Vizio एक यूएस-आधारित TV ब्रांड है, जो 2018 के क्लास एक्शन मुकदमे में 3 मिलियन डॉलर के समझौते पर पहुंच गया है। कंपनी 30 अप्रैल, 2014 के बाद कैलिफोर्निया में Vizio TV खरीदने वाले ग्राहकों को ये मुआवजा देने वाली है। मुकदमे में Vizio पर अपने टीवी में 120Hz रिफ्रेश रेट और 240Hz टच सैंपलिंग रेट फीचर होने का दावा करने वाला झूठा विज्ञापन दिखाने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने इस विज्ञापन को "गलत और भ्रामक" माना है। जबकि Vizio ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है, उसने विवादित विज्ञापन प्रथाओं को बंद करने की प्रतिबद्धता जताई है।
The Verge के
अनुसार, इस मुआवजे के लिए पात्र ग्राहकों को 30 मार्च, 2024 तक टीवी के स्वामित्व का प्रमाण दिखाना होगा, जिनमें खरीद का प्रमाण या टीवी का सीरियल नंबर आदि शामिल होना चाहिए। करेंसी में मुआवजा मिलने के अलावा, Vizio ने विवादित विज्ञापन प्रथाओं को बंद करने और सेटलमेंट क्लास के सभी सदस्यों को सीमित एक साल की वारंटी के साथ एन्हांस्ड सर्विस देने का वादा भी किया है।
मुकदमा उन सभी ब्रांड्स को कटघरे में खड़ा करता है, जो मार्केटिंग के दौरान अपने प्रोडक्ट को कई सुनहरे फीचर्स से लैस बताते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उसकी ओर आकर्षित हों। स्मार्टफोन पर रिफ्रेश रेट को जांचने के कई टूल्स मौजूद हैं, लेकिन आज भी आम यूजर्स टीवी में रिफ्रेश रेट या टच सैंपलिंग रेट को पता करने में अक्षम हैं।
ग्राहकों को भटकाने के और भी कई मार्केटिंग ट्रिक्स होती है, जिसमें किसी फीचर का गलत नाम से प्रचार किया जाता है। उदाहरण के लिए मोशन स्मूथिंग फीचर को "इफेक्टिव रिफ्रेश रेट" बताना। इस तरह के फीचर, डिस्प्ले में दिखाई देने वाले मोशन ब्लर को कम करने का काम करते हैं, लेकिन ये हाई रिफ्रेश रेट से बिल्कुल अलग है।