बचपन में लगा सदमा दिमाग, शरीर पर ऐसे डालता है गहरा असर!

कॉर्टिसोल हार्मोन जब बहुत अधिक मात्रा में रिलीज होता है तो नुकसानदेह होता है।

बचपन में लगा सदमा दिमाग, शरीर पर ऐसे डालता है गहरा असर!

बचपन का समय किसी भी व्यक्ति के तंत्रिका विकास के लिए सबसे संवेदनशील समय होता है।

ख़ास बातें
  • बचपन का समय व्यक्ति के तंत्रिका विकास के लिए सबसे संवेदनशील होता है।
  • बचपन में घटित प्रतिकूलताओं के न्यूरोबायोलॉजिकल प्रभावों को समझना जरूरी।
  • कॉर्टिसोल जब बहुत अधिक मात्रा में रिलीज होता है तो नुकसानदेह होता है।
विज्ञापन
प्रारंभिक जीवन में दिमाग पर कोई बड़ा आघात लग जाए तो यह जीवनभर के लिए मनुष्य के व्यवहार पर असर डाल सकता है। इतिहास में झांक कर देखें तो 1966 में रोमानियाई तानाशाह निकोलाए चाउसेस्कु ने देश की जन्म दर बढ़ाने के लिए बेहद कड़ी नीतियां लागू कीं। इसके कारण बच्चों को बड़े पैमाने पर छोड़ दिया गया। ये बच्चे भयावह परिस्थितियों में अनाथालयों में चले गए जहाँ उन्हें किसी तरह की देखभाल, या प्यार नहीं मिला। यह घटना बेहद दुखद थी लेकिन इसने हमें प्रारंभिक जीवन में लगे आघातों के प्रभावों के बारे में बहुत कुछ सीखने का मौका दिया।

इन बच्चों पर किए गए शोध में पाया गया कि इनमें से कई बच्चों के दिमाग का आकार छोटा था। यानी आंशिक रूप से यह उनके खराब संज्ञानात्मक प्रदर्शन (cognitive performance) को बताता है। यह क्षीणता उन बच्चों में अधिक गंभीर थी, जिन्होंने अनाथालयों जैसे संस्थानों में लम्बा समय बिताया था।

बचपन का समय किसी भी व्यक्ति के तंत्रिका विकास के लिए सबसे संवेदनशील समय होता है। लेकिन दुख की बात है कि इसे कई तरह से बाधित भी किया जा सकता है। मसलन, दुर्व्यवहार करके, अपशब्द कहकर, बच्चे को नजरअंदाज करके, या फिर उसे युद्ध और हिंसा जैसी परिस्थितियों में धकेलकर। 

बचपन में घटित इस तरह की प्रतिकूलताओं के न्यूरोबायोलॉजिकल प्रभावों को समझकर हम इसके दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में जान सकते हैं और उनका इलाज करने में सक्षम हो सकते हैं। साक्ष्य बताते हैं कि ये विशेष रूप से मेन स्ट्रेस रेगुलेशन सिस्टम को प्रभावित करते हैं, जिसे हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रिनल एक्सिस के रूप में जाना जाता है। इस सिस्टम की एक्टिविटी को कॉर्टिसोल (cortisol) जैसे हार्मोन के माध्यम से मापा जा सकता है, जिसे सामूहिक रूप से ग्लूकोकोर्टिकोइड्स के रूप में जाना जाता है।

कॉर्टिसोल जब साधारण मात्रा में रिलीज होता है तो शरीर को किसी खतरे से लड़ने में मदद करता है। लेकिन जब यह बहुत अधिक मात्रा में रिलीज होता है तो नुकसानदेह होता है। युद्ध, लड़ाई, हिंसा जैसी परिस्थितियों में बच्चों के अंदर अत्यधिक मात्रा में रिलीज होता है। यहां पर जरूरी हो जाता है कि व्यक्ति हार न माने। रिसर्च कहती है कि मस्तिष्क अत्यधिक लचीला होता है, और कई व्यक्ति इस तरह के शुरुआती ट्रॉमा पर काबू पा सकते हैं। मनोविज्ञान में, इस प्रक्रिया को लचीलापन (resilience) कहा जाता है।
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Vivo T4 5G आ रहा 7300mAh बैटरी, 90W चार्जिंग के साथ, 22 अप्रैल के लॉन्च पहले जानें सबकुछ
  2. Motorola Edge 60 Fusion या Realme 14 Pro, Rs 25 हजार से कम में कौन सा है बेस्ट?
  3. Tata Motors का Harrier इलेक्ट्रिक की रेंज लगभग 500 किलोमीटर रखने का टारगेट
  4. IPL 2025 Match Live Streaming: आज IPL में PBKS vs RCB, और CSK vs MI का मुकाबला, यहां देखें फ्री!
  5. 140W आउटपुट, 20000mAh बैटरी वाला पावरबैंक Lenovo ThinkPlus लॉन्च, जानें कीमत
  6. ट्रिप पर जाने का है प्लान तो मौसम पर नजर रखने के लिए ध्यान रखें ये बातें
  7. AOC ने लॉन्च किया 27 इंच बड़ा, 180Hz रिफ्रेश रेट वाला गेमिंग मॉनिटर, जानें कीमत
  8. Xiaomi का AI 4K स्मार्ट कैमरा देगा 'बच्चे के रोने का अलर्ट', दूर बैठे घर में पालतू कुत्ते-बिल्ली पर रखें नजर!
  9. Flipkart Fitness Carnival: Rs 9 हजार तक सस्ती खरीदें Galaxy Watch FE, CMF Watch Pro, Noise Pro 6 जैसी स्मार्टवॉच, जानें ऑफर्स की पूरी लिस्ट
  10. मोबाइल सर्विसेज हो सकती हैं महंगी, टेलीकॉम कंपनियों की टैरिफ बढ़ाने की योजना
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »