जापान में बीती रात 9 दिसंबर, 2025 को 7.5 तीव्रता से भूकंप आया, जिससे जान और माल का काफी नुकसान हुआ है।
भूकंप अलर्ट सिस्टम पहले से नोटिफिकेशन भेजता है।
Photo Credit: Unsplash/Sarah Crego
जापान में बीती रात 9 दिसंबर, 2025 को 7.5 तीव्रता से भूकंप आया, जिससे जान और माल का काफी नुकसान हुआ है। बताया जा रहा है कि इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 33 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से एक गंभीर रूप से घायल है। हालांकि, सोशल मीडिया पर पिछले साल की और हाल ही की कई वीडियो वायरल हो रही हैं, जिससे पता चलता है कि जापान में भूकंप के आने से पहले अलर्ट जारी होता है, जिससे लोग समय रहते सुरक्षित स्थानों पर चले जाते हैं। आइए जानते हैं कि जापान का भूकंप से पहले आने वाला अलर्ट कैसे काम करता है और क्या भारत में भी ऐसा कोई सिस्टम मौजूद है या नहीं।
जापान में दुनिया में सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं, जिसकी मुख्य वजह प्लेट टेक्टोनिक्स है। यह रिंग ऑफ फायर नाम के क्षेत्र में स्थित है जहां कई विशाल टेक्टोनिक प्लेट्स जैसे कि प्रशांत प्लेट, यूरेशियन प्लेट, फिलीपीन प्लेट आपस में टकराती हैं। ये एक-दूसरे के नीचे खिसकती हैं या रगड़ खाती हैं, जिससे पृथ्वी के अंदर तनाव जमा होता है और अचानक ऊर्जा निकलने पर भूकंप आते हैं।
वायरल वीडियो में भूकंप से पहले सिस्टन ने शुरुआती झटकों को डिटेक्ट किया, जिसके बाद अलग-अलग कम्युनिकेशन सिस्टम में अलर्ट भेजा। यह सिस्टम शुरुआत में आने वाले झटकोको डिटेक्ट करने के बाद अलर्ट जारी करता है, जिससे बड़े स्तर पर भूकंप आने से पहले लोगों को जानकारी मिल जाती है। यह सिस्टम रेडियो स्टेशन और फोन पर अलर्ट जारी करते हुए सायरन बजाता है। लोगों को सिर्फ कुछ ही सेकंड पहले अलर्ट मिलता है, लेकिन उससे उन्हें अपनी जान बचाने के लिए मौका मिल जाता है।
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान फोन में एडवांस भूकंप वार्निंग सिस्टम ने अलर्ट भेजा, जिससे बाद महिला किसी सुरक्षित स्थान पर जाकर छिप गई और भूकंप के झटके वीडियो में कैद हो गए। महिला भूकंप के झटके खत्म होने के बाद वापिस वीडियो में नजर आती है। हालांकि, यह वीडियो 1 जनवरी, 2024 का है, जिसे @Dexerto द्वारा X पर पोस्ट किया गया था।
Google भारत में एंड्रॉयड भूकंप चेतावनी सिस्टम प्रदान करता है। यह सिस्टम एंड्रॉयड फोन को मिनी-सेसोमीटर की तरह इस्तेमाल करके भूकंप के झटकों का पता लगाता है और भूकंप आने से कुछ सेकंड पहले ही यूजर्स को अलर्ट भेजता है। इससे लोगों को झुकने, खुद को कवर करने और सहारा लेने में मदद मिलती है। लाखों एंड्रॉयड फोन में लगे एक्सेलेरोमीटर सेंसर जमीन के कंपन का पता लगाते हैं। जब किसी क्षेत्र में कई फोन एक साथ भूकंप के झटकों का पता लगाते हैं तो Google के सर्वर डाटा के जरिए भूकंप की लोकेशन और तीव्रता का पता लगाते हैं। उसके बाद तेज अलर्ट होता है, जिससे यूजर्स को भूकंप शुरू होने से पहले ही अलर्ट मिल जाता है।
सेटिंग्स में जाकर सिक्योरिटी और इमरजेंसी पर जाकर भूकंप अलर्ट पर जाना है। फिर अलर्ट चालू करने के लिए टॉगल ऑन करना है। इसके लिए फोन की लोकेशन सर्विस और सेलुलर या वाई-फाई डाटा ऑन होना चाहिए। आपको यह चेक करना है कि आपका फोन एंड्रॉयड 5.0 या उससे ऊपर के वर्जन पर काम करता हो।
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