन वांग-5' (Yuan Wang 5) है, जिसे चीन अपना रिसर्च और सर्वे जहाज बता रहा है। भारत सरकार ने हिंद महासागर में इस जहाज की मौजूदगी पर चिंता व्‍यक्‍त की है। वहीं, चीन कह रहा है कि यह जहाज उसने अपने सैटेलाइट्स को ट्रैक करने के लिए तैनात किया है। भारतीय चिंताओं की वजह इस जहाज में मौजूद टेक्‍नॉलजी है, जिसके दम पर चीन भारत की “जासूसी' कर सकता है। ‘युआन वांग-5' देश के लिए कितना बड़ा चैलेंज है, आइए जानते हैं।
 

ऐसे 4 पोत है चीन के पास

रिपोर्टों के अनुसार, चीन के पास अलग-अलग कैटिगरी के कई जहाज हैं। इनमें से ज्‍यादातर हाईटेक तकनीकों से लैस हैं। ‘युआन वांग-5' बाकियों से और उन्‍नत है। साल 1978 से इस सीरीज के जहाज चीनी सेना में सर्विस दे रहे हैं। ‘युआन वांग-5' इस सीरीज का 5वां जहाज है, जो 25 हजार टन का है। इस सीरीज के फ‍िलहाल 4 पोत चीन के पास हैं। इनमें ‘युआन वांग-3', ‘युआन वांग-5', ‘युआन वांग-6' और ‘युआन वांग-7' शामिल हैं। ‘युआन वांग-4' कई साल पहले एक हादसे में बर्बाद हो गया था। 
 

संचालन है बड़ी चिंता

चीन भले ही यह कहता रहे कि ‘युआन वांग-5' के जरिए वह सिर्फ अपने सैटेलाइट्स को ट्रैक कर रहा है, लेकिन बात यहीं खत्‍म नहीं होती। चीन की मंशा साफ होती, तो इस जहाज के संचालन की जिम्‍मेदारी चीनी अंतरिक्ष एजेंसी की होती। लेकिन ऐसा नहीं है। इस जहाज को चीनी आर्मी ऑपरेट करती है। उस पर भी जहाज को एकदम भारत के नजदीक लाकर श्रीलंका के पोर्ट पर खड़ा कर देना परेशानी की बड़ी वजह है। भारत के इतने करीब आकर चीन हमारी जासूसी कर सकता है। वैसे भी जासूसी के मामले में चीन का ट्रैक रिकॉर्ड खराब है। उसकी कई टेक कंपनियों, ऐप्‍स पर इस तरह के आरोप लग चुके हैं। कई ऐप्‍स तो देश में ब्‍लॉक भी किए गए हैं। 
 

सैटेलाइट्स-मिसाइस को कर सकता है ट्रैक

‘युआन वांग-5' के श्रीलंका में खड़े रहने से चीन भारत के सैटेलाइट्स को ट्रैक कर सकता है। इसमें लगे हाईटेक रेडियो एंटीना, रडार और बाकी इंस्‍ट्रूमेंट किसी भी सैटेलाइट को ट्रैक कर सकते हैं। भारत के एकदम नजदीक आकर यह जहाज हमारी लॉन्‍च साइट पर भी निगरानी रख सकता है। ज्‍यादातर लॉन्‍च साइट दक्षिण भारत में ही हैं। यह ‘जासूसी' जहाज मिसाइलों को ट्रैक कर सकता है। भारत के नजदीक खड़ा होकर यह हमारी मिसाइलों पर भी नजर गड़ा सकता है। इसका डिजाइन ऐसा है कि यह खराब से खराब मौसम में भी काम करता है। 
 

 

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