Baba Amte’s 104th Birthday Google Doodle: बाबा आमटे को कुछ इस अंदाज में किया गूगल ने याद

बाबा आमटे की 104वीं जयंती Baba Amte’s 104th Birthday Google Doodle: Google ने आज समाजसेवी मुरलीधर देवीदास आमटे की 104वीं जयंती के मौके पर उन्हें याद करते हुए गूगल डूडल बनाया है। आइए जानते हैं बाबा आमटे (Baba Amte) से जुड़ी कुछ अहम बातों को।

Baba Amte’s 104th Birthday Google Doodle: बाबा आमटे को कुछ इस अंदाज में किया गूगल ने याद

Baba Amte’s 104th Birthday Google Doodle: बाबा आमटे की 104वीं जयंती पर उनके जीवन से जुड़े कुछ अहम पहलु

ख़ास बातें
  • मुरलीधर देवीदास आमटे को बाबा आमटे के नाम से जाना जाता था
  • 1971 में बाबा आमटे को दिया गया था पद्म श्री अवॉर्ड
  • नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े हुए थे बाबा आमटे
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बाबा आमटे (Baba Amite) की 104वीं जयंती के मौके पर Google ने आज समाजसेवी मुरलीधर देवीदास आमटे को याद करते हुए गूगल डूडल (Google doodle) बनाया है। मुरलीधर देवीदास आमटे  (Murlidhar Devidas Amte) को बाबा आमटे (Baba Amte) के नाम से भी जाना जाता था। गौर करने वाली बात यह है कि आज गूगल डूडल को स्लाइडशो में बनाया गया है। बाबा आमटे की 104वीं जयंती पर स्लाइडशो के माध्यम से Baba Amte के जीवन से जुड़े अहम पहलुओं को दर्शाया गया है।
 

बाबा आमटे (Baba Amte) कौन थे?

आइए जानते हैं बाबा आमटे (Baba Amte) से जुड़ी कुछ अहम बातों को। मुरलीधर देवीदास आमटे (Murlidhar Devidas Amte) का जन्म 26 दिसंबर 1914 को महाराष्ट्र के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। आप शायद यह बात नहीं जानते होंगे लेकिन बाबा आमटे खेल, महंगी गाड़ियां और शिकार का शौक भी रखते थे। Baba Amte बचपन से ही समाज में हो रही असमानताओं से भलीभांति वाकिफ थे। उन्होंने लॉ की पढ़ाई करने के बाद खुद की एक कंपनी भी खोली लेकिन 30 वर्ष की उम्र के बाद वह लोगों की भलाई में जुट गए थे।

बाबा आमटे (Baba Amte) का जीवन उस समय बदल गया जब उन्होंने कुष्ठ रोग से ग्रस्त एक व्यक्ति और उसकी बढ़ती बीमारी को देखा था। इस घटना के बाद उन्होंने कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा के लिए एक संगठन की स्थापना की थी। इस संगठन का नाम था-‘आनंदवन'। केवल इतना ही नहीं, मुरलीधर देवीदास आमटे (Murlidhar Devidas Amte) नर्मदा बचाओ आंदोलन से भी जुड़े हुए थे।

बाबा आमटे (Baba Amte) ने सन् 1985 में भारत जोड़ो आंदोलन को शुरू किया था। 72 साल की उम्र में वह कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल चले, ऐसा करने के पीछे उनका केवल एक ही मकसद था देश में एकता की भावना को बढ़ावा देना। मुरलीधर देवीदास आमटे के काम की विश्वभर में सराहना हुई, उन्हें अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। सन् 1971 में उन्हें पद्म श्री अवॉर्ड भी दिया गया। बाबा आमटे को 2007 में ल्युकीमिया बीमारी हुई, एक साल से ज्यादा समय तक वह बीमारी से जूझते रहे और 9 फरवरी 2008 को वह दुनिया को अलविदा कह गए।
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