10 मिनट में फुल चार्ज होने वाली सॉलिड-स्टेट बैटरी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने की तैयार

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर को अपनी रिसर्च में सॉलिड-स्टेट बैटरी टेक्नोलॉजी पर सफलता मिली है।

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Written by साजन चौहान, अपडेटेड: 17 जनवरी 2024 12:04 IST
ख़ास बातें
  • रिसर्चर को सॉलिड-स्टेट बैटरी टेक्नोलॉजी में सफलता मिलती है।
  • रिसर्च नेचर मटेरियल्स के नए एडिशन में प्रकाशित हुई है।
  • लिथियम मैटल एनोड बैटरियों के मामले में पहली पसंद है।

Photo Credit: Unsplash/Kumpan Electric

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर को अपनी रिसर्च में सॉलिड-स्टेट बैटरी टेक्नोलॉजी पर सफलता मिली है। रिसर्च नेचर मटेरियल्स के नए एडिशन में प्रकाशित हुई है, जिसमें पता चला कि 10 मिनट के अंदर फुल रिचार्ज करने के लिए एक सॉलिड-स्टेट बैटरी कैसे तैयार हो सकती है। लिथियम मैटल बैटरी रिसर्चर हार्वर्ड के जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज (SEAS) से हैं। नेचर मैटेरियल्स में छपे लेख के मुख्य लेखक जिन ली हैं, जो SEAS में मैटेरियल्स साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर भी हैं। नई तैयार बैटरी की अनुमानित चार्जिंग साइकल 6,000 है, जो किसी भी अन्य पाउच बैटरी सेल से काफी अधिक है।

रिसर्चर के अनुसार, लिथियम मैटल एनोड बैटरियों के मामले में पहली पसंद है क्योंकि उनमें कमर्शियल ग्रेफाइट एनोड की कैपेसिटी 10 गुना होती है। इनसे ईवी की ड्राइविंग रेंज काफी हद तक बढ़ा सकती है। रिसर्चर का कहना है कि उनकी रिसर्च में इंडस्ट्रियल और कमर्शियल इस्तेमाल के लिए ज्यादा प्रभाव वाली प्रैक्टिकल सॉलिड-स्टेट बैटरियों के लिए अहम बाते हैं।

एनोड पर डेन्ड्राइट का बनना सॉलिड-स्टेट बैटरियों के निर्माण में एक बड़ी चुनौती है। ये लिथियम पर जमा हो सकते हैं और इलेक्ट्रोलाइट में पैदा हो सकते हैं। इनका पैदा होना एनोड और कैथोड को अलग करने वाले बैरियर को नुकसान पहुंचाने में मदद करता है, जिसके चलते शॉर्ट-सर्किट या आग लगने की संभावना होती है। रिसर्च टीम ने एक मल्टीलेयर बैटरी डिजाइन की है जो कि एनोड और कैथोड के बीच अलग-अलग मैटेरियल को अलग करती है। इस 2021 डिजाइन ने लिथियम डेंड्राइट्स को रोका, हालांकि यह उनकी ग्रोथ को पूरी तरह से रोकने में कामयाब नहीं हुई।

हार्वर्ड रिसर्च टीम की सफलता यह है कि उन्होंने एनोड में माइक्रोन-साइज के सिलिकॉन पार्टिकल का इस्तेमाल करके डेंड्राइट को बनने से रोका, जिससे रिएक्शन को सतह पर सीमित किया जा सके। मुख्य लेखक ली के अनुसार, लिथियम मैटल सिलिकॉन पार्टिकल के चारों ओर लिपटा रहता है। समतल सतह पर प्लेटिंग और स्ट्रिपिंग तेजी से हो सकती है, बैटरी लगभग 10 मिनट में फुल रिचार्ज हो सकती है।

तैयार बैटरी सेल ने 6,000 साइकल के बाद अपनी कैपेसिटी का 80 प्रतिशत बरकरार रखा जो मार्केट में किसी भी पाउच सेल बैटरी के मुकाबले में बेहतर था। इस टेक्नोलॉजी को हार्वर्ड ऑफिस ऑफ टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट द्वारा एडन एनर्जी को लाइसेंस दिया गया है। एडन एनर्जी हार्वर्ड में रिसर्च का हिस्सा है। इसकी स्थापन जिन ली और हार्वर्ड के 3 अन्य एक्स स्टूडेंट्स ने की थी। ऐसी स्मार्टफोन बैटरी बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का विस्तार किया जा रहा है जो पाउच सेल बैटरी से ज्यादा बड़ी हैं। कमर्शियल प्रोडक्ट बनने से पहले अल्टीमेट सॉलिड-स्टेट बैटरी बनाने में अभी भी समय है। ऐसी टेक्नोलॉजी का बड़े स्तर पर प्रोडक्शन काफाी चुनौतियों भरा होता है।
 
 

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