सूर्य में फिर हुआ विस्फोट, पृथ्वी के लिए अगले कुछ दिन ‘भारी'
हमारी पृथ्वी के लिए आने वाले कुछ दिन काफी महत्वपूर्ण हैं। दरअसल, सूर्य में दूर छुपे एक सनस्पॉट से चुंबकित (magnetized) प्लाज्मा का विशाल बादल फटा है, जिसे CME (कोरोनल मास इजेक्शन) भी कहा जाता है। इससे पृथ्वी को कोई खतरा तो नहीं है, लेकिन सूर्य में छुपा सनस्पॉट जल्द पृथ्वी की ओर फोकस कर सकता है। इसके बाद होने वाले विस्फोटों से पृथ्वी प्रभावित हो सकती है। रिपोर्टों के अनुसार, मंगलवार को सूर्य के पूर्वी छोर में पीछे की तरफ जो विस्फोट हुआ, वह कथित तौर पर कोरोनल मास इजेक्शन यानी CME था। इस दौरान पावरफुल सोलर फ्लेयर्स भी निकले। सूर्य में करीब 6 घंटों तक यह गतिविधि देखी गई।
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पृथ्वी की ओर फोकस कर सकता है सनस्पॉट
सौर भौतिक विज्ञानी, कीथ स्ट्रॉन्ग ने इससे जुड़ी जानकारी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की है। स्पेसडॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, कल निकले सोलर फ्लेयर और CME को कई ऑब्जर्वेट्रीज ने ऑब्जर्व किया। इनमें नासा की सोलर डायनैमिक्स ऑब्जर्वेट्री (SDO) के अलावा सोलर एंड हीलियोस्पेरिक ऑब्जर्वेट्री मिशन (SOHO) शामिल हैं। फिलहाल ना तो सोलर फ्लेयर और ना ही CME का फोकस पृथ्वी की तरफ है, लेकिन एक्सपर्ट ने चेताया है कि इन्हें पैदा करने वाला सनस्पॉट जल्द पृथ्वी की ओर फोकस कर सकता है।
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पृथ्वी तक पहुंच सकते हैं CME और सोलर फ्लेयर्स
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि सनस्पॉट का वह एक्टिव इलाका, जहां विस्फोट हुआ अगले दो दिनों में पृथ्वी की तरफ फोकस कर लेगा। इसके बाद जो विस्फोट सनस्पॉट से होंगे, उसकी वजह से पृथ्वी पर सोलर फ्लेयर्स या CME का असर देखने को मिल सकता है। इस बीच, 30 दिसंबर को सूर्य से निकला CME, पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंच गया है। इस वजह से कम क्षमता का भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी पर आया है।
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क्या होते हैं सोलर फ्लेयर
सोलर फ्लेयर्स को समझना हो तो, जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय कोरोनल मास इजेक्शन भी होता है।
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क्या होता है कोरोनल मास इजेक्शन
वहीं, कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
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