भारत के स्पेस मिशन को आज नए पंख लगने वाले हैं। देश का तीसरा मून मिशन ‘चंद्रयान-3' (Chandrayaan-3) गौरव के पल लेकर आ रहा है। दोपहर 2.35 बजे जब इसरो (ISRO) चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करेगी, तब अमेरिका से लेकर फ्रांस और ब्रिटेन से लेकर जापान तक भारत की कामयाबी की गूंज सुनाई देगी। अंतरिक्ष में भारत की ‘जय' आज चीन भी देखेगा। चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग से ठीक पहले जानिए इससे जुड़ी हर जरूरी बात।
चंद्रयान-3 मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। मिशन को एलवीएम-एम4 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाएगा। इसे सफल बनाने के लिए इसरो ने जमकर तैयारी की है। लैंडर विक्रम और अन्य उपकरणों को गहनता से टेस्ट किया गया है। लॉन्च की प्रक्रिया को फेलप्रूफ बनाया गया है, ताकि हर हाल में यह मिशन कामयाब हो जाए।
साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर ‘विक्रम' चांद पर नहीं उतर पाया था। हम फेल हो गए थे। लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने की घोषणा का वह वीडियो पूरी दुनिया ने देखा था। लेकिन भारत ने हार नहीं मानी। मिशन की असफलता से सीखते हुए इसरो ने चंद्रयान-3 में उन सभी कमियों को पूरा किया, जिनकी वजह से लैंडर विक्रम चांद पर नहीं उतर पाया था।
शुरुआत में कहा जा रहा था कि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही फॉलोअप है। हालांकि इसरो ऐसा नहीं मानती। उसके मुताबिक, यान की इंजीनियरिंग एकदम अलग है। इसे पहले के मुकाबले मजबूत बनाया है। यान की लैंडिंग को सफल बनाने के लिए इसरो ने चंद्रयान के एल्गोरिदम में भी बदलाव किया गया है। तय जगह पर लैंडिंग नहीं हो पाई, तो चंद्रयान-3 को दूसरी जगह उतारा जा सकता है।
चंद्रयान-3 मिशन का मकसद चांद की सतह पर सेफ लैंडिंग की क्षमता को प्रदर्शित करना है। वहां चहलकदमी करके साबित करना है कि इसरो और भारत चांद पर अपना लैंडर उतारने में सक्षम हैं। चंद्रयान-3 मिशन में एक लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल और रोवर शामिल हैं।
लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 को एक महीने का सफर करना होगा। 23 अगस्त के आसपास यान, चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा। इस मिशन के लिए इसरो को 615 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है। चंद्रयान-3 मिशन में कोई ऑर्बिटर शामिल नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि चंद्रयान -2 का ऑर्बिटर सही तरीके से काम कर रहा है। तस्वीरें, इसरो से।