• होम
  • मोबाइल
  • फ़ीचर
  • स्मार्टफोन के बारे में कही जाने वाली वो बातें जिनमें कोई सच्चाई नहीं

स्मार्टफोन के बारे में कही जाने वाली वो बातें जिनमें कोई सच्चाई नहीं

स्मार्टफोन के बारे में कही जाने वाली वो बातें जिनमें कोई सच्चाई नहीं
विज्ञापन
पहले स्मार्टफोन को लॉन्च हुए एक दशक से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन इससे जुड़े मिथकों की भी संख्या कम नहीं है। स्मार्टफोन के इन मिथकों पर गौर किया जाए तो आप भी यह कहेंगे, जितने मुंह उतनी बातें और धीरे-धीरे इन बातों को ही सच मान लिया गया। इनमें से तो कुछ ऐसे हैं जिन्हें आप हर किसी से सुन सकते हैं।

आइए आपको स्मार्टफोन से जुड़े मिथकों के बारे में बताते हैं और उनकी सच्चाई से भी रूबरू कराते हैं।

मिथक- ऐप्स को बंद करने से आपका आईफोन तेज चलेगा
सच- आपको हमेशा रिसेंटली यूज़्ड एप्लिकेशन में जाकर आईफोन ऐप्स बंद करने की ज़रूरत नहीं है। सच तो यह है कि ये ऐप्स बैकग्राउंड में नहीं चल रहे होते हैं और ना ही डिवाइस की रिसोर्स का इस्तेमाल करते हैं। ये सारे आईफोन के रैम में स्टोर रहते हैं, ताकि ज़रूरत पड़ने पर आप तेजी से उनका इस्तेमाल कर सकें।

अगर आपके आईफोन को और रैम की ज़रूरत है तो वह अपने आप ही ऐेसे ऐप्स को हटा देगा जिसे आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। सच तो यह है कि ऐप्स को बंद कर देने के बाद उन्हें फिर से इस्तेमाल करने के लिए ओपन करने पर ज़्यादा रिसोर्स की खपत होती है।

मिथक- टास्क किलर इस्तेमाल करने से आपका एंड्रॉयड फोन ज़्यादा तेज हो जाएगा
सच- आईफोन जैसा मिथक एंड्रॉयड फोन के साथ भी जुड़ा हुआ है। सुनने को मिलता है कि टास्क किलर इस्तेमाल में लाओ, यह अपने आप ही उन ऐप्स को रैम पर से हटा देगा जिनका इस्तेमाल आप नहीं कर रहे। नतीजतन आपका फोन तेज चेलगा। सच तो यह है कि ये ऐप्स रैम में कैश्ड होते हैं ताकि आप उनपर तेजी से वापसी कर सकें।

आपको टास्क किलर इस्तेमाल करने की कोई ज़रूरत नहीं, कुछ वैसे ही जैसे बार-बार रीसेंट ऐप्स में जाकर ऐप्स को हटाने की ज़रूरत नहीं होती। वे बैकग्राउंड में फ्रॉज़ेन मोड में होते हैं। हां, एंड्रॉयड बैकग्राउंड में कम प्रतिबंधों के साथ ऐप्स को चलने देता है। लेकिन आप तब तक ऐप्स को बंद ना करें जब तक वह अटपटा व्यवहार ना कर रहा हो। ऐसा करने से संभव है कि आपका एंड्रॉयड और धीमा हो जाए।

मिथक- हैंडसेट के साथ दिए गए चार्ज़र का ही इस्तेमाल करें
सच- आज के स्मार्टफोन में यूएसबी चार्ज़र का इस्तेमाल होता है। अगर आपका यूएसबी चार्ज़र उपयुक्त पावर देता है तो आप उसका इस्तेमाल अपने स्मार्टफोन या फिर यूएसबी चार्ज़िंग को सपोर्ट करने वाले किसी भी डिवाइस के साथ कर सकते हैं।

आप चाहें तो ज़्यादा पावरफुल चार्ज़र का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आपका स्मार्टफोन उतना ही पावर लेगा जितने की उसे ज़रूरत है, ताकि किसी तरह की क्षति ना हो। सच तो यह है कि पावरफुल चार्ज़र की मदद से आपका फोन ज्यादा तेजी से चार्ज होगा। आप चाहें तो स्मार्टफोन के लिए कम पावरफुल चार्ज़र का भी इस्तेमाल कर सकते हैं और इसका भी कोई विपरीत असर नहीं होगा।

मिथक- स्क्रीन को स्क्रैच से बचाने के लिए स्क्रीन प्रोटेक्टर लगाएं
सच- स्क्रीन प्रोटेक्टर को तो पहचानते ही होंगे? संभवतः यह आपके हैंडसेट की स्क्रीन पर लगा भी होगा। इसी उम्मीद में, कि स्क्रीन पर अतिरिक्त प्रोटेक्शन मौजूद है। कहीं कोई दुर्घटना घट भी गई तो स्मार्टफोन स्क्रीन की तुलना में इसे बदलने तो सस्ता ही होगा।

पुराने दिनों में यह एक अच्छा विकल्प था, लेकिन नए जमाने के स्मार्टफोन के लिए ये ज्यादा काम के नहीं हैं। आज के स्मार्टफोन गोरिल्ला ग्लास या ऐसी ही टेक्नोलॉजी से लैस होते हैं। जब तक आप अपने फोन को बहुत ज्यादा रफ इस्तेमाल नहीं करते, आपके स्क्रीन को स्क्रैच से कोई खतरा नहीं है।

मिथक- ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बेहतर कैमरा
सच- मेगापिक्सल का मिथक सिर्फ स्मार्टफोन के कैमरे तक सीमित नहीं है, लेकिन यह डिजिटल कैमरे पर भी लागू होता है। मिथक है कि जितने ज़्यादा मेगापिक्सल, कैमरा उतना ही बेहतर। सच तो यह है कि ज्यादा मेगापिक्सल वाले कैमरे स्पेसिफिकेशन को मजबूत बनाने का काम करते हैं।

मेगापिक्सल से ज्यादा तस्वीर की क्वालिटी के लिए सेंसर, लेंस और इमेज प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर की ज्यादा अहमियत है। अगर आप दो स्मार्टफोन की कैमरे की तुलना कर रहे हैं तो कभी भी सिर्फ मेगापिक्सल का सहारा ना लें। वास्तविक तुलना के लिए दोनों हैंडसेट के रिव्यू पढ़ें। उसमें आपको दोनों के कैमरे से ली गई तस्वीरों मिल जाएंगी। उनकी कमियां और ख़ूबियों के बारे में जानें, तभी किसी फैसले पर पहुंचे।

मिथक-एंड्रॉयड फोन में अक्सर वायरस और मालवेयर आ जाते हैं
सच- अकसर ही मालवेयर और वायरस अटैक को लेकर एंड्रॉयड की निंदा होती रही है। सच्चाई तो यह है कि चुनिंदा एंड्रॉयड फोन ही मालवेयर के कारण संक्रमित होते हैं। एंड्रॉयड में मालवेयर की मौजूदगी का सवाल नहीं उठता, लेकिन यह गूगल प्ले के बाहर से आता है। अगर आप गूगल प्ले से ऐप इंस्टॉल कर रहे हैं तो आपको दिक्कत नहीं होगी। अगर आप किसी पेड एंड्रॉयड ऐप की पायरेटेड कॉपी का इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर किसी अन्य ऐप को फोन पर साइडलोडिंग कर रहे हैं, तो ख़तरा बढ़ जाता है।
 
samsung-mobile-screen

एंड्रॉयड डिवाइस के साथ एक ही सबसे बड़ी खराबी है। हर डिवाइस को नियमित तौर पर सिक्योरिटी अपडेट नहीं मिलता। इस कारण से कई बार फोन के लिए खतरा बढ़ जाता है।

इन सबके अलावा सबसे बड़ा मिथक यह है कि अच्छे स्मार्टफोन के लिए आपको अच्छी कीमत चुकानी पड़ेगी। आज की तारीख में आप ऐसा बिल्कुल नहीं कह सकते।
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: , Mobile, Smartphones, Android, iOS
Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Oppo Find X8 Ultra में मिलेगा 2K रिजॉल्यूशन वाला डिस्प्ले, टेलीफोटो मैक्रो कैमरा! जानें कब होगा लॉन्च?
  2. Honor ने 12GB तक रैम और 512GB स्टोरेज के साथ लॉन्च किए Magic 7 Lite, Magic 7 Pro स्मार्टफोन, जानें कीमत
  3. Lenovo EA400 क्लिप-ऑन ईयरबड्स 24 घंटे के प्लेबैक बैकअप के साथ हुए लॉन्च, जानें कीमत
  4. Asus ने पेश किया लंच बॉक्स के साइज वाला NUC 14 Essential मिनी PC, जानें स्पेसिफिकेशन्स
  5. Oppo A5 (2025) फोन लॉन्च होगा 12GB रैम, 6500mAh बैटरी के साथ! TENAA लिस्टिंग में धांसू फीचर्स लीक
  6. Moto G 5G (2025) और Moto G Power 5G (2025) 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी के साथ हुए लॉन्च, जानें कीमत
  7. Xiaomi Republic Day Sale: 21 हजार रुपये डिस्काउंट के साथ स्मार्ट टीवी, फोन और टैबलेट भी हुए सस्ते
  8. Nubia Flip 2: लॉन्च हुआ 2025 का पहला 2 डिस्प्ले वाला फोल्डेबल फोन, जानें कीमत और स्पेसिफिकेशन्स
  9. DJI Flip कॉम्पैक्ट ड्रोन लॉन्च, LiDAR सेंसर के साथ 4K 100fps रिकॉर्डिंग का सपोर्ट
  10. TikTok होगा अमेरिका में बैन? लोग दूसरा चीनी ऐप डाउनलोड कर रहे, जानें नाम
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »