अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन का बढ़ता दबदबा हमेशा से अमेरिका और उसकी स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) की परेशानी बढ़ाता आया है। चीन अपने मिशनों को सीक्रेट रखता है। दुनिया से सिर्फ उतनी जानकारी ही शेयर की जाती है, जो चीनी मंसूबों के लिए चुनौती ना बने। इसी महीने 10 फरवरी को चीन के तियानवेन 1 मिशन (Tianwen 1 mission) ने मंगल ग्रह की कक्षा में अपनी दूसरी वर्षगांठ मनाई। दुनिया को चीन ने जिस खुशी का एहसास कराया, ऐसा लगता है कि उसके पीछे एक बड़ी बात छुपा दी गई। हालांकि अमेरिका ने इसका खुलासा कर दिया है।
अमेरिकी दावे की तस्दीक करते हुए एरिजोना यूनिवर्सिटी ने तस्वीर रिलीज की है। यह तस्वीर नासा के मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (Mars Reconnaissance Orbiter) पर लगे हाईराइज कैमरे से ली गई। यूनिवर्सिटी हाईराइज कैमरे का मैनेजमेंट करती है। दावा किया जा रहा है कि ‘ज़ुरॉन्ग रोवर' 7 सितंबर 2022 से 8 फरवरी 2023 के बीच चला ही नहीं है। वह एक ही जगह पर मौजूद है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को लगता है कि चीन का मंगल मिशन खत्म हो गया है। उसके तियानवेन 1 मिशन का अहम भाग ‘ज़ुरॉन्ग रोवर' (Zhurong rover) के बारे में कहा जा रहा है कि रोवर रुक गया है और काफी वक्त से एक ही पोजिशन पर है। पिछले साल सितंबर में चीनी वैज्ञानिकों ने मीडिया से कहा था कि जुरॉन्ग रोवर को हाइबरनेशन से जागने के लिए कम से कम 15 डिग्री सेल्सियस तापमान और 140 वॉट ऊर्जा की जरूरत होगी।
बताया जाता है कि ‘ज़ुरॉन्ग रोवर' पिछले साल मई में हाइबरनेशन में चला गया था। इसकी तैयारी पहले से थी। यह सब मंगल ग्रह के बेहद ठंडे मौमस से बचने का एक उपाय था। रोवर को कंट्रोल करने वाले चीनी स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि ज़ुरॉन्ग रोवर दिसंबर 2022 तक जाग जाएगा। लेकिन अबतक चीनी अंतरिक्ष एजेंसी ने जुरॉन्ग रोवर के बारे में कोई अपडेट नहीं दिया है।
गौरतलब है कि मंगल ग्रह में भीषण ठंड पड़ने की वजह से वहां मौजूद मिशनों के रोवर हाइबरनेशन में चले जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रोवर बिजली के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भर होते हैं। मंगल ग्रह पर वसंत का मौसम लौटने के बाद रोवर हाइबरनेशन से बाहर आते हैं और अपने काम पर लग जाते हैं। बताया जा रहा है कि चीन का ज़ुरॉन्ग रोवर अभी तक हाइबरनेशन से नहीं जागा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया था कि चीनी रोवर ने मिशन कंट्रोल के साथ कम्युनिकेशन शुरू नहीं किया है। ज़ुरॉन्ग रोवर के अबतक हाइबरनेशन में होने की कई वजहें हो सकती हैं। सबसे बड़ी वजह सौर पैनलों पर जमा धूल होती है। अगर धूल ना हटे तो रोवर की कार्यक्षमता पर सीधा असर होता है। अगर जुरॉन्ग रोवर हमेशा के लिए बंद भी हो गया है, तो भी चीन के लिए चिंता की बात नहीं है। इस रोवर को सिर्फ 3 महीने का लक्ष्य देकर भेजा गया था। रोवर ने उससे ज्यादा काम किया। तस्वीरें, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना और Unsplash से।