गोभी से निकलने वाली गैसें ढूंढ सकती है एलियंस को, आखिर कहना क्‍या चाहते हैं साइंस्टिट? जानें

Aliens : गोभी, शैवाल और कई माइक्रोब्‍स अपने अंदर से विषाक्त पदार्थों को गैसों में बदलकर बाहर निकालते हैं। अगर ये गैसें किसी एक्सोप्लैनेट के वायुमंडल में मौजूद हैं, तो जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप की मदद से वहां देखा जा सकता है।

विज्ञापन
Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 9 नवंबर 2022 13:51 IST
ख़ास बातें
  • दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हैं एलियंस की तलाश में
  • कई तरह से एलियंस से कॉन्‍टैक्‍ट करने की हो रही है कोशिश
  • गोभी से निकलने वाली गैसें इसमें अहम साबित हो सकती हैं

ये गैसें मिड-इन्‍फ्रारेड में दिखाई देती है, इसलिए जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप इन्‍हें आसानी से ढूंढ सकता है।

एलियंस की खोज ऐसा विषय है, जिस पर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। उनका पता लगाने के लिए हर तरह से कोशिश की जा रही है। ऐसी ही एक कोशिश से जुड़ी थ्‍योरी कहती है कि अगर किसी ग्रह या चंद्रमा पर जीवन मौजूद है, यानी वहां एलियंस हैं तो वह ब्रोकली (broccoli) की तरह काम कर सकते हैं। दरअसल, वैज्ञानिक एक ऐसे संभावित बायोसिग्नेचर के बारे में बात कर रहे हैं, जो दूसरी दुनिया पर जीवन के संकेतों को जाहिर कर सकता है। यह एक प्रक्रिया है, जिसका नाम मिथाइलेशन है।

स्‍पेसडॉटकॉम के अनुसार, मिथाइलेशन की प्रक्रिया में ब्रोकली यानी गोभी, शैवाल (algae) और पृथ्वी पर पाए जाने वाले कई अन्‍य पौधे और माइक्रोब्‍स एक विशेष काम करते हैं। वह अपने अंदर से विषाक्त पदार्थों को गैसों में बदलकर बाहर निकालते हैं। अगर ये गैसें किसी एक्सोप्लैनेट (exoplanets) के वायुमंडल में मौजूद हैं, तो जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप (James Webb telescope) की मदद से वहां देखा जा सकता है। ध्‍यान रहे कि एक्सोप्लैनेट वो ग्रह हैं, जो सूर्य के अलावा अन्‍य ग्रहों की परिक्रमा करते हैं। 

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, रिवरसाइज के प्‍लैनेटरी साइंटिस्‍ट माइकेला लेउंग ने हाल ही में एक स्‍टडी को लीड किया, जो बताती है कि इन गैसों को किसी भी चीज से उत्सर्जित किया जा सकता है। हालांकि एक बयान में उन्‍होंने कहा कि नॉन बायोलॉजिकल साधनों से इस गैस को बनाने के तरीके सीमित हैं, इसलिए पृथ्‍वी के बाहर अगर इसका पता चलता है, तो यह जीवन का संकेत हो सकता है। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्वालामुखी विस्फोटों से भी मिथाइलेटेड गैसें उत्पन्न होने की कुछ संभावना है, लेकिन जीवित जीव इसके प्रमुख प्रोड्यूसर हैं। ये गैसें मिड-इन्‍फ्रारेड में दिखाई देती है, इसलिए जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप इन्‍हें आसानी से ढूंढ सकता है। अगर यह गैसें किसी ग्रह के चारों ओर हैं, तो जेम्‍स वेब पता लगा सकता है।  

वैज्ञानिकों को जिन मिथाइलेटेड गैसों को तलाश है, उनमें मीथेन के अलावा मिथाइल ब्रोमाइड (CH3Br) और मिथाइल क्लोराइड (CH3Cl) शामिल हैं। अगर ये गैसें किसी ग्रह के आसपास उसके वायुमंडल में मिलती हैं, तो वहां फोकस किया जा सकता है। पता लगाया जा सकता है कि उस ग्रह या एक्‍साेप्‍लैनेट पर क्‍या चल रहा है। ऐसे एक्‍सोप्‍लैनेट जो M-बौने तारे का चक्‍कर लगाते हैं, उनके वायुमंडल में भी यह गैसें मिल सकती हैं। 
 

 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. WWDC 2025 : AirPods में मिलेगा कैमरा कंट्रोल और स्लीप डिटेक्शन फीचर!
#ताज़ा ख़बरें
  1. WWDC 2025 : AirPods में मिलेगा कैमरा कंट्रोल और स्लीप डिटेक्शन फीचर!
  2. Android कंपनियों को देना होगा 5 साल तक अपडेट, नए नियम से भारतीयों को भी फायदा?
  3. 14 हजार रुपये गिरी 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी वाले Samsung स्मार्टफोन की कीमत
  4. फीचर फोन यूजर्स भी कर सकेंगे UPI पेमेंट्स, PhonePe जल्द लाएगा नया ऐप!
  5. Huawei Band 10 भारत में लॉन्च, AMOLED स्क्रीन और 14 दिन की बैटरी के साथ; जानें कीमत
  6. iQOO Z10 Lite 5G जल्द होगा भारत में लॉन्च, 6,000mAh की बैटरी
  7. Oppo की K13x 5G के लॉन्च की तैयारी, 6,000mAh हो सकती है बैटरी
  8. Google Chrome होगा अब तक सबसे तेज!, अब ज्यादा फास्ट होगा काम, बचेगा समय
  9. Elon Musk की Starlink सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को भारत की हरी झंडी!
  10. Fairphone 6 का डिजाइन और प्राइस लीक, मॉड्यूलर स्मार्टफोन जल्द हो सकता है लॉन्च
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.