बॉलीवुड में हाल ही में जहां रनबीर कपूर और आलिया भट्ट की 'ब्रह्मास्त्र' ने लोगों को दिल जीता, वहीं साउथ सिनेमा में कन्नड़ फिल्म 'कांतारा' धूम मचा रही है। फिल्म को देखने वाला हर शख्स इसकी तारीफ करता नहीं थक रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फिल्म के कंटेंट में इतना दम है कि कन्नड़ के बाद इसे हिंदी रिलीज किए जाने की मांग होने लगी। तो जो लोग कांतारा के हिंदी वर्जन का इंतजार कर रहे थे, उनकी इच्छा 14 अक्टूबर को पूरी हो गई। फिल्म को हिंदी भाषा में रिलीज कर दिया गया है।
कांतारा 30 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। रिलीज के बाद धीरे धीरे फिल्म ऑडियंस के बीच चर्चा में आने लगी। फिल्म को अच्छा रेस्पोंस मिला और 16 करोड़ में बनी यह फिल्म अब तक 75 करोड़ रुपये का बिजनेस कर चुकी है। सोशल मीडिया पर भी फिल्म की जमकर तारीफ हो रही है। फिल्म को माउथ पब्लिसिटी भी बहुत मिल रही है और धीरे धीरे इसकी कमाई का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। यह फिल्म कन्नड़ भाषा में अब तक सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तीसरी फिल्म है।
फिल्म की चर्चा जोरों पर है और इसी सिलसिले में स्पोर्ट्स और युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने फिल्म की टीम से मुलाकात की। फिल्म की टीम ने मंत्री को बुके भी भेंट किया। इस पर उन्होंने टीम को धन्यवाद किया। उन्होंने फिल्म #Kantara के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। अनुराग ठाकुर ने मुलाकात की एक तस्वीर भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की।
फिल्म कांतारा की स्टारकास्ट (Film Kantara Starcast)
कांतारा में ऋषभ शेट्टी (Rishab Shetty) और सप्तमी गौड़ा (Sapthami Gowda) लीड रोल प्ले कर रहे हैं। उनके साथ में किशोर, अच्युत कुमार, और प्रमोद शेट्टी भी महत्वपूर्ण किरदारों में हैं। फिल्म के निर्देशक और लेखक भी ऋषभ शेट्टी हैं। इसे विजय किरागंदूर ने प्रड्यूस किया है। फिल्म का म्यूजिक दिया है बी अजनीश लोकनाथ ने और एडिटिंग के.एम प्रकाश ने की है। इसे होम्बले फिल्म्स स्टूडियो ने बनाया है। फिल्म दक्षिणी भारत के राज्यों में तो खूब धूम मचा रही है, अब हिंदी बेल्ट में यह फिल्म कितना कमाल कर पाती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
फिल्म कांतारा की कहानी (Film Kantara Full Story )
फिल्म की कहानी सन् 1847 में शुरू होती है। एक राजा जो काफी बेचैन रहता था, एक दिन जंगल में जाता है जहां उसे वहां के स्थानीय देवता पंजुरी की मूर्ति दिखाई पड़ती है। मूर्ति को देखने के बाद राजा मन अपने आप ही शांत हो जाता है। मूर्ति से प्रभावित वह राजा उसे अपने महल में लाने की इच्छा करता है। इससे पहले कि वह मूर्ति को लेकर जाता, गांव के लोग वहां पहुंच जाते हैं और मूर्ति को ले जाने से मना कर देते हैं।
गांव वालों का कहना था कि राजा जो चाहे ले जा सकते हैं, लेकिन उनके देवता की मूर्ति को ले जाने का उन्हें अधिकार नहीं है। कभी एक चमत्कार होता है और पंजुरी देव एक गांववाले के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। वे राजा से कहते हैं कि मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं, लेकिन एक शर्त है।
शर्त ये है कि जहां तक मेरी (पंजुरी देवता) की चीख जाएगी, वहां तक की जमीन राजा को इन गांव वालों को देनी होगी, ताकि देवता के जाने के बाद भी वह खुशहाल रह सकें। राजा जमीन देने के लिए राजी हो गया तो पंजुरी देव भी राजा के साथ जाने के लिए तैयार हो गए। यहां पर पुंजरी देव ने राजा से पहले ही साफ तौर पर कह दिया कि अगर राजा या उसके किसी वंशज ने यह जमीन वापस लेने की कोशिश की तो उसका परिणाम बहुत भयंकर होगा।
उसके बाद कहानी सीधे सन् 1970 में शुरू होती है। उस वक्त के एक राजा को जमीन पर लालच आ जाता है और वर जमीन गांव वालों से वापस छीनने की कोशिश करता है। यहां पर भूत कौला का जिक्र आता है जो मंगलौर के तटीय इलाकों में एक प्रकार की पूजा होती है, जिसे एक नर्तक करता है। इस पूजा करने वाले शख्स के अंदर पंजुरी देव के आने की मान्यता है।
राजा इसी भूत कौला के दौरान जमीन को वापस मांगता है लेकिन नर्तक के अंदर पंजुरी देव आ जाते हैं। देवता जमीन देने को राजी हो जाते हैं लेकिन साथ ही कह देते हैं कि उसके बाद राजा के वंश का विनाश हो जाएगा। हुआ भी ऐसा ही, राजा के वंशज की कुछ दिनों बाद ही मौत हो जाती है।
उसके बाद कहानी 1990 में शुरू होती है जिसमें राजा के अन्य वंशज अच्युत कुमार की नजर भी इसी जमीन पर पड़ी होती है। यहां ऋषभ शेट्टी गांव का रखवाला बना हुआ है। सप्तमी गौड़ा उनकी प्रेमिका बनी हैं। क्या ये दोनों मिलकर राजा के वंशज से गांव की जमीन को बचा पाते हैं, यह आपको सिनेमाघरों में जाकर पता लगेगा। अगर आप एक विजुल ट्रीट फिल्म देखना चाहते हैं तो कांतारा को मिस न करें। फिल्म का अंत सीक्वल की गुंजाइश के साथ होता है। फिल्म का दम इसी से पता लग जाता है कि इसे आईएमडीबी पर 9.5 रेटिंग दी गई है।