आपके दिमाग में क्या चल रहा, अब लग जाएगा पता…वैज्ञानिकों ने डेवलप की दिमाग को पढ़ने की तकनीक!
विज्ञान हर रोज तरक्की कर रहा है। हमारे वैज्ञानिक अपने शोध से इस दुनिया को आगे ले जाने में जुटे हैं। अब उन्होंने एक नई मेथड के बारे में बताया है, जिसके जरिए बिना सिर को हाथ लगाए लोगों के विचारों को ‘डिकोड' किया जा सकता है। इसे नॉन-इनवेसिव ब्रेन स्कैनिंग टेक्निक पर बुना गया है, जिसे फंक्शनल मैग्नेटिक रेज़नन्स इमेजिंग (fMRI) (functional magnetic resonance imaging) कहा गया है। यह मन को पढ़ने की पिछली तकनीकों से एकदम अलग है।
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आपके दिमाग में क्या चल रहा, अब लग जाएगा पता…वैज्ञानिकों ने डेवलप की दिमाग को पढ़ने की तकनीक!
लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, मन-पढ़ने की पिछली तकनीकों में लोगों के दिमाग में इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं, लेकिन फंक्शनल मैग्नेटिक रेज़नन्स इमेजिंग तकनीक में मस्तिष्क के जरिए ऑक्सीजन से भरे ब्लड के प्रवाह को ट्रैक किया जाता है। क्योंकि एक्टिव ब्रेन सेल्स को अधिक ऊर्जा और ऑक्सीजन की जरूरत होती है, यह जानकारी ब्रेन एक्टिविटी का एक इनडायरेक्ट उपाय देती है।
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वैज्ञानिकों की नई मेथड को प्रीप्रिंट डेटाबेस bioRxiv पर पोस्ट किया गया है। इसमें कहा गया है कि fMRI टेक्निक रियल टाइम ब्रेन एक्टिविटी को कैप्चर नहीं करती। ऐसा इसलिए, क्योंकि हमारा दिमाग, मस्तिष्क की कोशिकाओं के जरिए जो इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजता है, वह ब्लड फ्लो से बहुत तेज आगे बढ़ते हैं। हालांकि रिसर्चर्स ने यह पाया है कि वह लोगों के विचारों अर्थपूर्ण मतलब को समझने के लिए इस मेथड का उपयोग कर सकते हैं। यानी कोई व्यक्ति एक वक्त में क्या सोच रहा है, उसे वर्ड टु वर्ड तो नहीं समझा जा सकता, लेकिन इस मेथड से व्यक्ति के विचारों को समझने की कोशिश की जा सकती है।
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यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में न्यूरोसाइंटिस्ट और इस मेथड के सीनियर लेखक अलेक्जेंडर हुथ कहते हैं, अगर 20 साल पहले आपने दुनिया के किसी भी न्यूरोसाइंटिस्ट से यह पूछा होता कि क्या यह संभव है, तो वो आप पर हंसते। हालांकि अब काफी कुछ बदल गया है। इस स्टडी को अभी रिव्यू किया जाना बाकी है। रिसर्चर्स की टीम ने एक महिला और दो पुरुषों के ब्रेन को स्कैन किया। हरेक प्रतिभागी ने स्कैनर में कई सत्रों में कुल 16 घंटे के विभिन्न पॉडकास्ट और रेडियो शो सुने। टीम ने लोगों के स्कैन को एक कंप्यूटर एल्गोरिदम से मिक्स किया। इसे उन्होंने डिकोडर कहा। उस डिकोडर ने ऑडियो के पैटर्न की तुलना मस्तिष्क में रिकॉर्ड हुई गतिविधि के पैटर्न से की।
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यह एल्गोरिदम ब्रेन की स्कैनिंग और उस दौरान मस्तिष्क में आए विचारों के आधार पर एक स्टोरी तैयार कर सकता है। वह कहानी पॉडकास्ट या रेडियो शो के मूल कथानक से मेल खाती है। आसान शब्दों में कहें, तो डिकोडर यह अनुमान लगा सकता है कि हरेक प्रतिभागी ने अपने मस्तिष्क की गतिविधि के आधार पर कौन सी कहानी सुनी है। यह एल्गोरिदम उस कहानी को बता सकता है, जिसकी कल्पना लोग अपने दिमाग में कर रहे थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मेथड को विकसित कर भविष्य में उन लोगों की मदद की जा सकती है, जो बोल या टाइप नहीं कर सकते।
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