90 लाख सूर्य आ जाएंगे! इतना बड़ा Black Hole खोजा वैज्ञानिकों ने, ऐसे मिली कामयाबी
अंतरिक्ष में तैनात सबसे बड़ी दूरबीन ‘जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप' (JWST) हमें ब्रह्मांड के रहस्यों से रू-ब-रू करवी रही है। इस टेलीस्कोप का इस्तेमाल करने वाले खगोलविदों ने अबतक देखे गए सबसे दूर स्थित विशालकाय ब्लैक होल (Black Hole) का पता लगाया है। ब्लैक होल का आकार इतना बड़ा है कि 90 लाख सूर्य इसमें समा जाएंगे। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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क्या होते हैं ब्लैक होल?
ब्लैक होल हमारे ब्रह्मांड में ऐसी जगहें हैं, जहां फिजिक्स का कोई नियम काम नहीं करता। वहां सिर्फ गुरुत्वाकर्षण है और घना अंधेरा। ब्लैक होल्स का गुरुत्वाकर्षण इतना पावरफुल होता है, कि उसके असर से रोशनी भी नहीं बचती। जो भी चीज ब्लैक होल के अंदर जाती है, वह बाहर नहीं आ सकती। वैज्ञानिकों ने जिस ब्लैक होल को खोजा है, वह अभी भी एक्टिव है और ऑब्जेक्ट्स को निगल रहा है।
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कहां खोजा गया ब्लैक होल?
यह ब्लैक होल जिस आकाशगंगा में मिला है, उसे CEERS 1019 कहा जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अनुसार, टेक्सास यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री स्टीवन फिंकेलस्टीन की टीम ने इस ब्लैक होल का पता लगाया। उन्होंने दो और ब्लैक होल खोजे, जो बिग बैंग के 1 अरब साल बाद बने। साथ ही 11 आकाशगंगाओं का भी पता चला, जो करोड़ों साल पुरानी हैं।
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बिग बैंग की थ्योरी क्या है?
बिग बैंग की थ्योरी हमारे ब्रह्मांड के निर्माण का वैज्ञानिक पहलू पेश करती है। यह समझाने की कोशिश करती है कि हमारा ब्रह्मांड कब और कैसे बना। बिग बैंग थ्योरी कहती है कि करीब 15 अरब साल पहले सभी भौतिक तत्व और ऊर्जा एक बिंदु में सिमटी थी। उससे पहले क्या था, कोई नहीं जानता। फिर उस बिंदु ने फैलना शुरू किया और शुरुआती ब्रह्मांड के कण हमारे अंतरिक्ष में फैल गए। यह थ्योरी ऐडविन हबल ने दी थी। उन्होंने कहा था कि ब्रह्मांड का लगातार विस्तार हो रहा है।
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ब्लैक होल की खोज के क्या हैं मायने?
विशालकाय ब्लैक होल का पता लगाने के लिए खगोलविदों ने जेम्स वेब टेलीस्कोप की नियर और मिड इन्फ्रारेड इमेजेस को परखा। इस ब्लैक होल के बारे में और जानकारी जुटाकर वैज्ञानिक ब्लैक होल्स को तो समझेंगे ही। साथ ही यह भी जान पाएंगे कि शुरुआती ब्रह्मांड कैसा था। उसका निर्माण कैसे हुआ हो सकता है। हालांकि इन निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए अभी कई शोध करने होंगे।
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क्या है जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप
नासा ने दिसंबर 2021 में इस टेलीस्कोप को लॉन्च किया था। जेम्स वेब के निर्माण में 10 अरब डॉलर (लगभग 75,330 करोड़ रुपये) की लागत आई है। जेम्स वेब टेलीस्कोप की सबसे बड़ी खूबी है कि अंतरिक्ष के अंधेरे में हाई रेजॉलूशन वाली तस्वीर हासिल कर सकता है। इस टेलीस्कोप के अपना काम शुरू करने से पहले हबल टेलीस्कोप (Hubble) ब्रह्मांड की अनदेखी तस्वीरों से परिचय करवा रहा था। तस्वीरें सांकेतिक और Unsplash से।
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