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हिंद महासागर में मिला ‘रहस्‍यमयी' ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र', लाखों साल पहले महासागर को निगल गया! कैसे बना यह? जानें

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    हिंद महासागर में मिला ‘रहस्‍यमयी' ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र', लाखों साल पहले महासागर को निगल गया! कैसे बना यह? जानें

    विज्ञान ने इंसान को इस काबिल बनाया है कि‍ वह ब्रह्मांड के रहस्‍यों को टटोल रहा है। हालांकि हमारी पृथ्‍वी में कई रहस्‍य छुपे हैं, जिनका सामने आना बाकी है। भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने हिंद महासागर में 30 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले विशालकाय ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र' (Gravity Hole) के बारे में जानकारी जुटाई है। पता लगाया है कि इसकी मौजूदगी की वजह क्‍या है। ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र' क्‍या होते हैं? हिंद महासागर में इसकी मौजूदगी क्‍यों है? आइए जानते हैं।

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    क्‍या है हिंद महासागर का ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र'?

    जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में यह स्‍टडी पब्लिश हुई है। ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र' को इंडियन ओशियन जियोइड लो (IOGL) के नाम से जाना जाता है। यह हमारी पृथ्वी की एक गुरुत्वाकर्षण विसंगति (anomaly) है। इसका मतलब है कि पृथ्‍वी पर जो गुरुत्‍वाकर्षण है, वह IOGL में कम हो जाता है। इस वजह से यहां समुद्र का स्‍तर भी वैश्विक औसत से 106 मीटर कम है।

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    हिंद महासागर में क्‍याें है ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र'?

    स्‍टडी में कहा गया है कि हिंद महासागर के नीचे पृथ्‍वी के मेंटल में द्रव्‍यमान कम होने के कारण ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र' बना है। इसकी उत्पत्ति‍ कैसे हुई? यह जानने के लिए रिसर्चर्स ने एक कंप्‍यूटर सिमुलेशन किया। उन्‍होंने पाया कि टेक्टोनिक प्लेटों के कुछ हिस्से अफ्रीका के नीचे मेंटल के जरिए फंस गए हैं। इस वजह से हिंद महासागर के नीचे यह हालात बने हैं।

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    हिंद महासागर में कब बना ‘गुरुत्वाकर्षण छिद्र'?

    रिसर्चर्स का अनुमान है कि करीब 2 करोड़ साल पहले IOGL ने अपना वर्तमान आकार ल‍िया होगा। हिंद महासागर का एक बड़ा इलाका इसके प्रभाव में आया। यह लाखों वर्षों तक बना रहेगा। भविष्‍य में इस पर होने वाले शोध पृथ्‍वी से जुड़े कई और रहस्‍यों को सामने ला सकते हैं। इस रिसर्च को बंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों ने किया है।

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    क्‍या अतीत के समुद्र को निगल गया था IOGL

    स्‍टडी में कहा गया है कि IOGL में टेथिस महासागर का हिस्सा भी शामिल है। याद रहे कि टेथिस महासागर लाखों साल पहले हुआ करता था जो हमारे ग्रह की गहराई में समा गया। माना जाता है कि यह महासागर गोंडवाना और लॉरेशिया महाद्वीपों को अलग करता था। सभी तस्‍वीरें सांकेतिक और Unsplash से।

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