हवाई जहाज में अब पारंपरिक ईंधन की जरूरत खत्म हो सकती है। रोल्स रॉयस (Rolls-Royce) ने एक ऐसे इंजन को बनाने में कामयाबी पाई है जो कि हाइड्रोजन पर चलेगा। इसके बाद अब तक हवाई जहाजों में इस्तेमाल होते आ रहे पारंपरिक ईंधन से छुटकारा मिल सकता है और एविएशन इंडस्ट्री गैस फ्यूल पर शिफ्ट हो सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि धरती के वातावरण में से कार्बन की मात्रा को कम करने में भी मदद मिलेगी। इसके लिए कंपनी ने ग्राउंड टेस्ट भी कर लिया है।
रोल्स रॉयस (Rolls-Royce) ने एक क्षेत्रीय एयरक्राफ्ट के इंजन को हाइड्रोजन इंजन में तब्दील कर प्रयोग किया है। एयरक्राफ्ट AE 2100 के इंजन को कंपनी ने ग्रीन हाइड्रोजन, यानि कि ऐसी गैस जिसे हवा, ज्वारभाटीय शक्ति से तैयार किया गया है, से चलाने में कामयाबी पा ली है। ब्रिटिश कंपनी ने सोमवार को एक
प्रेस रिलीज में घोषणा कर अपनी इस सफलता के बारे में जानकारी दी। कंपनी ने अपने प्रोजेक्ट पार्टनर ईजी जेट के साथ मिलकर यह कामयाबी पाई है। दोनों कंपनियां इस बात को साबित करना चाहती हैं कि सिविल एविएशन के लिए हाइड्रोजन एक सेफ फ्यूल बन सकता है।
अभी यह प्रयोग शुरुआती दौर में है। दोनों कंपनियां इसके लिए लम्बे टेस्ट करने की तैयारी भी कर चुकी हैं। सेकंड टेस्ट में इसके लिए लम्बी फ्लाइट के लिए प्रयोग किया जाएगा। हाइड्रोजन को एक ऐसा विकल्प माना जा रहा है जो 2050 तक एविएशन इंडस्ट्री को इसका कार्बन एमिशन जीरो लेवल तक ले जाने में मदद कर सकता है। प्लेन बनाने वाली कंपनी एयरबस भी फ्रांस की इंजन मेकर कंपनी सीएफएम इंटरनेशनल के साथ काम कर रही है ताकि हाइड्रोजन प्रोपल्शन तकनीक पर प्रयोग किया जा सके।
हालांकि प्लेन निर्माता कंपनी ने 2021 में यूरोपियन यूनियन में कहा था कि बहुत मुश्किल है कि 2050 तक पारंपरिक ईंधन वाले इंजनों से पूरी तरह से छुटकारा मिल सके, क्योंकि अधितकर एयरलाइंस उस समय तक ट्रेडिशनल जेट इंजनों पर ही निर्भर रहेंगी। इसके साथ ही इस पहलू पर ध्यान देना भी जरूरी है कि अगर एविएशन इंडस्ट्री हाइड्रोजन पर शिफ्ट होती है तो एयरपोर्ट्स के इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से रीडिजाइन करना पड़ेगा। साथ ही एयरफ्रेम्स को भी रीडिजाइन करना पड़ेगा।
Rolls-Royce इसके अलावा
इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट इंजनों पर भी काम कर रही है जो छोटी की दूरी फ्लाइट के लिए काम में लिए जा सकेंगे। हालांकि अभी यह विकास बहुत छोटे स्तर पर है। इसे पूरी इंडस्ट्री के लिए उपलब्ध करवाने में लम्बा समय लग सकता है, ऐसा कहा जा रहा है।