ओपिनियन

पॉर्न 'बैन' तो हुआ पर देश 'पॉर्न मुक्त' नहीं

विज्ञापन
संदीप कुमार सिन्हा, अपडेटेड: 24 अगस्त 2015 12:57 IST
'बंद करो... बंद करो...' हुआ पुराना। नया नारा है, 'बैन करो... बैन करो'। क्योंकि बैन करने से ही हालात सुधरेंगे। और पॉर्न बैन कर दिया तो देश में महिलाओं के साथ हो रहे सारे अत्याचार खत्म हो जाएंगे।
 
भले ही हमने दुनिया को कामसूत्र और खजुराहो दिया हो पर समाज को 'नई' या 'सही' दिशा दिखाने का ठेका तो संस्कृति के चुनिंदा ‘रक्षकों’ के पास है। 'भारतीय संस्कृति हमें पॉर्न देखना नहीं सिखाती, क्योंकि यह एक घिनौना काम है।' 'समाज के प्रति हमारी कुछ नैतिक जिम्मेदारियां हैं और उसे पूरा करने के लिए पॉर्न को बैन करना सबसे ज़रूरी।' पिछले कुछ दिनों में समाज के ठेकेदारों के बयान में इन्हीं दकियानूसी सोच की गूंज सुनाई दी।
 
दरअसल,  केंद्र सरकार ने 31 जुलाई की रात को देश के ज्यादातर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को 850 से ज्यादा वेबसाइट की एक सूची मुहैया कराई और निर्देश दिया कि इन्हें बैन कर दिया जाए। बैन करीब एक हफ्ते तक चला, फिर हटा लिया गया। इस पर भी स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है। सरकार चाहती है कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स चाइल्ड पॉर्न परोसने वाली वेबसाइट पर नकेल कसें। वहीं, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स का कहना है कि सरकार के निर्देश में कोई स्पष्टता नहीं है।

अब सवाल उठता है कि इससे किसे क्या मिला। ना तो लोगों ने इस दौरान पॉर्न देखना बंद किया और ना ही समाज की सोच में क्रांतिकारी बदलाव आया। सोशल मीडिया पर सरकार को जमकर लताड़ा गया (क्योंकि सड़क पर उतरकर पॉर्न पर बैन के खिलाफ प्रदर्शन करें कौन?) और दबाव में आकर सरकार को अपने फैसले से भी पलटना पड़ा।
 
सोशल मीडिया पर मचे होहल्ले के बाद भले ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कर दिया कि वह बैन की पक्षधर नहीं है। वह किसी शख्स के कमरे में बैठकर कंटेंट को मॉनीटर नहीं कर सकती। पर सच यह भी है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के ही सवालों को तो ढाल बनाते हुए बैन लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को लेकर कई बार सरकार को लताड़ा है। 10 अगस्त को होने वाली सुनवाई से पहले सरकार ने पॉर्न को ही बैन करना मुनासिब समझा।
Advertisement
 
अब सवाल उठता है कि अगर सरकार ने ऐसा करने के बारे में सोचा भी, तो क्या यह संभव है? जवाब है... बिल्कुल नहीं। कई इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स पहले ही साफ कर चुके हैं कि सभी पॉर्न वेबसाइट को बैन कर पाना लगभग नामुमकिन है। क्योंकि ज्यादातर वेबसाइट के सर्वर भारत से बाहर हैं। सरकार ने तो मात्र 857 वेबसाइट की सूची तैयार की थी। पर आज की तारीख में इस तरह का कंटेंट परोसने वाली कई करोड़ वेबसाइट हैं और इनकी तादाद हर दिन बढ़ रही है।
एक रिसर्च में तो कहा गया है कि दुनिया में करीब 4 करोड़ पॉर्न वेबसाइट हैं। इनमें से ज्यादातर वेबसाइट के सर्वर ऐसे देशों से काम कर रहे हैं जहां पर पॉर्न को कानूनी मान्यता प्राप्त है। दूसरी तरफ,  प्रॉक्सी सर्वर जैसी तकनीकी बारीकियों से वाकिफ़ यूज़र के लिए बैन हुए वेबसाइट को भी एक्सेस कर पाना चुटकियों का खेल है। फिर कैसा बैन? क्या सरकार ने किसी टेक्निकल एक्सपर्ट से इसके बारे में नहीं पूछा था? शायद सुप्रीम कोर्ट में चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के मामले में फौरी कार्रवाई करते हुए दिखने की हड़बड़ी में जो थे।
 
अगर सरकार इंटरनेट पर पॉर्न बैन भी कर देती है तो क्या देश पॉर्न मुक्त हो जाएगा? हर बस अड्डे पर पॉर्न कंटेंट वाली किताबें धड़ल्ले से बिक रही हैं। किराये पर ब्लू फिल्म (एडल्ट फिल्म) की सीडी मिल जाती है। व्हाट्सऐप जैसे मैसेजिंग सर्विस पर हर दिन कई लाखों पॉर्न वीडियो शेयर हो रहे हैं। उसका क्या? एक बेहतरीन उदाहरण 2009 का वाकया है, जब सरकार ने एडल्ट कार्टून सविता भाभी की वेबसाइट को बैन करने का फैसला किया। इस निर्देश के बावजूद ये कार्टून कई प्रॉक्सी सर्वर और टॉरेंट वेबसाइट पर उपलब्ध रहे। इसके साथ savithabhabhi.com को मिली पब्लिसिटी की वजह से वेबसाइट चलाने वालों की आर्थिक तौर से चांदी हो गई।
Advertisement
 
बच्चे में एक व्यवहार बहुत ही आम होता है। अगर उसे किसी चीज़ को ना करने की हिदायत दो तो वह बार-बार उसे ही करने की कोशिश करेगा। फिलहाल तो डेटा उपलब्ध नहीं है पर आंशिक बैन के दौरान अगर कई एडल्ट वेबसाइट की ट्रैफिक में भारी इजाफा हुआ तो हमें हैरानी नहीं होगी। इसके अलावा जो यूज़र अब तक 4-5 वेबसाइट के बारे में जानते थे उन्हें पूरे 850 वेबसाइट की सूची उपलब्ध करा दी गई।
सरकार ने चाइल्ड पॉर्नोग्राफी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को तो गंभीरता से तो लिया पर वह मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू के उस बयान को गौर करना भूल गई जिसमें उन्होंने कहा था, ''कोर्ट पॉर्न को बैन करने के लिए कोई अंतरिम आदेश नहीं पास सकता। कल को कोई शख्स कोर्ट का दरवाजा खटखटाए और दलील दे कि जब मेरी उम्र 18साल से ज्यादा है तो आप मुझे घर की चाहरदीवारी में पॉर्न देखने से कैसे रोक सकते हैं। यह संविधान के आर्टिकल 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है।''
 
अब सरकार दूसरा राग अलाप रही है। सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि चाइल्ड पॉर्न को छोड़कर किसी और कंटेंट को बैन नहीं किया जा सकता। शायद यही बात बैन लगाने से पहले सोची होती तो ऐसी स्थिति ना आती। कुल मिलाकर यही कहना होगा कि चले ढाई कोस पर पहुंचे कही नहीं।
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े:
Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Motorola का 6.7 इंच डिस्प्ले, 6720mAh बैटरी वाला 5G फोन हुआ Flipkart पर बंपर सस्ता, देखें डील
  2. OnePlus Ace 6 Launched: अपने सेगमेंट की सबसे बड़ी बैटरी, 1TB तक स्टोरेज के साथ लॉन्च हुआ वनप्लस फोन
  3. Realme C85 Pro में मिलेगी 7000mAh बैटरी, जबरदस्त मजबूती! लॉन्च से पहले कीमत का भी खुलासा
#ताज़ा ख़बरें
  1. Samsung का पहला ट्राई-फोल्ड स्मार्टफोन इस सप्ताह हो सकता है लॉन्च
  2. VinFast ने भारत में शुरू की VF 6 और VF 7 इलेक्ट्रिक SUVs की डिलीवरी, जानें प्राइसेज, रेंज
  3. Xiaomi 17 Ultra में हो सकता है 50 मेगापिक्सल का प्राइमरी कैमरा
  4. Apple के नए iPad Pro में दिया जा सकता है वेपर चैंबर कूलिंग सिस्टम
  5. iQOO 15 जल्द होगा भारत में लॉन्च, डायनैमिक Glow UI डिजाइन
  6. सोलर से चलेगा पूरा घर, ये नया ‘All-in-One’ सिस्टम खुद चार्ज होकर देगा फुल एनर्जी बैकअप!
  7. OnePlus Ace 6 Launched: अपने सेगमेंट की सबसे बड़ी बैटरी, 1TB तक स्टोरेज के साथ लॉन्च हुआ वनप्लस फोन
  8. OnePlus 15 Launched: 7300mAh बैटरी और गेमिंग फीचर्स के साथ इस कीमत में लॉन्च हुआ वनप्लस 15
  9. Oppo Find X9 Ultra में मिल सकती है 'Ultra' मॉडल्स की सबसे बड़ी बैटरी 
  10. Chhath Puja 2025: AI से छठ पूजा की फोटो पर लगाओ चार-चांद, इन Prompts को बस कॉपी-पेस्ट करना है
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.