सोलर एनर्जी के सेक्टर में विकास की संभावना बहुत ज्यादा है। माना जाता है कि सोलर पैनल जितने एडवांस और ईजी टु यूज होंगे, दुनिया में बिजली उत्पादन उतना ही आसान होगा और यह क्लीन एनर्जी की दिशा में भी बड़ा प्रयास बनेगा। क्या वह वक्त जल्द आने वाला है? एक रिपोर्ट के अनुसार,
रिसर्चर्स ने दुनिया का पहला फ्लेक्सिबल ‘सौर पैनल' (flexible ‘solar panel') तैयार किया है। दावा है कि यह इतना पतला है, जिसे कोटिंग के रूप में किसी भी ऑब्जेक्ट पर लगाया जा सकेगा और वो ऑब्जेक्ट, पोर्टेबल एनर्जी सोर्स के रूप में काम करेगा।
लाइव साइंस की
रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन-बेस्ड पैनलों की तुलना में 150 गुना पतले सोलर सेल बनाए हैं। इतने पतले होकर भी ये भरपूर एनर्जी पैदा कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन पैनलों को किसी भी ऑब्जेक्ट पर प्रिंट किया जा सकेगा जैसे कोई कार या स्मार्टफोन का केस। ऐसा हुआ तो आपकी डिवाइस सौर ऊर्जा पैदा करने वाली डिवाइस में बदल जाएगी।
रिसर्चर्स ने जो मटीरियल तैयार किया है, वह सिर्फ एक माइक्रोन (0.001 मिमी) पतला है। जापान के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (AIST) ने इस आविष्कार को सर्टिफाइ कर दिया है। स्टडी अभी पब्लिश नहीं हुई है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने यह आविष्कार किया है। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पेरोवस्काइट संरचनाओं (perovskite structures) से नया फोटोवोल्टिक मटीरियल बनाया। यही मटीरियल सूर्य की रोशनी को एनर्जी में बदलता है।
लैब और फैक्ट्रियों में बनेंगे पैनल
जो मटीरियल साइंटिस्टों ने बनाया है, वह कैल्शियम टाइटेनियम ऑक्साइड का सिंथेटिक वर्जन है। दावा है कि इसे सस्ते दाम में लैब या फैक्ट्रियों में बनाया जा सकता है। ऐसा हुआ तो नए सोलर पैनल को ज्यादा मात्रा में तैयार किया जा सकेगा।
रिसर्चर्स का कहना है कि इस आविष्कार से हम सस्ती सौर ऊर्जा पैदा करने के लिए कई तरह की सतहों पर पेरोवस्काइट कोटिंग्स लगाने की कल्पना कर सकते हैं। यह हमारी कारों, बिल्डिंग की छत यहां तक कि मोबाइल फोन के पीछे भी लग जाएगी।