अमेरिका के टेक्सास में पिछले महीने क्रैश हुए एक उल्कापिंड (Meteorite) ने वैज्ञानिकों को अलर्ट कर दिया है! हमारे सौर मंडल में लाखों ‘आफती चट्टानें' घूमती रहती हैं। इनमें से कुछ पृथ्वी के नजदीक से गुजरती हैं। वैज्ञानिक इन्हें मॉनिटर करते हैं, ताकि यह पता चल सके कि कहीं वो पृथ्वी के वायुमंडल में तो प्रवेश नहीं कर रहीं। इसी क्रम में वैज्ञानिकों की नजर एक एस्टरॉयड (Asteroid) पर है। यह एस्टरॉयड बहुत तेज स्पीड से पृथ्वी की ओर आ रहा है और हमारे ग्रह के काफी करीब से गुजरेगा। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
माना जाता है कि करोड़ों साल पहले हमारी धरती से डायनासोरों का खात्मा एक एस्टरॉयड के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ था। अगर कोई एस्टरॉयड पृथ्वी के वायमुंडल में प्रवेश करने के बाद धरती से क्रैश हो जाए, तो बड़ी तबाही लाने की क्षमता रखता है। यही वजह है कि वैज्ञानिक एस्टरॉयड्स को तब तक मॉनिटर करते हैं, जब तक वो पृथ्वी की कक्षा से बहुत दूर नहीं चले जाते।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) पिछले कई वर्षों से एक मिशन पर काम कर रही है। उसका मकसद है कि भविष्य में पृथ्वी के लिए खतरा बनने वाले किसी भी एस्टरॉयड को धरती पर आने ही ना दिया जाए। नासा ने पिछले साल DART मिशन को लॉन्च किया था, जिसके जरिए एक एस्टरॉयड और स्पेसक्राफ्ट में सीधी टक्कर कराई गई। नासा अपने मकसद में कामयाब रही क्योंकि उस एस्टरॉयड की कक्षा बदल गई थी। यही तरीका भविष्य में भी काम में लाया जा सकता है।
पृथ्वी की कक्षा में आने वाले एस्टरॉयड्स को नासा और अन्य स्पेस एजेंसियां अपनी दूरबीनों की मदद से मॉनिटर करती हैं। इसी क्रम में आज यानी 1 मार्च को एक एस्टरॉयड पृथ्वी के करीब से गुजरने वाला है। 2023 DJ1 नाम का यह एस्टरॉयड 22 हजार 392 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार से हमारी ओर बढ़ रहा है। नासा जेपीएल के अनुसार, इसका साइज लगभग 25 फीट है, जोकि एक बस के बराबर है। यह एस्टरॉयड लगभग 209 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है।
एस्टरॉयड 2023 DJ1 को पृथ्वी के लिए संभावित रूप से खतरनाक की कैटिगरी में रखा गया है। ऐसे एस्टरॉयड जो पृथ्वी के 80 लाख किलोमीटर तक नजदीक आते हैं, उन्हें संभावित रूप से खतरनाक माना जाता है। और 2023 DJ1 तो महज 10 लाख किलोमीटर की दूरी से होकर गुजरने वाला है। यह भले ही साइज में छोटा है, लेकिन जिस रफ्तार और करीब से होकर गुजरेगा, उसने इसे ‘खतरनाक' की कैटिगरी में रखा है। तस्वीरें, Nasa, ESA, Unsplash से।