वैज्ञानिकों को इंग्लैंड के तट पर एक ऐसे समुद्री जीव की खोपड़ी मिली है, जो आज से करीब 15 करोड़ साल पहले अस्तित्व में था। यह खोपड़ी नुमा जीवाश्म प्लियोसॉर (pliosaur) का है। 2 मीटर लंबा जीवाश्म अबतक खोजे गए प्लियोसॉर के सभी नमूनों से सबसे संपूर्ण है। वैज्ञानिकों को लगता है कि इससे प्लियोसॉर के बिहेवियर और साइकोलॉजी के बारे में जरूरी जानकारी मिलेगी। प्लियोसॉर समुद्र में रहने वाला एक खूंखार रेप्टाइल था, जो एक चुटकी में अपने शिकार को मसल डालता था।
बीबीसी की
रिपोर्ट के अनुसार, यह खोपड़ी ज्यादातर मनुष्यों से भी लंबी है। इसी से कल्पना की जा सकती है कि प्लियोसॉर कितना विशालकाय जीव था। रिपोर्ट कहती है कि प्लियोसॉर के सामने के दांत लंबे और उस्तरे जैसे नुकीले थे। वह काफी घातक और मांस को काट सकते थे। इस वजह से प्लियोसॉर का कुशल शिकारी बन गया था। गार्जियन की
रिपोर्ट के अनुसार, जीवाश्म की खूबी है कि इसके दर्जनों नुकीले दांत के अवशेष भी अभी बाकी हैं।
प्लियोसॉर इतने खतरनाक थे कि अन्य प्लियोसॉर को भी वह नहीं बखश्ते थे। उनका भी शिकार कर डालते थे। मौजूदा खोज में शामिल रहे स्टीव एचेस ने बीबीसी न्यूज को बताया कि यह अब तक के सबसे अच्छे जीवाश्मों में से एक है। यह सबसे अलग है क्योंकि यह पूरा है। जो खोपड़ी मिली है उसकी ज्यादातर चीजें इस जीवाश्म में मौजूद हैं। हालांकि यह जीवाश्म थोड़ा विकृत हो गया है।
इस जीवाश्म पर एक डॉक्युमेंट्री तैयार है, जिसे नए साल पर बीबीसी पर दिखाया जाएगा। इस खोज के बारे में ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के डॉ. आंद्रे रोवे ने कहा कि वह जानवर इतना विशाल रहा होगा कि वह किसी भी जीव का आसानी से शिकार कर लेता होगा। उन्होंने प्लियोसॉर की तुलना एक खतरनाक डायनासोर की प्रजाति से की।
खास बात है कि जीवाश्म विज्ञानी (paleontologist) स्टीव एचेस और उनके दोस्त फिल जैकब्स दक्षिणी इंग्लैंड के जुरासिक तट पर किममेरिज खाड़ी के पास टहल रहे थे, जब उनके सामने यह जीवाश्म आया। कई महीनों की जांच के बाद वह इसे एक्सप्लोर कर पाए। वैज्ञानिक अब इस जीवाश्म का बाकी हिस्सा तलाशना चाहते हैं।