पृथ्वी (Earth) एक के बाद एक कई सौर तूफानों (Solar Storm) की चपेट में आ रही है। सूर्य में उभरे एक सनस्पॉट से कल 8 सोलर फ्लेयर निकलते देखे गए थे। आज यानी 14 जुलाई को एक और सौर तूफान पृथ्वी पर आ रहा है। यह G1 कैटिगरी का भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) होगा, जिसकी वजह से हमारे ग्रह पर कम्युनिकेशन सिस्टम प्रभावित हो सकते हैं।
नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉसफियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने बताया है कि पृथ्वी पर जो भूचुंबकीय तूफान आने वाला है, वह 11 जुलाई को कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के रूप में सूर्य से निकला था। वैज्ञानिकों की नजर इस तूफान पर है। उन्हें अंदेशा है कि यह और खतरनाक हो सकता है। सौर तूफानों को उनकी क्षमता के हिसाब से अलग-अलग कैटिगरी में बांटा जाता है। एक्स क्लास कैटिगरी के सौर तूफान सबसे ज्यादा घातक होते हैं।
पृथ्वी के लिए परेशानी यहीं खत्म नहीं होती। कल गुरुवार को AR3372 नाम के एक सनस्पॉट से 8 बार सोलर फ्लेयर निकलते हुए देखे गए थे। इनमें से 3 काफी मजबूत थे। नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने सोलर फ्लेयर्स का पता लगाया था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन सोलर फ्लेयर्स की वजह से जो तूफान पृथ्वी से टकराएंगे, उससे हमारे ग्रह पर अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट हो सकता है।
सौर तूफान इंसानों को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करते। यानी इनके सीधे असर से इंसानी मौत नहीं होती। हालांकि ये मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट कनेक्टिविटी को बाधित कर सकते हैं। हमारे सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष यात्रियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। भले ही इंसान सीधे इन तूफानों की चपेट में ना आए, लेकिन मोबाइल नेटवर्क औेर इंटरनेट कनेक्टिविटी के बाधित होने से हमारा प्रभावित होना तय है।
सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा जब रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। ये हमारे सौर मंडल में अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय करते हैं।
कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह हमारे ग्रह पर भू-चुंबकीय तूफान ले आते हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अनुसार, इस सबकी वजह है सौर चक्र। हमारा सूर्य 11 साल के एक चक्र से गुजरता है। इस चक्र के मध्य में सूर्य अस्थिर हो जाता है, जिसमें धीरे-धीरे कमी आती है। मौजूदा वक्त में सूर्य उसी अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। साल 2025 तक सूर्य अस्थिर रहेगा, जिस वजह से उसमें सनस्पॉट उभरेंगे और सौर तूफानों की घटनाएं बहुत ज्यादा संख्या में होती रहेंगी।
सूर्य में हो रही ये घटनाएं साल 2025 तक अपने पीक पर होंगी। इसे सोलर मैक्सिमम कहते हैं। इस अवधि में सूर्य बहुत ज्यादा ‘उग्र' हो जाता है। उसमें सनस्पॉट उभरते हैं, जिनसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और सोलर फ्लेयर्स निकलते हैं। ये पृथ्वी पर सौर तूफान लाते हैं। यह सिलसिला 2025 में अपने पीक पर पहुंचने वाला है। कहा जा रहा है कि 2025 में पृथ्वी पर ‘इंटरनेट सर्वनाश' (internet apocalypse) के हालात होंगे। तस्वीरें, नासा से।