इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जिसे अंतरिक्ष यात्रियों का दूसरा घर भी कहा जाता है, अगले कुछ साल में हमसे विदा ले लेगा। रिपोर्टों के अनुसार, यह स्पेस स्टेशन साल 2030 तक ही सेवाएं देगा। नासा की योजना साल 2031 में आईएसएस को सुरक्षित तरीके से प्रशांत महासागर में गिराने की है। इस मकसद को पूरा करने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी एक ऐसे स्पेसक्राफ्ट का निर्माण करना चाहती है, जो आईएसएस के आखिरी समय में उसे नियंत्रित तरीके से खत्म कर सके। इस काम में लगभग 1 बिलियन डॉलर यानी 82 अरब रुपये खर्च हो सकते हैं।
स्पेसडॉटकॉम और स्पेसन्यूजडॉटकॉम ने अपनी रिपोर्ट्स में इस संबंध में जानकारी दी है। साल 1998 से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहा है। यह पूरी पृथ्वी को मॉनिटर करते हुए अंतरिक्ष से जुड़े मिशनों को पूरा करता है। यह स्पेस स्टेशन कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (सीएसए), यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और नासा समेत 5 एजेंसियों के सहयोग से ऑपरेट होता है, जिनमें रूस भी शामिल है।
आईएसएस में मौजूद माइक्रोग्रैविटी लेबोरेटरी में अबतक 3 हजार से ज्यादा रिसर्च की जा चुकी हैं। ISS को डीऑर्बिट करने की योजना नई नहीं है। गैजेट्स 360 हिंदी ने पिछले साल भी एक रिपोर्ट में इस बारे में बताया था। खास बात यह भी है कि आईएसएस के जीवन के आखिरी कुछ साल में इसे कमर्शल इस्तेमाल के लिए भी खोला जाएगा। मसलन- वहां आम लोगों का जाना होगा। कुछेक फिल्मों की शूटिंग हो सकती है।
आईएसएस को नियंत्रित तरीके से गिराने की खबर फिर से इसलिए आई है, क्योंकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी को मिले 27.2 बिलियन डॉलर के बजट में 180 मिलियन डॉलर की रकम "एक नए अंतरिक्ष टग के विकास को शुरू करने के लिए" है। यानी यह वो किस्त है, जिसकी मदद से आईएसएस को सुरक्षित रूप से समुद्र में गिराया जाएगा।
रिपोर्टों के अनुसार, आईएसएस को एक के बाद एक तीन बार में तोड़ा जा सकता है। इसकी शुरुआत सोलर एैरे और रेडिएटर को अलग करने से हो सकती है। अबतक का अनुमान है कि पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करने पर बहुत अधिक गर्मी के कारण आईएसएस के ज्यादातर हार्डवेयर जल सकते हैं। तस्वीरें, नासा व अन्य सोर्सेज से