सूर्य फिर हुआ ‘नाराज', पहले सोलर फ्लेयर भेजकर ‘सताया' अब सौर तूफान की बारी!
पिछले कई दिनों से हमारा सूर्य शांत था, मंगलवार को वह एकाएक ‘उग्र' हो गया। एक शक्तिशाली सोलर फ्लेयर (Solar Flare) सूर्य से निकला, जिसने पूरे नॉर्थ अमेरिका और साउथ अमेरिका के कुछ भागों पर अपना असर दिखाया। एक रिपोर्ट के अनुसार, वहां कुछ वक्त के लिए शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट की स्थिति बन गई। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि एक सौर तूफान हमारे सूर्य से निकल सकता है, जो पृथ्वी पर ‘कहर' बरपाएगा!
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सूर्य क्यों हुआ ‘उग्र'?
सूर्य में हलचलें पिछले साल से बढ़ गई हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष नासा का कहना है कि हमारा सूर्य अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है। यह बहुत अधिक एक्टिव फेज में है। इस वजह से विशाल सौर विस्फोटों के बार-बार होने की संभावना है। यह विस्फोट और इनमें बढ़ोतरी साल 2025 तक जारी रहेगी। इसकी वजह से सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष यात्रियों पर असर पड़ सकता है। यह सोलर साइकल 25 है, जिसकी शुरुआत दिसंबर 2019 से लगाई गई है।
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सनस्पॉट ने बढ़ाई ‘मुसीबत'
स्पेसवेदरडॉटकॉम ने एक रिपोर्ट में बताया है कि सूर्य के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में एक सनस्पॉट छुपा है। इसका पता लगाया है सूर्य की परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट्स ने। इसी सनस्पॉट से M9.6 क्लास का एक सोलर फ्लेयर निकला। इसने अमेरिकी महाद्वीप को प्रभावित किया। यह घटना दोबारा सोलर एक्टिविटीज की शुरुआत कर सकती है।
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बढ़ा सौर तूफान का खतरा
अमेरिकी महाद्वीप में जिस सोलर फ्लेयर ने अपना असर दिखाया, उसकी वजह से करीब एक घंटे तक रेडियो ब्लैकआउट का सामना करना पड़ा। वैज्ञानिकों की चिंता यहीं खत्म नहीं हुई है। उन्हें लगता है कि सूर्य से एक कोरोनल मास इजेक्शन (CME) हो सकता है। उस समय सनस्पॉट का फोकस पृथ्वी की ओर हुआ, तो हमारे ग्रह पर सौर तूफान का खतरा बढ़ जाएगा।
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क्या होते हैं सोलर फ्लेयर्स
नासा के अनुसार, जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय करते हैं।
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कोरोनल मास इजेक्शन क्या है
कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तय कर जाते हैं। अक्सर यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं।
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कैसे होती है पृथ्वी प्रभावित
सोलर फ्लेयर्स या कोरोनल मास इजेक्शन की दिशा पृथ्वी की ओर होने पर यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं। रेडियो ब्लैकआउट की समस्या आमतौर पर देखने को मिलती है। तस्वीरें- नासा व अन्य से।
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