ज्ञानवापी केस : क्या होती है कार्बन डेटिंग, कैसे किया जाता है इसका इस्‍तेमाल

Gyanvapi case : हालांकि इसका इस्‍तेमाल चट्टानों या पत्‍थर की उम्र का पता लगाने के लिए नहीं किया जाता है। कार्बन डेटिंग सिर्फ उन चट्टानों के लिए काम करती है, जो 50,000 साल से कम उम्र की हैं।

विज्ञापन
Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 12 अक्टूबर 2022 19:00 IST
ख़ास बातें
  • याचिका में ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग की गई है
  • याचिका का मकसद यह जानना है कि वह ढांचा फव्वारा है या शिवलिंग
  • ऐसे में कार्बन डेटिंग काफी महत्‍वपूर्ण हो जाती है

Gyanvapi case : कार्बन डेटिंग सदियों से मौजूद वस्तुओं के इतिहास समेत विभिन्न प्रजातियों के विकास की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Photo Credit: सांकेतिक तस्‍वीर

वाराणसी का ज्ञानवापी केस (Gyanvapi Case) सुर्खियों में है। वहां की जिला अदालत एक कथित ‘शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका पर 14 अक्टूबर को फैसला सुनाएगी। दावा किया गया है कि वह ‘शिवलिंग' ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाया गया है। याचिका में ‘शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक जांच कराने की मांग की गई है। यह मांग भी है कि जांच के दौरान शिवलिंग को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाया जाए। याचिका का मकसद यह जानना है कि वह ढांचा फव्वारा है या शिवलिंग। क्‍योंकि मामला विज्ञान से जुड़ा है और कार्बन डेटिंग इसका मुख्‍य पहलू है, इसलिए हमें यह जानना चाहिए कि आखिर कार्बन डेटिंग होती क्‍या है। 

कार्बन डेटिंग वह प्रोसेस है, जिसकी मदद से पेड़, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की उम्र का पता लगाया जा सकता है। हर वह चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी अनुमानित आयु का पता कार्बन डेटिंग से लगाया जा सकता है। हमारे पर्यावरण में कार्बन के 3 आइसोटोप होते हैं। ये हैं- कार्बन-12 (कार्बन डाईऑक्साइड), कार्बन-13 और कार्बन-14। किसी चीज की आयु का पता लगाने के लिए कार्बन-14 की जरूरत होती है। 

हालांकि इसका इस्‍तेमाल चट्टानों या पत्‍थर की उम्र का पता लगाने के लिए नहीं किया जाता है। कार्बन डेटिंग सिर्फ उन चट्टानों के लिए काम करती है, जो 50,000 साल से कम उम्र की हैं। वैसे कुछ और तरीके भी हैं जिनकी मदद से चट्टानों की उम्र का पता लगाया जा सकता है। 

कार्बन डेटिंग सदियों से मौजूद वस्तुओं के इतिहास समेत विभिन्न प्रजातियों के विकास की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कार्बन डेटिंग के लिए एक शर्त यह है कि इसे केवल उस पदार्थ पर लागू किया जा सकता है जो कभी जीवित था या वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकता था। दुनिया भर में पुरातत्वविदों, जीवाश्म विज्ञानियों द्वारा वस्तुओं की उम्र का अनुमान लगाने के लिए कार्बन डेटिंग का इस्‍तेमाल सबसे ज्‍यादा किया जाता है। 

उम्र निर्धारण करने की इस तकनीक का आविष्कार 1949 में शिकागो यूनिवर्सिटी के विलियर्ड लिबी ने किया था। इसके लिए उन्हें 1960 में नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था। बहरहाल, अब सभी की नजरें अदालत के फैसले पर हैं। 14 अक्टूबर को अगर कार्बन डेटिंग की इजाजत दी जाती है, तो यह देखना दिलचस्‍प रहेगा कि रिसर्चर्स कथित शिवलिंग की उम्र का पता लगाने के लिए उस वस्‍तु से क्‍या और कैसे खोजते हैं। 
 

 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Flipkart Buy Buy 2025 सेल में Rs 9 हजार से भी सस्ते मिल रहे Samsung, Redmi, Poco के धांसू फोन
  2. Razer के नए Hammerhead V3 इयरफोन्स लॉन्च, 11mm ड्राइवर से लैस, जानें कीमत
#ताज़ा ख़बरें
  1. Ola Electric को लगा झटका, बिक्री घटकर हुई आधी
  2. Vivo S50, S50 Pro Mini की लॉन्च डेट लीक, 16GB रैम के साथ मिलेगा दमदार प्रोसेसर!
  3. Flipkart Buy Buy 2025 सेल में Rs 9 हजार से भी सस्ते मिल रहे Samsung, Redmi, Poco के धांसू फोन
  4. Razer के नए Hammerhead V3 इयरफोन्स लॉन्च, 11mm ड्राइवर से लैस, जानें कीमत
  5. संभलकर! AI से कभी न करें ऐसे सवाल, हो सकता है भारी नुकसान
  6. ये हैं एलियन इयरबड्स! Nubia के CyberBuds अनोखी थीम के साथ लॉन्च, 48 घंटे की बैटरी
  7. Flipkart Buy Buy 2025 Sale: Rs 20 हजार से सस्ते मिल रहे Vivo T4R 5G, Motorola G96 5G, Galaxy A35 5G जैसे धांसू फोन
  8. 32 इंच बड़े डिस्प्ले के साथ सस्ता टीवी Xiaomi ने किया लॉन्च, जानें खास फीचर्स
  9. भारत में स्मार्टफोन लोकेशन ट्रैकिंग के प्रपोजल के खिलाफ Apple और Samsung
  10. Tata Motors के लिए Harrier इलेक्ट्रिक बनी सबसे अधिक बिकने वाला EV
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.