ChatGPT, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस एक चैटबॉट, जो आपसे बातचीत कर सकता है, आपकी ज्यादातर दुविधाओं का जवाब दे सकता है और आपके कई प्रोजेक्ट या होमवर्क को पूरा करने में आपकी मदद कर सकता है। अब आप कहेंगे कि यह तो Google, Bing आदि जैसे सर्च इंजन भी कर सकते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि ChatGPT मशीन लर्निंग से लैस है, जो उससे इंटरेक्ट करने वाले के बातचीत करने के तरीके को सीखता भी है। वेब पर उपलब्ध होने के बाद से ChatGPT ने अपनी अदभुत कार्यक्षमताओं के लिए तारीफ बटोरी, लेकिन अब इसके गलत प्रभाव के चलते इसे बेंगलुरु के कॉलेजों से लेकर अमेरिका और फ्रांस में कई जगह बैन किया जा चुका है।
शुरुआत भारत से करते हैं, जहां आरवी यूनिवर्सिटी ने ChatGPT के इस्तेमाल को बंद करने लिए चेतावनी जारी की है। विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के डीन संजय चिटनिस ने छात्रों और फैकल्टी को कहा है कि चैटजीपीटी, गिटहब कोपायलॉट (Github Copilot) और ब्लैकबॉक्स (Blackbox) जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यूनिवर्सिटी अपने सर्वर से ChatGPT को ब्लॉक कर रही है। विश्वविद्यालय इस फैसले को 1 जनवरी से लागू करेगा।
कर्नाटक में दयानंद सागर विश्वविद्यालय और अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे संस्थानों ने भी छात्रों को चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स पर निर्भर रहने से रोकने के लिए कदम उठाने के फैसला लिया है। जहां एक ओर दयानंद सागर विश्वविद्यालय असाइनमेंट के तरीके को बदलने की योजना बना रहा है। वहीं, क्राइस्ट यूनिवर्सिटी जैसे अन्य संस्थान भी छात्रों को एआई टूल्स से दूर रखने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। IIIT-B ने तो एक स्पेशल समिति का गठन कर दिया है, जिससे ChatGPT का उपयोग करने पर एक खास सिस्टम विकसित किया जा सके।
देश से बाहर कुछ अन्य जगहों की बात करें, तो फ्रांस के टॉप विश्वविद्यालयों में से एक Science Po ने ChatGPT के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। विश्वविद्यालय का कहना है कि छात्र किसी खास उद्देश्य को छोड़कर, अपने किसी भी पाठ्यक्रम या प्रेजेंटेशन के लिए ChatGPT का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
वहीं, अमेरिका में न्यूयॉर्क शहर के शिक्षा विभाग ने भी चैटबॉट पर बैन लगा दिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि छात्र इसका उपयोग होमवर्क असाइनमेंट बनाने, गणितीय समीकरणों को हल करने और निबंध लिखने जैसे कामों के लिए कर सकते हैं। सिएटल के कई पब्लिक स्कूलों में चैटजीपीटी पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस महीने की शुरुआत में, दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित मशीन लर्निंग सम्मेलनों में से एक ने लेखकों को वैज्ञानिक पेपर लिखने के लिए चैटजीपीटी जैसे एआई टूल का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया था।
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, येल विश्वविद्यालय, रोड आइलैंड विश्वविद्यालय और अन्य के 6,000 से अधिक शिक्षकों ने कथित तौर पर GPTZero का उपयोग करने के लिए साइन अप किया है। ये टूल AI-जनरेटेड टेक्स्ट का पता लगाने का दावा करता है। इसके निर्माता एडवर्ड तियान हैं, जो प्रिंसटन विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ हैं। इस टूल का उद्देश्य शिक्षकों को एआई-जनरेटेड निबंधों को मानव-निर्मित निबंधों से अलग बताने की क्षमता प्रदान करना है। ऐप अभी बीटा फेज में है।