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अंतरिक्ष में जन्‍म लेंगे बच्‍चे! वैज्ञानिकों ने की बड़ी तैयारी, IVF तकनीक का होगा इस्‍तेमाल

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    अंतरिक्ष में जन्‍म लेंगे बच्‍चे! वैज्ञानिकों ने की बड़ी तैयारी, IVF तकनीक का होगा इस्‍तेमाल

    क्‍या अंतरिक्ष में बच्‍चे पैदा हो सकते हैं? आप सोच रहे होंगे, यह कैसा सवाल है। यकीन मानिए, ऐसा मुमकिन करने की तैयारी की जा रही है। ब्रिटिश वैज्ञानिक, आईवीएफ (IVF) ट्रीटमेंट का इस्‍तेमाल करके ‘स्पेस बेबी' बनाने की योजना बना रहे हैं। उनका दावा है कि यह कदम इंसानों के लिए ऑफ-प्लैनेट कॉलोनियां स्थापित करने का रास्‍ता खोल सकता है। रिपोर्टों के अनुसार, डच फर्म ‘स्पेसबॉर्न यूनाइटेड' के साथ मिलकर ब्रिटिश वैज्ञानिक कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) पर काम कर रहे हैं। यह सब ऑर्बिट में एक बायो-सैटेलाइट में किया जाएगा। इस परीक्षण से जुड़ी पहली फ्लाइट अगले 3 महीनों में लॉन्‍च होने वाली है।

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    कहा जा रहा है ‘स्‍पेस बेबीज'

    स्पेसबॉर्न यूनाइटेड जिसका हमने जिक्र किया, वह और ब्रिटिश वैज्ञानिक मिलकर एक बायो-सैटेलाइट पर काम कर रहे हैं। इस सैटेलाइट के अंदर आईवीएफ ट्रीटमेंट की मदद से बच्‍चे पैदा किए जाएंगे। यह काम अंतरिक्ष में पूरा किया जाएगा, जिस वजह से इन्‍हें स्‍पेस बेबीज कहा जा रहा है।

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    अगले 3 महीनों में मिशन लॉन्‍च!

    जैसाकि हमने आपको बताया बायो-सैटेलाइट की पहली टेस्ट फ्लाइट को अगले 3 महीनों में लॉन्‍च करने की तैयारी है। यह लॉन्चिंग कनाडा से की जाएगी। डेली स्‍टार की रिपोर्ट के अनुसार, स्पेसबॉर्न यूनाइटेड के डॉ. एबर्ट एडलब्रोएक ने कहा कि उनका मकसद इस बात को सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इंसान के प्रजनन की प्रक्रिया सामान्‍य तरीके से अंतरिक्ष में पूरी हो सके।

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    यह सब पता लगाया जाएगा

    अपने मकसद में कामयाब होने के लिए डॉ. एबर्ट एडलब्रोएक और उनकी पहले यह देखना चाहती है कि कृत्रिम गर्भाधान कितना सफल होता है। इसकी मदद से अंतरिक्ष में पैदा होने वाले बच्‍चे कितने स्‍वस्‍थ रहते हैं। वो कितने दिन जीवित रह पाते हैं। उन्‍हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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    चूहों से होगी शुरुआत

    डॉ. एडलब्रोएक के मुताबिक उनके लक्ष्‍य की शुरुआत चूहों के स्पर्म और एग्स से होगी। यानी इंसानों को अंतरिक्ष में पैदा करने से पहले चूहों पर यह प्रयोग किया जाएगा। डॉ. एडलब्रोएक कह चुके हैं 12 साल में अंतरिक्ष में इंसान पैदा हो जाएगा। उनका दावा कितना कामयाब होता है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। ध्‍यान रहने की बात है कि यह प्रयोग अंतरिक्ष की निचली कक्षा में किया जाएगा।

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    दो डिलिवरी की जाएंगी सबसे पहले

    वैज्ञानिकों की तैयारी है कि शुरुआत में दो सफल डिलिवरी की जाएं। उन बच्‍चों को देखा जाएगा कि नवजात अंतरिक्ष के रेडिएशन को कितना बर्दाश्‍त कर पाते हैं। ध्‍यान रहे कि IVF का पूरा प्रोसेस भी अंतरिक्ष में ही बायो-सैटेलाइट के अंदर पूरा करने की तैयारी है। (तस्‍वीरें unsplash से)

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