पृथ्वी से बाहर मिल गए ‘अग्नि' और ‘जल'! क्या ‘वायु' और ‘आकाश' की खोज भी होगी पूरी?
हमने कहानियों में पढ़ा है और पौराणिक धारावाहिकों में देखा है कि सृष्टि के निर्माण में अग्नि, जल, वायु और आकाश को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है। ये हमारी पृथ्वी पर जीवन का प्रमुख आधार हैं। वर्षों से वैज्ञानिक इस खोज में जुटे हैं कि क्या पृथ्वी के बाहर भी जीवन मुमकिन हो सकता है। इस दिशा में उन्हें कुछ कामयाबी मिली है। पृथ्वी से बाहर जल और अग्नि की मौजूदगी के सबूत हैं, लेकिन बिना वायु यानी ऑक्सीजन और आकाश यानी रहने लायक वातावरण के बगैर इंसान जिंदा नहीं रह सकता। क्या ये खोज कभी पूरी हो सकती है? आइए जानते हैं।
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एक्सोप्लैनेट्स पर है वैज्ञानिकों की नजर
पृथ्वी से बाहर जीवन ढूंढने के सवाल पर ज्यादातर खोजें मंगल ग्रह (Mars) तक सिमटी हैं। कुछ वैज्ञानिक शुक्र ग्रह को भी टटोलने की बात करते हैं, लेकिन वो जरूरत से ज्यादा गर्म है। हाल के वर्षों में वैज्ञानिक खोज ‘एक्सोप्लैनेट्स' (Exoplanet) की ओर बढ़ गई है। ऐसे ग्रह जो हमारे सूर्य की नहीं, बल्कि किसी और तारे की परिक्रमा करते हैं, एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं। वैज्ञानिकों को लगता है कि किसी और स्टार सिस्टम में जीवन मौजूद हो सकता है।
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मिला पानी और ज्वालामुखी वाला ग्रह!
हाल में जर्नल नेचर में पब्लिश हुई एक स्टडी में ऐसे ग्रह की बात की गई है, जो सक्रिय ज्वालामुखियों यानी अग्नि से भरपूर है। यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी के आकार का है। इसकी सतह के एक हिस्से में पानी भी हो सकता है। एक्सोप्लैनेट को एलपी 791-18 डी (LP 791-18 d) के नाम से जाना जाता है, जोकि पृथ्वी से लगभग 90 प्रकाश वर्ष दूर क्रेटर तारामंडल में स्थित है। यह एक लाल बौने तारे (red dwarf star) की परिक्रमा करता है। इस ग्रह के एक हिस्से में हमेशा रोशनी, जबकि दूसरे हिस्से में अंधेरा रहता है।
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2 सुपर अर्थ की खोज ने बढ़ाया हौसला
खगोलविदों ने पृथ्वी जैसे दो ‘सुपर-अर्थ' एक्सोप्लैनेट का भी पता लगाया है। ये अपने सूर्य का चक्कर उस क्षेत्र में लगाते हैं, जो रहने के काबिल हो सकता है। दोनों ही एक्सोप्लैनेट हमारे ग्रह से थोड़े बड़े हैं और एक लाल बौने तारे की परिक्रमा करते हैं। इस खोज से जुड़ी स्टडी रिपॉजिटरी arXiv में पब्लिश हुई है। रिसर्चर्स का कहना है कि इन ग्रहों का तापमान 24 से 74 डिग्री सेल्सियस के बीच होने की संभावना है।
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एस्टरॉयड और धूमकेतु में छुपा है पानी!
वैज्ञानिक इस बारे में भी रिसर्च कर रहे हैं कि पृथ्वी पर पानी कहां से आया। कई शोधों में यह अनुमान लगाया गया है कि हमारे सौरमंडल में घूम रहीं चट्टानें मसलन- एस्टरॉयड्स या धूमकेतु पृथ्वी पर पानी लाए होंगे। हाल में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) ने एक ऐसे धूमकेतु (comet) को देखा है, जिसके आसपास पानी है। यह धूमकेतु बृहस्पति और मंगल के बीच मेन एस्टरॉयड बेल्ट में मौजूद है। इसे ‘238P/रीड' कहा जाता है। यह स्टडी जर्नल नेचर में पब्लिश हुई है।
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शुरुआती अनुमान हैं सभी रिसर्च
वैज्ञानिकों को अबतक ऐसा ग्रह नहीं मिला है, जहां पृथ्वी की तरह ऑक्सीजन की मौजूदगी और पृथ्वी जैसा वातावरण मौजूद हो। पृथ्वी से बाहर जीवन संभव बनाने के लिए ये दो जरूरी आधार हैं। ऐसी ग्रह सतह भी चाहिए होगी, जो पृथ्वी की तरह ही उपजाऊ हो। ये खोजें चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। अभी तो यही लगता है कि किसी एक ग्रह पर ऐसी सभी खूबियां शायद ना मिलें। तस्वीरें, नासा, Unsplash व अन्य से।
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ऑक्सीजन और वातावरण की खोज है महत्वपूर्ण
वैज्ञानिकों को अबतक ऐसा ग्रह नहीं मिला है, जहां पृथ्वी की तरह ऑक्सीजन की मौजूदगी और पृथ्वी जैसा वातावरण मौजूद हो। पृथ्वी से बाहर जीवन संभव बनाने के लिए ये दो जरूरी आधार हैं। ऐसी ग्रह सतह भी चाहिए होगी, जो पृथ्वी की तरह ही उपजाऊ हो। ये खोजें चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। अभी तो यही लगता है कि किसी एक ग्रह पर ऐसी सभी खूबियां शायद ना मिलें। तस्वीरें, नासा, Pixabay व अन्य से।
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पृथ्वी से बाहर मिल गए ‘अग्नि' और ‘जल'! क्या ‘वायु' और ‘आकाश' की खोज भी होगी पूरी?