करीब दो हफ्तों पहले दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने घोषणा की थी कि राजधानी के वाहन मालिकों को पेट्रोल या डीजल भरवाने के लिए एक वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUC) दिखाना अनिवार्य होगा। यदि किसी व्यक्ति के पास पीयूसी नहीं होगा, तो उसे दिल्ली में फ्यूल पंप पर ईंधन भरने की अनुमति नहीं दी जा सकेगी। हालांकि, सरकार ने अब इस जनादेश को वापस ले लिया है।
शुक्रवार, 21 अक्टूबर को पर्यावरण मंत्री गोपाव राय ने घोषणा करते हुए स्पष्ट किया कि 25 अक्टूबर से शहर में पेट्रोल या डीजल भरने के लिए वैध
PUC होना अनिवार्य नहीं होगा। उन्होंने यह भी बताया कि पेट्रोल और डीजल संघों के प्रतिनिधियों द्वारा सरकार को सलाह देने के बाद इस निर्णय को वापस लिया गया है। संघों का कहना है कि इस आदेश से अराजकता हो सकती है।
राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “पेट्रोलियम और डीजल संघों के प्रतिनिधियों ने हमें कानून और व्यवस्था के बारे में कई सुझाव दिए हैं। हम उन पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से चर्चा करेंगे।"
बता दें कि यह जनादेश राजधानी में प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए दिल्ली सरकार की 15-पॉइंट एक्शन प्लान का एक हिस्सा था। राय का कहना है कि धूल और बायोमास जलने के अलावा, वाहन प्रदूषण भी घटती एयर क्वालिटी का एक बड़ा कारक है। विशेषज्ञों के अनुसार, दिवाली के बाद और हवा की दिशा के आधार पर प्रदूषण के स्तर में काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
इस प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक और कदम उठाया जा रहा है, जो 28 अक्टूबर से लागू होगा। इस दिन से दिल्ली सरकार का 'रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ' कैंपेन शुरू हो जाएगा। यह अभियान पहले से समय समय पर शुरू किया जाता आया है। इसमें कैंपेन के स्वयंसेवक शहर के प्रमुख चौराहों की निगरानी करते हैं और लोगों को लाल बत्ती पर रुकने पर अपने गाड़ी के इंजन को बंद करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।