Google कर्मचारियों को 60 घंटे काम करने की सलाह, को-फाउंडर ने बताई ये वजह

सर्गेई ब्रिन ने यह भी कहा कि AI और AGI (आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस) को लेकर प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है और अब यह रेस अपने अंतिम दौर में है।

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Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 3 मार्च 2025 17:56 IST
ख़ास बातें
  • कंपनी की AI लीडरशिप को मजबूत करने के लिए मेहनत बढ़ाने की सलाह
  • 60 घंटे प्रति सप्ताह काम करना प्रोडक्टिविटी के लिए बेस्ट है, ब्रिन ने कहा
  • उन्होंने कहा कि AI और AGI को लेकर प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है

Photo Credit: David Paul Morris/ Bloomberg

Google के को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन ने कर्मचारियों से कहा है कि वे कंपनी की AI लीडरशिप को मजबूत करने के लिए अपनी मेहनत बढ़ाएं। उन्होंने खासतौर पर 60 घंटे प्रति सप्ताह काम करने की सलाह दी है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिन ने कर्मचारियों को वर्किंग डेज में ऑफिस आने की भी सलाह दी। उन्होंने लिखा, "मैं कम से कम हर वर्किंग डे ऑफिस में रहने की सिफारिश करता हूं।" ब्रिन ने गूगल के जेमिनी AI मॉडल्स और ऐप्लिकेशंस से जुड़े कर्मचारियों को यह भी कहा कि कंपनी को प्रतिस्पर्धा में आगे बनाए रखने के लिए उनकी मेहनत जरूरी है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सर्गेई ब्रिन ने अपने मेमो में कहा, "60 घंटे प्रति सप्ताह काम करना प्रोडक्टिविटी के लिए बेस्ट है।" उन्होंने यह भी कहा कि AI और AGI (आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस) को लेकर प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है और अब यह रेस अपने अंतिम दौर में है। उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि अगर वे पूरी मेहनत से काम करें, तो गूगल इस रेस में आगे निकल सकता है।

उन्होंने खासतौर पर इंजीनियरों को गूगल के AI मॉडल्स का इस्तेमाल कोडिंग में करने के लिए प्रेरित किया। ब्रिन के अनुसार, ऐसा करने से वे दुनिया के सबसे कुशल कोडर्स और AI साइंटिस्ट बन सकते हैं। उनका मानना है कि गूगल के पास AI में आगे बढ़ने के लिए सभी जरूरी संसाधन हैं, लेकिन कर्मचारियों को अपनी मेहनत और तेज करनी होगी।

बता दें कि टेक इंडस्ट्री में बड़े लीडर्स पहले भी कर्मचारियों से ज्यादा काम करने की मांग कर चुके हैं। पिछले साल, इन्फोसिस (Infosys) के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने 70 घंटे के वर्कवीक का सुझाव दिया था, जबकि इस साल जनवरी में L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे के वर्कवीक का प्रस्ताव रखा था।

गूगल के कर्मचारियों पर इस निर्देश का क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि, कई कंपनियों में एक्सटेंडेड वर्किंग ऑवर्स को हायरिंग कम करने और कॉस्ट कटिंग के तौर पर भी देखा जाता है।
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