बचपन में लगा सदमा दिमाग, शरीर पर ऐसे डालता है गहरा असर!

कॉर्टिसोल हार्मोन जब बहुत अधिक मात्रा में रिलीज होता है तो नुकसानदेह होता है।

विज्ञापन
Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 9 फरवरी 2025 20:46 IST
ख़ास बातें
  • बचपन का समय व्यक्ति के तंत्रिका विकास के लिए सबसे संवेदनशील होता है।
  • बचपन में घटित प्रतिकूलताओं के न्यूरोबायोलॉजिकल प्रभावों को समझना जरूरी।
  • कॉर्टिसोल जब बहुत अधिक मात्रा में रिलीज होता है तो नुकसानदेह होता है।

बचपन का समय किसी भी व्यक्ति के तंत्रिका विकास के लिए सबसे संवेदनशील समय होता है।

प्रारंभिक जीवन में दिमाग पर कोई बड़ा आघात लग जाए तो यह जीवनभर के लिए मनुष्य के व्यवहार पर असर डाल सकता है। इतिहास में झांक कर देखें तो 1966 में रोमानियाई तानाशाह निकोलाए चाउसेस्कु ने देश की जन्म दर बढ़ाने के लिए बेहद कड़ी नीतियां लागू कीं। इसके कारण बच्चों को बड़े पैमाने पर छोड़ दिया गया। ये बच्चे भयावह परिस्थितियों में अनाथालयों में चले गए जहाँ उन्हें किसी तरह की देखभाल, या प्यार नहीं मिला। यह घटना बेहद दुखद थी लेकिन इसने हमें प्रारंभिक जीवन में लगे आघातों के प्रभावों के बारे में बहुत कुछ सीखने का मौका दिया।

इन बच्चों पर किए गए शोध में पाया गया कि इनमें से कई बच्चों के दिमाग का आकार छोटा था। यानी आंशिक रूप से यह उनके खराब संज्ञानात्मक प्रदर्शन (cognitive performance) को बताता है। यह क्षीणता उन बच्चों में अधिक गंभीर थी, जिन्होंने अनाथालयों जैसे संस्थानों में लम्बा समय बिताया था।

बचपन का समय किसी भी व्यक्ति के तंत्रिका विकास के लिए सबसे संवेदनशील समय होता है। लेकिन दुख की बात है कि इसे कई तरह से बाधित भी किया जा सकता है। मसलन, दुर्व्यवहार करके, अपशब्द कहकर, बच्चे को नजरअंदाज करके, या फिर उसे युद्ध और हिंसा जैसी परिस्थितियों में धकेलकर। 

बचपन में घटित इस तरह की प्रतिकूलताओं के न्यूरोबायोलॉजिकल प्रभावों को समझकर हम इसके दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में जान सकते हैं और उनका इलाज करने में सक्षम हो सकते हैं। साक्ष्य बताते हैं कि ये विशेष रूप से मेन स्ट्रेस रेगुलेशन सिस्टम को प्रभावित करते हैं, जिसे हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रिनल एक्सिस के रूप में जाना जाता है। इस सिस्टम की एक्टिविटी को कॉर्टिसोल (cortisol) जैसे हार्मोन के माध्यम से मापा जा सकता है, जिसे सामूहिक रूप से ग्लूकोकोर्टिकोइड्स के रूप में जाना जाता है।

कॉर्टिसोल जब साधारण मात्रा में रिलीज होता है तो शरीर को किसी खतरे से लड़ने में मदद करता है। लेकिन जब यह बहुत अधिक मात्रा में रिलीज होता है तो नुकसानदेह होता है। युद्ध, लड़ाई, हिंसा जैसी परिस्थितियों में बच्चों के अंदर अत्यधिक मात्रा में रिलीज होता है। यहां पर जरूरी हो जाता है कि व्यक्ति हार न माने। रिसर्च कहती है कि मस्तिष्क अत्यधिक लचीला होता है, और कई व्यक्ति इस तरह के शुरुआती ट्रॉमा पर काबू पा सकते हैं। मनोविज्ञान में, इस प्रक्रिया को लचीलापन (resilience) कहा जाता है।
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. OnePlus 13s vs iPhone 16e vs Vivo X200 FE: तीनों के बीच कड़ी टक्कर,देखें कौन है बेस्ट
#ताज़ा ख़बरें
  1. OnePlus 13s vs iPhone 16e vs Vivo X200 FE: तीनों के बीच कड़ी टक्कर,देखें कौन है बेस्ट
  2. Google Pay, Paytm और PhonePe यूजर्स के लिए बड़ा अपडेट, अब बार-बार नहीं कर पाएंगे ये काम, 1 अगस्त से लागू होंगे
  3. आपके नाम पर कितने सिम कार्ड हैं रजिस्टर्ड, घर बैठे ऐसे करें चेक
  4. MG Motor ने भारत में लॉन्च की इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार Cyberster, 200 kmph की टॉप स्पीड 
  5. iQOO जल्द लॉन्च करेगी Z10 Turbo+, MediaTek Dimensity 9400+ चिपसेट
  6. Battlefield 6 गेम का धमाकेदार ट्रेलर रिलीज, 31 जुलाई को दिखाया जाएगा मल्टीप्लेयर गेमप्ले; यहां देखें वीडियो
  7. Honor Pad X7 टैबलेट 7020mAh बैटरी, लेटेस्ट Android 15 OS के साथ हुआ लॉन्च, जानें कीमत
  8. भारत ने किया ULPGM-V3 का सफल टेस्ट, ड्रोन से छोड़ी जाती है मिसाइल, जानें सब कुछ
  9. Amazon की Great Freedom Festival 2025 Sale 1 अगस्त से होगी शुरू, मिलेंगे ये ऑफर्स
  10. Lava ने 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी वाला किफायती फोन Blaze Dragon 5G किया लॉन्च, जानें कीमत
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.